मप्र के इतिहास में शायद पहली बार किसी कलेक्टर के हटने पर आम लोगों ने घी के दीपक जलाए और पूरे शहर में आतिशबाजी कर खुशी मनाई। छतरपुर कलेक्टर शीलेन्द्र सिंह को लेकर भारतीय जनता पार्टी दो खेमों में बंट गई थी। लोधी समर्थक भाजपा नेताओं का संरक्षण शीलेन्द्र सिंह को मिला था। यही कारण है कि चाहकर भी सरकार उन्हें नहीं हटा पा रही थी। भाजपा विधायक राजेश प्रजापति के कथित अपमान के बाद भाजपा के अंदर से कलेक्टर को हटाने की मांग उठने लगी थी। चर्चा है कि इसी बीच कलेक्टर ने भाजपा के एक बड़े नेता की शरण ले ली। इस नेता ने कलेक्टर को बचाने का प्रयास किया तो विधायक राजेश प्रजापति ने इस्तीफे की धमकी दे डाली। मजबूरी में मुख्यमंत्री को कलेक्टर को हटाना पड़ा। कलेक्टर के हटते ही छतरपुर में मिठाईयां बंटने लगीं। सड़क किनारे ठेले वालों ने घी के दीपक जलाए। विधायक के समर्थकों ने जमकर आतिशबाजी की। दूसरी ओर अब भाजपा के ही विधायक प्रद्युम्न सिंह लोधी इस निर्णय से दुखी बताए जा रहे हैं।
*चर्चा में नेताओं के विराट भोज*
इस सप्ताह ग्वालियर-चंबल संभाग के दो बड़े नेताओं के *विराट भोज* चर्चा का विषय बने हुए हैं। कांग्रेस विधायक डॉ. गोविंद सिंह ने अपने भतीजे के तिलक समारोह के अवसर पर लहार में लगभग 30 हजार लोगों को भोज कराया। इधर प्रदेश के ऊर्जा मंत्री प्रद्युम्न सिंह तोमर ने भी अपनी भतीजी के विवाह उपलक्ष्य में ग्वालियर में लगभग 30 हजार लोगों को भोजन कराया। ऐसे समय में जबकि विधानसभा चुनाव में दो साल बाकी हैं इन दोनों नेताओं के विराट भोज चर्चा का विषय बने हुए हैं। भतीजे और भतीजी की शादी के बहाने नेताओं ने भोज देकर अपने समर्थकों और कार्यकर्ताओं को एकजुट करने और अपनी राजनीतिक ताकत का अहसास करा दिया है।
*पटवारी हेलीकाप्टर में क्यो बैठा?*
शिवपुरी में एक पटवारी के सपरिवार हेलीकाप्टर में घुमने का मामला जबरन तूल पकड़ गया है। शिवपुरी एसडीएम ने पटवारी को बकायदा नोटिस जारी कर इस पर सफाई मांगी है। दरअसल शिवपुरी में एक धार्मिक अनुष्ठान के दौरान छह दिन के लिए हेलीकाप्टर बुलवाया गया था। इसमें पांच हजार रुपए प्रति सवारी के हिसाब से राशि लेकर हेलीकाप्टर से शहर का भ्रमण कराया गया। हेलीकाप्टर में भ्रमण करने वाले ऊपर से धार्मिक आयोजन स्थल पर पुष्प वर्षा करते थे। पटवारी अनुराग जैन ने भी 20 हजार देकर हेलीकाप्टर में परिवार सहित उड़ान भर ली। एसडीएम को पटवारी का हेलीकाप्टर में घुमना अनुशासनहीनता और आर्थिक भ्रष्टाचार का बड़ा मुद्दा नजर आया। उन्होंने पटवारी को नोटिस देकर पूछा है कि हेलीकाप्टर जैसे महंगे विमान में बैठने से पहले उन्होंने प्रशासकीय अनुमति क्यों नहीं ली?
