Reform Drive vs Exam Concerns: अलीराजपुर के 86 आश्रम-छात्रावासों में अधीक्षक बदलने की तैयारी—सुधार जरूरी, लेकिन परीक्षा बाद करें

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Reform Drive vs Exam Concerns: अलीराजपुर के 86 आश्रम-छात्रावासों में अधीक्षक बदलने की तैयारी—सुधार जरूरी, लेकिन परीक्षा बाद करें

 

ALIRAJPUR: जनजातीय बहुल अलीराजपुर जिले के छात्रावास एवं आश्रमों में व्यवस्था सुधार और मूलभूत सुविधाओं को सुदृढ़ करने की दिशा में प्रशासन ने बड़ा कदम उठाया है। 5 वर्ष से अधिक अवधि पूर्ण कर चुके अधीक्षक- अधीक्षिकाओं के स्थान पर नवीन नियुक्ति की प्रक्रिया प्रारंभ कर दी गई है। हालांकि इस निर्णय को जहां प्रशासनिक दृष्टि से आवश्यक और नियमसम्मत माना जा रहा है, वहीं वार्षिक परीक्षाओं के समय अचानक परिवर्तन को लेकर विद्यार्थियों के हित में तैनाती को कुछ समय के लिए स्थगित रखने की तर्कसंगत मांग भी सामने आ रही है।

 

▪️ प्रशासनिक निर्णय और प्रक्रिया

▫️कलेक्टर नीतू माथुर ने बताया कि जिले में संचालित छात्रावास एवं आश्रमों में बेहतर मूलभूत सुविधाएं और सुचारु संचालन सुनिश्चित करने के उद्देश्य से 5 वर्ष से अधिक अवधि पूर्ण कर चुके अधीक्षक अधीक्षिकाओं के स्थान पर नवीन अधीक्षक अधीक्षिका की नियुक्ति के लिए संबंधित विभाग को निर्देश जारी किए गए हैं। यह प्रक्रिया 22 दिसंबर 2025 तक पूर्ण की जाएगी।

जिले का कोई भी पात्र सहायक शिक्षक, प्राथमिक शिक्षक, माध्यमिक शिक्षक एवं प्रधानाध्यापक नियमानुसार और विधिवत प्रक्रिया के तहत आवेदन कर सकता है। छात्रावास एवं आश्रमों की विस्तृत सूची संबंधित खंड शिक्षा कार्यालय तथा सहायक आयुक्त, जनजातीय कार्य विभाग, अलीराजपुर कार्यालय में चस्पा करने के साथ ही विकासखंड स्तर पर भी भेजी गई है, सोशल मीडिया पर भी यह वायरल है।

 

बताया जा रहा है कि अलीराजपुर जिले के 6 विकासखंड अलीराजपुर, सोंडवा, कट्ठीवाड़ा, चंद्रशेखर आजाद नगर, जोबट और उदयगढ़ में संचालित कुल 86 बालक एवं बालिका आश्रम छात्रावासों के अधीक्षक अधीक्षिकाओं को 5 वर्ष की अवधि पूर्ण होने के कारण बदला जाना है। इस संबंध में सहायक आयुक्त जनजातीय कार्य विभाग, अलीराजपुर द्वारा 8 दिसंबर को सूचना पत्र जारी किया गया है।

▪️ नियमों के अनुरूप बदलाव की पहल

▫️प्रशासनिक हलकों में इस निर्णय को सकारात्मक माना जा रहा है। नियमों के अनुसार अधीक्षक अधीक्षिकाओं का लंबे समय तक एक ही स्थान पर बने रहना उचित नहीं है और सामान्यतः 3 वर्ष से अधिक अवधि को भी परिवर्तन योग्य माना जाता है। ऐसे में 5 वर्ष से अधिक समय पूर्ण कर चुके पदस्थापनों में बदलाव व्यवस्था में नई ऊर्जा और जवाबदेही लाने की दिशा में अहम कदम माना जा रहा है।

▪️ परीक्षा अवधि में तैनाती पर चिंता

▫️हालांकि इस प्रशंसनीय पहल के साथ एक व्यावहारिक पक्ष भी सामने आया है। वर्तमान समय वार्षिक परीक्षाओं का है, जो छात्रावासों में अध्ययनरत विद्यार्थियों के लिए अत्यंत संवेदनशील दौर होता है। इस समय यदि अधीक्षक अधीक्षिकाओं में अचानक परिवर्तन किया जाता है तो बच्चों को नए अधीक्षक से सामंजस्य बैठाने, नई कार्यशैली समझने और विश्वास का वातावरण बनने में समय लग सकता है। इसका प्रभाव विद्यार्थियों की मानसिक स्थिति, अनुशासन और पढ़ाई की निरंतरता पर पड़ने की आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता।

▪️ संतुलित समाधान की मांग

▫️इसी कारण यह सुझाव सामने आ रहा है कि नवीन नियुक्तियों की प्रक्रिया यथावत और नियमानुसार पूरी की जाए, लेकिन वास्तविक पदस्थापना और कार्यभार ग्रहण की प्रक्रिया को कम से कम वार्षिक परीक्षाएं संपन्न होने तक स्थगित रखा जाए। इससे एक ओर प्रशासनिक सुधार की मंशा भी प्रभावित नहीं होगी और दूसरी ओर विद्यार्थियों के शैक्षणिक हितों की भी रक्षा हो सकेगी।

 

छात्र और पालकों की प्रतिक्रिया

वार्षिक परीक्षा को देखते हुए छात्रावासों में प्रस्तावित परिवर्तन पर विद्यार्थियों और उनके अभिभावकों की भी चिंताएं सामने आई हैं। कक्षा 12वीं के छात्र रितेश और दुर्गेश तथा कक्षा 10वीं के छात्र संदीप ने बताया कि परीक्षाएं नजदीक हैं और वर्तमान अधीक्षक परिवार के सदस्य की तरह उनकी जरूरतों का ध्यान रखते हैं। अचानक बदलाव होने से मानसिक दबाव बढ़ सकता है, जिसका असर परीक्षा परिणाम पर पड़ सकता है। छात्रों ने मांग की कि परिवर्तन नए शैक्षणिक सत्र से ही किया जाए।

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कक्षा आठवीं की छात्रा आशा व मंजुला के परिजनों राजू किकरिया और केसरा सोलंकी ने भी चिंता जताते हुए कहा कि व्यवस्था में सुधार आवश्यक है, लेकिन परीक्षा के समय ऐसा परिवर्तन बच्चों के हित में नहीं है। उन्होंने कहा कि यह निर्णय थोड़ा आगे बढ़ाया जाना चाहिए।

इसी तरह कक्षा आठवीं के छात्र राकेश और नूरु का भी कहना है कि नए अधीक्षक कैसे होंगे, यह अनिश्चितता परीक्षा के समय तनाव बढ़ा सकती है, इसलिए बदलाव परीक्षा के बाद ही होना चाहिए।

वहीं कुछ अधीक्षक- अधीक्षिका ने नाम प्रकाशित नहीं करने की शर्त पर बताया कि उन्हें स्वयं किसी प्रकार की आपत्ति नहीं है, लेकिन बच्चों का भावनात्मक जुड़ाव अधीक्षकों से हो जाता है। परीक्षा से ठीक पहले इस तरह का परिवर्तन बच्चों को असहज कर सकता है।