Ram Mahotsav : राम की महिमा को धरती पर उतार लाया रुद्राणी कला ग्राम ओरछा का ‘राम महोत्सव!’

पांच दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय राम महोत्सव की अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर पहचान बनी! 

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Ram Mahotsav : राम की महिमा को धरती पर उतार लाया रुद्राणी कला ग्राम ओरछा का ‘राम महोत्सव!’

– डॉ रामशंकर भारती

बेतवा नदी के पवित्र पावन तट पर सुवासित किसी तपस्वी ऋषि जैसी आभा से जगर-मगर होता रुद्राणी कला ग्राम एवं शोध संस्थान ओरछा द्वारा आयोजित अंतर्राष्ट्रीय राम महोत्सव जन जन के राम की आकांक्षाओं, अपेक्षाओं और आशाओं का आधार बन गया। यह प्रसिद्ध अभिनेता और उत्तर प्रदेश फिल्म विकास बोर्ड के उपाध्यक्ष, बुंदेलखंड विकास के कुशल शिल्पी और इन समस्त विशेषणों, उपाधियों से सर्वथा मुक्त रहने वाले एक समर्पित राजा बुंदेला का आयोजन था। उन्हीं के संयोजन और निर्देशन में आयोजित पांच दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय राम महोत्सव का यह आयोजन जन-जन के राम की व्यापक और विराट अवधारणा का पर्याय बन जाना बुंदेलखंड की धरती के सांस्कृतिक युग को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पहचान दे रहा है।

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राम महोत्सव के संस्थापक राजा बुंदेला के राम अनूठे हैं। वे अपने राम को परिभाषित करते हुए कहते हैं ‘मेरे राम मठ-मंदिरों, आश्रमों और पोथियों तक ही सीमित नहीं हैं। मेरे राम तो मेरे राम गिरिवासी, आदिवासी अभावग्रस्त वंचित समाज के बीच आकर उनके यथार्थ के जीवन को विकसित और समृद्धशाली बनाने के लिए सदैव कृतसंकल्पित हैं। हमारे राम तो आज के भौतिक युग में जीवन को कैसे जिया जाए,समय की कठोर शिलाओं पर कैसे अपने सुकृतियों के पद चिह्न बनाए जाएं, उन सारी परिस्थितियों को निरूपित करते हुए हमारी राष्ट्रीय जीवन शैली के निर्माण का मार्ग प्रशस्त करने वाले जननायक जन जन के राम हैं।

राम महोत्सव का यह आयोजन एक धार्मिक कर्मकाण्ड तक ही सीमित नहीं रहा! वरन्, सामाजिक सरोकारों को जमीन पर उतारकर मानवीय मूल्यों का संवर्धन करते हुए लोक संस्कृति, लोक साहित्य, लोक परंपराओं,लोकोत्सवों, लोक संस्कारों के पुनरुत्थान का भी संवाहक है। धर्म हमारी आस्थाओं का सर्वोच्च शिखर है। धर्म की यही व्यापकता मनुष्य के भीतर अनेक सद्गुणों का संचयन करती है। समाज जीवन में राष्ट्रीय जीवन मूल्यों के का संवर्द्धन, समरसता का वातावरण एवं समाज के सर्वांगीण विकास के लिए हम भी अपना योगदान कर सकें यही राम महोत्सव का उद्देश्य है।

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वहीं फिल्म निर्माता-निर्देशक व अंतरराष्ट्रीय राम महोत्सव के सहसंयोजक राम बुंदेला राम महोत्सव की संरचना के विषय में बताते हैं ‘राम महोत्सव में वैदिक अनुष्ठान के लिए विशाल यज्ञशालाएं निर्मित की गई हैं। अनेक पूजनीय महामंडलेश्वर यहां पधारे हैं। राष्ट्रीय व अंतर्राष्ट्रीय स्तर के संत प्रवर हैं,अनेक विद्वान हैं, सांस्कृतिक पुरुष हैं, सिने अभिनेता व अभिनेत्रियां हैं ,कलाकार हैं, रंगमंच व थियेटर की हस्तियां हैं।’       उन्होंने कहा कि मुंबई, दिल्ली, तेलंगाना आदि राज्यों से आए लोक कलाकार हैं और सभी हमारे राम महोत्सव परिवार के अभिन्न अंग हैं।

