Ran Away From India : विदेशी कंपनियां भारत से भाग रही, अब METRO भी गई!
New Delhi : कुछ सालों में कई विदेशी कंपनिया भारत से चली गई। ये कंपनियां जिस कारोबारी उम्मीद से भारत आई थी वो पूरी नहीं हुई। लेकिन, यह भी कहा जाता है कि बड़ी इंटरनेशनल कंपनियों का देश छोड़ना उनके बिजनस और कमर्शियल कारणों का हिस्सा है, न कि यह भारत में नियामक और कानूनी जरूरतों के चलते यह हो रहा है। इंडस्ट्री एक्सपर्ट्स के अनुसार, कुछ मल्टीनेशनल कंपनियों के भारत छोड़ने के पीछे कई कारण हैं। उनका बिजनस मॉडल मूल कंपनी के ग्लोबल बिजनस मॉडल के साथ मेल नहीं खा रहा। मार्जिन कम हो रहा था। इसके अलावा ऑनलाइन प्लेटफॉर्म से भी कंपनियों का बिजनस बडे़ पैमाने पर प्रभावित हुआ।
होल्सिम, फोर्ड, शेवरले, केयर्न, दाइची सांक्यो और अब मेट्रो। ये कुछ ऐसे बड़े नाम हैं, जो या तो भारत छोड़कर चले गए हैं या पिछले एक दशक में इन्होंने अपने परिचालन को कम कर दिया है। बढ़ी हुई स्थानीय प्रतिस्पर्धा, वैश्विक बाजार की प्राथमिकताओं में बदलाव, व्यापार में घाटा और नए बिजनस मॉडल ऐसे कारण हैं, जिनकी वजह से कुछ मल्टीनेशनल कंपनियां (MNCs) भारत से बाहर हो गईं।
जर्मन होलसेलर मेट्रो (Metro) 19 साल पहले बड़ी आशा के साथ भारत आई थी। अब इसने भारत में अपना बिजनस रिलायंस इंडस्ट्रीज (Reliance Industries) को बेच दिया है। मेट्रो ने कहा की भारतीय बाजार कई वर्षों से एक बड़े परिवर्तन के दौर से गुजर रहा है। व्यापार में कंसोलिडेशन आया है और होलसेल में भी डिजिटलकरण हुआ है। इस तेजी से होते बदलाव के साथ तालमेल बनाने और कंपनी की ग्रोथ को आगे बढ़ाने के लिए महत्वपूर्ण निवेश आवश्यक होंगे। मेट्रो के वैश्विक सीईओ स्टीफन ग्रेबेल ने एक बयान में कहा की हमने एक विकल्प चुना है, जो मेट्रो इंडिया के लिए एक नया अध्याय खोलेगा। हम मेट्रो इंडिया को एक ऐसे ग्रुप को सौंप रहे हैं जो इसे लंबी अवधि में इसे आर्थिक और तकनीकी रूप से मजबूती देगा।
नुवामा ग्रुप (Nuvama Group) के अवनीश रॉय ने कहा कि भारत में रिटेल तेजी से रिलायंस (Reliance) जैसे बड़े खिलाड़ियों के पक्ष में कंसोलिडेट हो रहा है। उन्होंने कहा कि किराना व्यापारी भी कड़ी प्रतिस्पर्धा का सामना कर रहे हैं। उनका कारोबार क्विक कॉमर्स, ई-कॉमर्स और दूसरे मॉडर्न ट्रेड प्लेयर्स के पास जा रहा है।
कम मार्जिन है बी2बी सेगमेंट
आठ साल पहले फ्रांस की कैरेफोर (Carrefour) ने भारत में अपने होलसेल आउटलेट बंद कर दिए थे। विश्लेषकों का कहना है कि बी2बी सेगमेंट (कैश एंड कैरी) कम मार्जिन वाला कारोबार है। यही एक प्रमुख कारण है कि कैरेफोर जैसी अन्य मल्टीनेशनल कंपनियां भी भारत से बाहर हो गई हैं।
बाजार में हिस्सेदारी घटी
घरेलू कंपनियों की मजबूत होती पकड़ के चलते भारत के विभिन्न सेक्टर्स में डायनेमिक्स चेंज हो रहे हैं। इसके साथ ही मल्टीनेशनल कंपनियों की बाजार हिस्सेदारी घट रही है। उदाहरण के लिए आप कंज्यूमर मोबाइल सर्विसेज के बिजनस और सीमेंट इंडस्ट्री को देख सकते हैं। स्विस दिग्गज होल्सिम (Holcim) द्वारा अपना भारतीय सीमेंट कारोबार अडानी (Adani) को बेचने के बाद इस सेक्टर में टॉप प्लेयर्स घरेलू कंपनियां हैं।