Patna : नीतीश कुमार से नाराज पूर्व मंत्री आरसीपी सिंह ने अपने भाजपा में जाने के संकेत दे दिए। उन्होंने ट्विटर पर लिखा ‘बिहार की जनता के द्वारा NDA के पक्ष में दिए गए 2020 के जनादेश के साथ विश्वासघात!’ इस ट्वीट से कयास लगाया जा रहा है कि संभव है कि वे भाजपा का दामन थाम लें क्योंकि, बिहार की राजनीति में उलटफेर के केंद्र में आरसीपी सिंह को माना जा सकता है। भले ही नीतीश कुमार और तेजस्वी यादव के बीच नजदीकी देखी जा रही हो, पर आरसीपी सिंह के जेडीयू के इस्तीफे के बाद यह बात खुलकर सामने आई।
बिहार की जनता के द्वारा NDA के पक्ष में दिए गए 2020 के जनादेश के साथ विश्वासघात !
— RCP Singh (@RCP_Singh) August 9, 2022
2024 के लोकसभा चुनाव में आरसीपी सिंह अपने गृह नगर नालंदा से चुनाव लड़ सकते हैं। यहां उनकी अच्छी पकड़ है। जेडीयू में रहते हुए भी आरसीपी सिंह भाजपा की तरफ से ही पक्ष रखते रहे थे। जुलाई में भी तेलंगाना की कार्यकारिणी बैठक में पहुंचने के बाद कयास लगाए जा रहे थे कि वह भाजपा में शामिल हो जाएंगे। भाजपा की तरफ से बोलने की वजह से पार्टी के अंदर उनके खिलाफ आवाज उठ रही थी। राज्यसभा का टिकट न मिलने के बाद उन्होंने नीतीश पर कटाक्ष किया था और कहा था कि 17 सांसदों के साथ कोई पीएम बनने का सपना कैसे देख सकता है?
आरसीपी सिंह के इस ट्वीट के बाद तरह-तरह की रिएक्शन सामने आ रही है। एक यूजर ने लिखा ‘विश्वासघाती के मुंह से विश्वासघात शब्द सूट नहीं करता। नीतीश कुमार का फ़ैसला बिहार के लिए ही नहीं, बल्कि देश के लिए संजीवनी है। वहीं अंगद सिंह नाम के यूजर ने लिखा जदयू अत्यधिक संक्रमित हो चुकी है। JDU के साथ मिलकर जो भी पार्टी चुनाव लड़ती वह हार जाती। अब JDU का संक्रमण राजद को भी संक्रमित कर अत्यधिक कमजोर बना डालेगी। अगर गौर करें तो बहुत सारे ऐसे लोग हैं जो कि आरसीपी सिंह की इस बात पर तंज कस रहे हैं।
आरसीपी सिंह जनता दल यूनाइटेड (JDU) के अध्यक्ष रह चुके हैं। 2016 में वे जेडीयू से दूसरी बार राज्यसभा पहुंचे थे। नीतीश कुमार ने जब जेडीयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष का पद छोड़ा, तब आरसीपी सिंह को ही पार्टी की जिम्मेदारी दी गई थी। इस तरह पार्टी में नंबर दो के नेता रहे आरसीपी सिंह को आखिर इस्तीफा क्यों देना पड़ा।
नीतीश की मर्जी के खिलाफ जब वह मोदी कैबिनेट में मंत्री बन गए, तो दोनों के बीच दरार आने लगी। इस बार JDU से उन्हें राज्यसभा नहीं भेजा गया। इसके बाद आरसीपी सिंह को मंत्री पद छोड़ना पड़ गया। आरसीपी सिंह पर जब भ्रष्टाचार और आय से अधिक संपत्ति के आरोप लगे तो पार्टी ने उनको कारण बताओ नोटिस जारी कर दिया। इसके बाद आरसीपी सिंह ने बड़ी संख्या में अपने समर्थकों के साथ पार्टी से इस्तीफा दे दिया।