शासन-प्रशासन, मीडियाकर्मी, व जनप्रतिनिधि का इस आयोजन को व्यापक कैनवास देने के लिए दिन रात लगे रहते हैं। राम महोत्सव की परिकल्पना को यह सब साकार करता है। जूना अखाड़े के महामंडलेश्वर स्वामी डॉ उमाकांत सरस्वती के सानिध्य में राम महोत्सव का शुभारंभ वैदिक परंपरा के साथ किया गया।

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ओरछा के राम राजा मंदिर के विशाल प्रांगण से राममहोत्सव की कलश यात्रा का शुभारंभ जूना अखाड़ा के महामंडलेश्वर डॉ उमाकांत सरस्वती ने श्रीरामचरित मानस के ग्रंथ को व्यासपीठ पर स्थापित करने के लिए राम बुंदेला के सिरारूढ़ कराकर वैदिक विधान से किया। सुसज्जित रथों पर महामंडलेश्वरों, साध्वियों, साधुओं और विद्वानों की यह शोभायात्रा राममहोत्सव के आयोजन स्थल रुद्राणी कलाग्राम में गोधुलि वेला में गाजे-बाजे के साथ पहुंची। कथा मंडप के व्यासपीठ पर श्री राम जी का विग्रह के साथ रामायण जी को विराजमान कराया गया।

राम महोत्सव की दिनचर्या प्रातःकालीन योगाभ्यास वेला व वैदिक विधान से यज्ञशाला में हवनादि से अत्यंत मनोहारी वातावरण में प्रारंभ होकर रामायण संस्कृति को लेकर विभिन्न वैचारिक संगोष्ठियों, राम आधारित फिल्मों के प्रदर्शन, विश्वविद्यालय के छात्रों की कौशल विकास की कार्यशालाएं, सांध्यकालीन वेला में राष्ट्रीय संतों के विचार नवनीत प्रसाद, रात्रिकालीन वेला में रामलीला के साथ ही अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त कलाकारों द्वारा लोकनाट्य व लोक संगीत के विभिन्न संस्कार कार्यक्रमों का आयोजन। कला और कलाकारों का सम्मान राम महोत्सव को एक अभिनव पहचान दिलाने में सफल रहा।

राष्ट्रीय रामायण केंद्र भोपाल के निदेशक व राममहोत्सव के सहसंयोजक डॉ राजेश श्रीवास्तव के कुशल संयोजन में दस अकादमिक सत्र आयोजित हुए। इनमें देश विदेश के अनेक लब्ध प्रतिष्ठित विद्वानों, विदुषियों की सहभागिता उल्लेखनीय है। प्रमुख रूप से किन्नर अखाड़े की महामंडलेश्वर साध्वी पीतांबरा, राष्ट्रीय कथावाचक सुरेशचंद गोस्वामी, ज्योतिषाचार्य रमण योगी, बालसंत मुकुंदाचार्य जैसी अनेक विभूतियों ने राम के लोक स्वरूप को विस्तारित किया।     वहीं साहित्य जगत के विद्वानों में डॉ देवेन्द्र शुक्ल नार्वे, डॉ चंद्रपाल शर्मा (कुमार विश्वास के पिताजी), विदुषी डॉ.सुमन रानी, डॉ घनश्याम भारती, अटल बिहारी वाजपेयी हिन्दी विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ खेरिया जी, बुन्देलखण्ड विश्वविद्यालय झाँसी के हिन्दी विभागाध्यक्ष डॉ.मुन्ना तिवारी, डॉ पुनीत श्रीवास्तव, रामायण केन्द्र के महासचिव डॉ दिनेश श्रीवास्तव, शैलेश तिवारी, कमलेश जोशी, जया शर्मा, डॉ राजीव नाफडे,  आकाशवाणी कानपुर की उद्घोषिका डॉ रंजना यादव, रूपाली सक्सेना सहित अन्य अनेक विद्वानों और विदुषियों ने अपने व्याख्यानों के माध्यम से जन जन के राम की अवधारणा को व्यक्त किया।

