Request for Help: कुवैत में रोजगार के लिये गये भारतीय विशेष कर राजस्थान के मेवाड़ और वागड़ के बाशिन्दे इन दिनों गहरे संकट में

भारत सरकार से लगा रहें हैं मदद की गुहार !

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Request for Help: कुवैत में रोजगार के लिये गये भारतीय विशेष कर राजस्थान के मेवाड़ और वागड़ के बाशिन्दे इन दिनों गहरे संकट में

गोपेन्द्र नाथ भट्ट की विशेष रिपोर्ट 

खाड़ी देश कुवैत में रोजगार के लिये गये भारतीयों विशेष कर गुजरात से सटे दक्षिणी राजस्थान के मेवाड़ और वागड़ के बाशिन्दे इन दिनों गहरे संकट में हैं। कुवैत के मंगाफ शहर में पिछलें दिनों एक छह मंजिला इमारत में आग लगने के बाद कुवैत सरकार ने वहाँ भारतीय कामगारों के साथ सख़्ती कर दी हैं और कई भारतीयों को हिरासत में लेकर उनके साथ ज्यादती की जा रही है।कई रिहायशी मकानों की बिजली काट कर कामगारों को उनके सामान सहित भीषण गर्मी में सड़कों पर खुली छत के नीचे धकेल दिया गया है। इस कारण वे अपने रोजगार स्थलों पर भी नहीं जा पा रहें हैं तथा उनके समक्ष खाने पीने और रोज़गार का गहरा संकट उत्पन्न हो गया हैं। कई कामगारों को जबरन भारत लौटने को भी मजबूर किया जा रहा है। लोगों ने प्रधानमत्री नरेंद्र मोदी से अपील की है कि कुवैत सरकार द्वारा जबरन पकड़े गये मजदूरों को भारत सरकार जल्द छुड़वाएं और उन्हें सुरक्षित वापस भारत वापस लाएँ।

 

भारतीय जनता पार्टी के डूंगरपुर जिला अध्यक्ष हरीश पाटीदार ने भी केन्द्रीय विदेश मंत्री एस.जयशंकर को पत्र लिख कर भारत सरकार तत्काल हस्तक्षेप करने और कुवैत सरकार से वार्ता कर भारतीयों के समक्ष आसन्न समस्याओं का तुरन्त हल निकालने का आग्रह किया हैं। साथ ही राजस्थान प्रदेश भाजपा अध्यक्ष सी पी जोशी से भी आग्रह किया है कि वे तत्काल इस मामले को प्रधानमन्त्री नरेन्द्र मोदी के ध्यान में लायें तथा आने वाले संसद सत्र में भी पूरज़ोर ढंग से उठायें।

 

कुवैत में मेवाड़ और वागड़ अंचल के लाखों लोग काम करते हैं।अकेले डूंगरपुर और बांसवाड़ा के क़रीब 2 लाख लोग कुवैत में रोज़गार कर रहे हैं। वहां ज़्यादातर लोग मज़दूरी करते है। हालाँकि कुवैत में भारत के मुक़ाबले मज़दूरी करने पर अच्छा पैसा मिलता है। वहां का एक दीनार (कुवैती मुद्रा) की कीमत 273 भारतीय रुपये के बराबर है।

 

कुवैत में हुए अग्निकांड के बाद वहाँ की सरकार की सख़्ती से रोजगार के लिये गये हुए भारतीय डरे और सहमें हुए है तथा उनके परिवारजन भी गहरी चिन्ता में पड़ गये है। कई कामगार मजबूरी में कुवैत से भारत आ रहे है। इस घटना के बाद से कुवैत से भारत आने वाली फ़ाइट्स के रेट भी चार गुना बढ़ गये है। फ्लाइट्स की टिकट 50 हज़ार से 70 हज़ार तक पहुंच गई है।बताया जा रहा है कि कुवैत में बनैद-अल-गर शहर के इस्तिकलाल इमारत की 17 और 18 जून को लाइट काटने के बाद कुवैत पुलिस ने उन इमारतों में रहने वाले 500 भारतीय मजदूरों को हिरासत में लिया है। भारतीय मजदूरों को पकड़ते हुए कुवैत सरकार के आंतरिक और राज्य मंत्रालय ने एक वीडियो भी जारी किया है। भारतीय मजदूरों ने अपने परिजनों को बताया है कि पुलिस ने पिछलें रविवार को जिन 500 लोगों को पकड़ा है, उन्हें कुवैत की एक स्कूल में बंद कर रखा है, उसमें ज़्यादातर मज़दूर डूंगरपुर और बांसवाड़ा के है। वहीं बनैद-अल-गर शहर के रहने वाले अन्य मज़दूर पुलिस के डर से इधर-उधर छुप रहे हैं। भारतीय मजदूरों ने बताया कि कुवैत पुलिस की करवाई से डरे हुए हैं तथा गलियों, सड़को, होटल के बाहर आदि स्थानों पर छुप रहे है। वे अपनी आपबीती का वीडियो बनाकर सोशल मीडिया पर भी डाल रहें है और अपने परिवार वालों के साथ शेयर कर रहें हैं लेकिन कुवैत पुलिस ने उन्हें चेतावनी दी है कि ऐसा करने वालों की गिरफ्तारी की जायेगी। पुलिस की इस धमकी से है।

