रेखा रावल ने लताजी के 108 गीत बिना रुके सुनाए

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रेखा रावल ने लताजी के 108 गीत बिना रुके सुनाए

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इंदौर। यूं तो इंदौर में आये दिन कोई न कोई संगीत सभा होती रहती है, लेकिन हाल ही में एक ऐसी महफिल सजी, जिसमें लताजी के 108 गीतों की लड़ी को मुख्य स्वर देने वाली एक ऐसी गायिका थी, जिन्होंने गृहस्थ जीवन से सीधे मंच का रूख किया । बावजूद इसके उनके सुर सधे हुए और भावपूर्ण गायन शैली ऐसी कि पहली बार एकल प्रस्तुति की न झलक,न हड़बड़ाहट दिखी। ये थीं रेखा रावल। बिना रुके 108 गीतों वाले इस कार्यक्रम में शौकिया गायन करने वाली रेखा रावल को सुनने जाल सभागृह में उनके खासे प्रशंसक मौजूद थे।

पहले ही प्रयास में लगातार 108 गीत प्रस्तुत करना वैसे ही कठिन होता है, लेकिन रेखाजी ने संयत स्वर में इसे अंत तक निभाया। उनके गायन की विशेष बात यह है कि वे गीत के बोलों के साथ भाव का जो अद्भुत मिश्रण करती है, वह सुनने वाले को स्वरांजलि में डुबो देता है। उन्होंने लताजी के अविस्मरणीय गीतों में से जिन गीतों का चयन किया, वह भी उल्लेखनीय रहा। उन्होंने,लग जा गले कि फिर ये रात.. नैनों में बदरा छाये.. कान्हा आन पड़ी मैं तेरे द्वार.. उड़ के पवन के संग चलूंगी.. वो चुप रहें तो मेरे दिल के दाग जलते हैं..मैं तुम्ही से पूछती हूं,मुझे तुमसे प्यार क्यों है..जैसे लोकप्रिय गीत तो लिये ही,लताजी का संभवत वो एकमात्र गीत भी लिया जो कैबरे पर फिल्माया गया है..आ जाने जा..आ मेरा ये हुस्न जवां..। कुछ युगल गीत भी थे, जिसमें साथ दिया अन्नू शर्मा ने, जिन्होंने संचालन भी किया । म्यूज टेम्पल की 195वीं प्रस्तुति का शुभारंभ दीप प्रज्वलन से किया।समारोह में संगीत गुरु कमल कामले जी का सम्मान भी किया गया।

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दीपेश जैन के संगीत संयोजन में बेस गिटार पर राजेश मिश्रा गुड्‌डू,आक्टोपेड पर अमित शर्मा व ढोलक पर रवि खेड़े थे। ध्वनि संयोजन ग्लोबल साउंड का था।