समारोह में भारत सरकार के केंद्रीय मंत्रियों में भानुप्रताप सिंह वर्मा एवं केंद्रीय मंत्री कौशल किशोर के अलावा उत्तर प्रदेश सरकार में उपमुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक, राज्य मंत्री मन्नूलाल की गरिमामय उपस्थिति रही। सिने अभिनेताओं में राजेंद्र गुप्ता, अखिलेन्द्र मिश्र, अमित भार्गव, आरिफ शहडोली, राकेश साहू, जगदीश शिवहरे, जीवन जोशी, जावेद खान आदि उपस्थित रहे। बुंदेलखंड विश्वविद्यालय के छात्रों की आर्ट गैलरी की कार्यशाला का आयोजन डॉ अजय गुप्ता व डॉ मोहम्मद नईम के निर्देशन में किया गया। युवा चित्रकार यशवंत के बोलते हुए चित्र चर्चा का विषय बने रहे। वहीं बीकेडी के छात्रों ने एनसीसी की रचनात्मक गतिविधियों प्रदर्शन किया।

रामायण केंद्र भोपाल के निदेशक डॉ राजेश श्रीवास्तव ने समापन सत्र में अपनी सहसंयोजक की भूमिका निर्वाह करते हुए अपने उद्बोधन में सभी का आभार व्यक्त करते हुए जो टिप्पणी की वह उनके मनोभावों को भली भाँति व्यक्त करती है। उन्होंने कहा कि प्रभु श्री राजाराम सरकार की कृपा से आयोजन ने अपने उत्कर्ष को स्पर्श किया। आयोजन के संयोजक राजा बुंदेला जी का संकल्प और औरा दोनों ही इतने प्रभावशाली हैं कि सफलता में कोई भी संदेह शेष नहीं रहता। पूरी टीम ने बढ़ चढ़कर सहयोग करते हुए आनंद लिया।

राम बुंदेला, आरिफ शहडोली, जगदीश शिवहरे, जगमोहन, राकेश साहू, प्रदीप सिंह, आश्रय सिंह, प्रदीप कुमार पांडे, श्याम शरण नायक, बाबी पांडे सहित अनेक मित्रों ने मुझे बहुत प्रभावित किया। सब एक से बढ़कर एक गुमनाम काम करते रहे। सीमित संसाधनों में इतना बेहतर आयोजन कोई सरकार या कोई संस्थान भी नहीं कर सकता। यह रामजी की कृपा और केवल राजा बुंदेला के सहज व्यक्तित्व के कारण ही संभव हुआ।     मुझे दो अनुभव और भी हुए हैं। एक, ऐसे आयोजनों में साधु-संतों की सहभागिता प्रायः उपेक्षित रहती है। समस्त साधु-संतों ने अपने सहज रूप में बिना किसी विशेष सुविधा की अपेक्षा के राम महोत्सव को गरिमामय बनाने में अपना योगदान दिया। दो, शोधकर्ताओं, विद्यार्थियों की सहभागिता सुनिश्चित करते हुए उन्हें समुचित अवसर उपलब्ध करना राजा बुंदेला के इस अनुकरणीय कार्य के लिए उन्हें अनेक साधुवाद।

राम महोत्सव में राष्ट्रीय संतों की उपस्थिति, उत्तर प्रदेश, मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र, दिल्ली, राजस्थान, तेलंगाना सहित लगभग एक दर्जन राज्यों से पधारे विभिन्न कला मंडलियों के सैकड़ों कलाकारों, सारस्वत विद्वानों, सिने जगत के अभिनेताओं, राजनीतिक दलों के राजनेताओं, केन्द्रीय मंत्रियों, उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक के आलावा ग्रामीण क्षेत्र के सामान्य जनों की सहभागिता ने भी राममहोत्सव को विशिष्ट बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।