*सुअरों को मत मारो*
राजस्थान के जीवदया प्रेमी कार्यकर्ता केसरीमल खोड़निया ने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से गुहार लगाई है कि शिवपुरी में सुअरों को गोली से मारने का जो ठेका हैदराबाद की कंपनी को दिया है वह तत्काल निरस्त किया जाए और इस तरह की जीव हिंसा पर तत्काल रोक लगाई जाए। खोड़निया ने सीएम को लिखे पत्र में कहा है कि शिवपुरी नगर पालिका ने सुअरों को मारने के लिए टेंडर जारी किया था। हैदराबाद के पठान ने यह ठेका लिया और एक रात में ही लगभग 300 सुअरों को मौत के घाट उतार दिया। जीवदया प्रेमियों ने इस मुद्दे पर कोर्ट से स्टे लिया था। शिवपुरी कलेक्टर ने फिर से सुअरों को मारने का आदेश दिया है। इससे जीवदया प्रेमी बेहद दुखी हैं। शिवराज सिंह चौहान जैसे संवेदनशील मुख्यमंत्री के राज में जहां आंगनबाड़ी में अंडा पर पाबंदी लग सकती है तो सुअरों को मारने पर भी रोक क्यों नहीं लगाई जा सकती।
*गोविंदाचार्य बीमार या..!*
गोविंदाचार्य की भोपाल में आयोजित एक संगोष्ठी को अचानक क्यों कैंसिल करना पड़ा? गोविंदाचार्य वाकई बीमार हैं या उन्हें किसी ने भोपाल आने से रोका है। यह चर्चा का विषय बन गया है। इस सप्ताह 11 दिसंबर को गोविंदाचार्य को भोपाल के गांधी भवन में *आजादी के मायने* विषय पर संगोष्ठी को संबोधित करना था। इस संगोष्ठी के आयोजकों को भाजपा विरोधी समझा जाता है। गोविंदाचार्य के अचानक बीमार पड़ने से इस संगोष्ठी को रद्द करना बताया जा रहा है। आयोजकों का कहना है कि गोविंदाचार्य ठीक से खड़े भी नहीं हो पा रहे हैं इस कारण उनके कार्यक्रम को रद्द करना पड़ा। इधर यह भी चर्चा है कि कुछ लोगों ने जानबूझकर गोविंदाचार्य को संगोष्ठी में न आने के लिए दबाव बनाया है। गोविंदाचार्य की यह संगोष्ठी कहीं न कहीं भाजपा के खिलाफ होने वाली थीं।
*एक स्टेट बार काउंसिल, दो चेयरमैन*
मप्र स्टेट बार कौंसिल में फिर से उठा पटक शुरू हो गई है। बार कौंसिल के चेयरमैन विजय चौधरी ने हार्ट अटैक आने के बाद इस्तीफे की पेशकश की थी। विधिवत चुनाव होते इसके पहले ही चौधरी ने स्वयं को स्वस्थ बताते हुए इस्तीफा वापिस ले लिया। लेकिन वकीलों के दूसरे खेमे ने शैलेन्द्र वर्मा को स्टेट बार कौंसिल का नया चेयरमैन चुन लिया। इसे लेकर अब स्टेट बॉर कौंसिल दो फाड़ दिखाई दे रहा है। विजय चौधरी और शैलेन्द्र वर्मा दोनों चेयरमैन पद की दावेदारी कर रहे हैं। वर्मा का दावा है कि चौधरी के इस्तीफे के बाद उन्हें बहुमत के आधार पर चुन लिया गया है। चौधरी का कहना है कि जब उन्होंने इस्तीफा वापस ले लिया तो उनके स्थान पर चुनाव कैसे हो सकता है। फिलहाल स्टेट बॉर कौंसिल में चेयरमैन का विवाद थमता नजर नहीं आ रहा।
*और अंत में…*
इस महीने 20 तारीख से शुरू होने वाले विधानसभा सत्र के पहले स्पीकर गिरीश गौतम की नजर अब पूरी तरह दुरस्त हो गई है। खबर है कि उम्र के साथ स्पीकर की आंखों में मोतियाबिंद होने से उनकी दृष्टि कमजोर हो गई थी। स्पीकर चाहते थे कि सत्र शुरू होने से पहले उनकी नजर दुरस्त हो जाए। यही कारण है कि इस सप्ताह उन्होंने भोपाल में मामूली सा ऑपरेशन कराकर आंख का मोतियाबिंद निकलवा दिया है। उम्मीद की जा रही है कि स्पीकर की नजर दुरस्त होने का लाभ विधानसभा सत्र में सभी विधायकों को मिलेगा।