रतलाम से रमेश सोनी की रिपोर्ट
रतलाम: अर्थ की सार्थकता परमार्थ में है। धन्य है वे भाग्यशाली जो अपने सामर्थ्य और सम्पति का उपयोग धर्म और सेवा के कार्यों में करते हैं। धर्म के कार्य में उपयोग किया धन परमात्मा ब्याज सहित वापस लौटा देते है।
सद्कार्यों में धन को लगाने से यश, वैभव तो बढ़ता ही है लेकिन घर परिवार में सुख- सम्पति और समृद्धि भी आती है। ऐसा ही अनुपम उदाहरण श्री बंशीलाल अग्रवाल परिवार ने प्रस्तुत किया है।
यह विचार अखंड ज्ञान आश्रम के सह संचालक स्वामी श्री देवस्वरूपानन्द जी महाराज ने व्यक्त किये। वे हाल ही में आश्रम में आयोजित ब्रह्मलीन पूज्य स्वामी श्री ज्ञानानन्द जी महाराज के 31 वे पुण्य स्मृति महोत्सव पुण्य स्मृति महोत्सव के मुख्य यजमान श्री बंशीलाल मैनाबाई अग्रवाल के सम्मान समारोह में आशीर्वचन प्रदान कर रहे थे। समारोह की अध्यक्षता महामंडलेश्वर स्वामी श्री स्वरूपानन्द जी महाराज ने की।
ज्ञान एवं विष्णु यज्ञ का आयोजन
महोत्सव के उपलक्ष्य में महामंडलेश्वर स्वामी श्री चिदम्बरानन्द सरस्वती जी महाराज ने 19 से 25 मई तक श्री मद भागवत कथा का श्रवण करवाया। 26 मई को ज्ञान एवम विष्णु यज्ञ पूर्णाहुति के अवसर पर भंडारे में हजारों हाथों ने प्रसादी ग्रहण की थी।आयोजन की अध्यक्षता चित्रकूट पीठाधीश्वर आचार्य महामंडलेश्वर डॉ.दिव्यानंद जी महाराज ने की थी।
दो साल इन्तजार किया
सफल आयोजन के लिए आश्रम ट्रस्ट और भक्त परिवार की ओर से मुख्य यजमान श्री अग्रवाल दम्पति का साफा बांधकर शाल श्रीफल भेंटकर सम्मान किया गया। महामंडलेश्वर स्वामी श्री चिदम्बरानन्द सरस्वती जी महाराज ने यजमान परिवार के प्रति अपना शुभाशीष प्रेषित किया है।
श्री अग्रवाल ने अपने सम्मान के प्रत्युत्तर में कहा कि हमारे परिवार की श्रीमद भागवत कथा ज्ञान यज्ञ आयोजन की काफी समय से भावना थी। कोरोना के कारण दो साल विलम्ब से यह धर्म लाभ हमें मिला। लेकिन इस बात की प्रसन्नता है कि इस वर्ष भव्य आयोजन एवं भंडारे में हजारों में श्रद्धा और भक्ति पूर्वक हिस्सा लिया।
नानी बाई का मायरा कथा होगी
स्वामी जी ने बताया कि आश्रम में जल्द ही नानी बाई का मायरा कथा का आयोजन होने जा रहा है। जिसकी तैयारियां को लेकर आश्रम ट्रस्ट और भक्त परिवार जुट गया है। जल्द ही आयोजन की तारीख और समय की घोषणा की जाएगी।संचालन राधेश्याम द्विवेदी ने किया।