

Renewable Energy : नवकरणीय ऊर्जा में मध्यप्रदेश कैसे बनेगा मिसाल, कंसल्टेंट के भरोसे ही सारे काम!
Bhopal : देश में वर्ष 2070 तक कार्बन फुट-प्रिंट को शून्य तक लाने और समाप्त होते जीवाश्म ईंधन के विकल्प तलाशने के लिए वर्ष 2030 तक 500 गीगावाट (अक्षय) नवीन एवं नवकरणीय ऊर्जा उत्पादन का महत्वाकांक्षी लक्ष्य निर्धारित किया गया है। इस राष्ट्रीय लक्ष्य को प्राप्त करने में मध्यप्रदेश बड़ा योगदान दे रहा है।
राज्य में पिछले 12 साल में नवीन और नवकरणीय ऊर्जा के क्षेत्र में 14% अभूतपूर्व वृद्धि हुई, जिससे अब कुल ऊर्जा उत्पादन में सहभागिता 30% से अधिक हो गई। यह सरकार की मंशा और अफसरों की मेहनत का परिणाम है। लेकिन, विडंबना यह है कि अब प्रदेश में नवकरणीय ऊर्जा विभाग के काम को केवल कंसल्टेंट पर निर्भर किया जा रहा है। इसका मतलब है कि विभाग की आंतरिक विशेषज्ञता और कार्यबल की कमी हो सकती है और विभाग के कार्यों को करने के लिए बाहरी परामर्शदाता पर निर्भर रहना पड़ता है। इस स्थिति से विभाग के कामकाज में देरी, लागत में वृद्धि और गुणवत्ता में गिरावट हो सकती है।
गौरतलब है कि जीआईएस भोपाल में मप्र की टेक्नोलॉजी एग्नोस्टिक रिन्यूएबल एनर्जी पॉलिसी के कारण नवकरणीय ऊर्जा क्षेत्र में भारी निवेश प्रस्ताव प्राप्त हुए हैं। वहीं राज्य अपनी भौगोलिक स्थिति और प्राकृतिक संसाधनों की प्रचुरता के कारण देश के अग्रणी ऊर्जा सरप्लस राज्यों में से एक है। राज्य सरकार पर्यावरण संरक्षण और ऊर्जा आत्म निर्भरता को प्राथमिकता देते हुए नवीन एवं नवकरणीय ऊर्जा के क्षेत्र में निरंतर प्रयासरत है।
मप्र देश का पहला राज्य है, जिसने टेक्नोलॉजी एग्नोस्टिक रिन्यूएबल एनर्जी पॉलिसी लागू की है। इस नीति में सौर और पवन ऊर्जा को बढ़ावा देने के लिए निवेशकों को अनुकूल और लचीले अवसर प्रदान किए जा रहे हैं, जिससे ऊर्जा उत्पादन के क्षेत्र में नया आयाम जुड़ रहा है। लेकिन, अब अफसरों की जगह कंसल्टेंट्स को जिम्मेदारी देना चिंता बढ़ा रहा है। नवकरणीय ऊर्जा मंत्री राकेश शुक्ला का कहना है कि ये मामला मेरे संज्ञान में आया है। हम इस मामले को दिखावा रहे हैं। कुछ गड़बड़ होने पर कंसल्टेंट तो पल्ला झाड़ लेगा। इसलिए मुख्य काम का बंटवारा अधिकारियों में होना चाहिए।
अधिकारियों को दरकिनार किया जा रहा
मध्यप्रदेश में नवकरणीय ऊर्जा विभाग अब कंसल्टेंट के भरोसे चलेगा। योग्यतम अधिकारियों के होने के बावजूद कंसल्टेंटस को सरकारी अधिकारियों के काम दिए जाने के बाद ये कहा जा रहा है कि इस सबके पीछे कुछ और ही खेल चल रहा है। अधिकारियों को साइड लाइन कर जिन कंसल्टेंटस को कुर्सियां सौंपी गई, उनका ट्रैक रिकॉर्ड भी बड़ा अजब-गजब है। कानून के जानकार एक कंसल्टेंट को सोलर पार्क स्टोरेज की जिम्मेदारी सौंपी गई है।
मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव के ड्रीम प्रोजेक्ट वाले नवकरणीय ऊर्जा विभाग में इन दिनों उल्टी गंगा बह रही है। वरिष्ठ अधिकारी जिस तरीके से कार्य कर रहे हैं उससे लगता है कि इस विभाग में आने वाले निवेश को ठिकाने लगाने की योजना बन चुकी है। नवकरणीय ऊर्जा विभाग के मुख्यालय से निकले सरकारी आदेश बताते हैं कि यहां बेसिर-पैर के निर्णय लिए जा रहे हैं। नवीन एवं नवकरणीय ऊर्जा से संबद्ध केंद्र और राज्य सरकार की भागीदारी कंपनी है।