 

कुवैत सरका द्वारा जारी कुछ वीडियो में भी कामगारों को गिरफ्तार कर बसों में बैठा करके लेकर जाते हुए दिखाया गया है। मजदूरों को किसी स्कूल के हॉल में बंद कर रखा है। वीडियो में मज़दूर कुवैत सरकार द्वारा दिया खाना खाते भी नजर आ रहे है। कुवैत में मजदूरों को पकड़ने की खबर सुनकर भारत में उनके परिवार के लोग चिंतित हों रहें है। उनके घर वाले बता रहें है कि अब उनसे कोई संपर्क भी नहीं हो रहा है। उन्हें कहा बंद कर रखा है। यह भी पता नहीं लग पा रहा हैं।कुवैत में रहने वाले मज़दूरों के रिश्तेदारो और मित्रों ने उन्हें पकड़े जाने की सूचना दी है। वहीं कुवैत पुलिस पकड़े गए मजदूरों के जल्द भारत भेजने की तैयारी कर रही है। कुवैत के नियमों के अनुसार एक बार गिरफ्तार व्यक्ति दौबारा कुवैत नहीं जा सकता है।

 

आग लगने के बाद पूरे कुवैत सरकार बहुत सख्ती बरत रही है और वहाँ की सरकार ने गैर क़ानूनी मकानों की आशंका में उनकी खोज करना और ऐसे मकानों को ख़ाली करवाना शुरु कर दिया हैं। वहाँ के मकानों की बिजली काट दी गई हैं। इससे भारतीय समुदाय के लोग अधिक परेशान हो रहें है और भीषण गर्मी के मौसम में अपने सामान के साथ रोड़ पर रात गुजारने को मजबूर हो रहें है।बताया जा रहा हैं कि अगले माह से बिना वीसा ग़ैरकानूनी तरीक़े से कुवैत में रहने वालो की धरपकड़ भी शुरू होने वाली है।वैसे यह भी बताया जा रहा है कि कुवैत में ग़ैरकानूनी तरीक़े से रहने वालो लोगों को एक माह में वहाँ से निकल जाने को कहा गया हैं।

 

वागड़ के मोड़ मेवाड़ा कलाल समाज सेवा संस्थान ने कुवैत में फंसे भारतीयों को शीघ्र राहत देने के लिए प्रधानमंत्री एवं मुख्यमंत्री से मांग की है। समाज अध्यक्ष चिमनलाल कलाल गैंजी एवं समाज संरक्षक नगीनलाल बिलपन ने बताया कि राजस्थान एवं गुजरात सहित देश के विभिन्न भागों से लाखों की तादाद में भारतीय विभिन्न वीजा के माध्यम से कुवैत में रोजगार के लिए गए हुए हैं एवं रोजगार कर अपने परिवारजनों का पेट पाल रहे हैं। कुवैत सरकार द्वारा विभिन्न कारण बताते हुए हजारों भारतीय नागरिकों को जेल में बंद कर दिया गया है। कई भारतीयों के बिजली नल आदि के कनेक्शन को काट दिया है और यहां के लोग सड़क पर आकर भूखे-प्यासे छिपते फिर रहे हैं। इसमें बड़ी संख्या में राजस्थान के डूंगरपुर, बांसवाड़ा एवं उदयपुर जिले तथा गुजरात के साबरकांठा एवं अरावल्ली जिलों के सर्व समाज के हजारों परिवारजनों का रोजगार संकट में हैं तथा उनके परिवार जन यहां काफी चिन्तित हैं। कलाल समाज ने केन्द्र व राज्य सरकार से कुवैत सरकार से त्वरित गति से अविलम्ब हस्तक्षेप कर इस क्षेत्र के कुवैत में फंसे सर्व समाज जनों को राहत प्रदान करते हुए सहयोग कर रोजगार से वापस जोड़ने का निवेदन किया है।

 

उल्लेखनीय है कि पिछलें दिनों कुवैत में एक रिहायशी इमारत में भीषणआग लग गई थी। वहाँ के समयानुसार यह हादसा बुधवार 12 जून को सुबह करीब 4:30 बजे हुआ था। जिसमें 50 लोगों की मोत हो गई थी।मरने वालों में 46 भारतीय भी शामिल थे और सर्वाधिक केरल के 23 लोगों की जान गई थी। कुवैती फायर फोर्स के मुताबिक यह आग इलेक्ट्रिकल सर्किट में शॉर्ट सर्किट के कारण लगी थी। उस वक्त सभी कामगार सो रहे थे। उसके बाद से वहाँ कुवैत सरकार पुरानी और असुरक्षित मानी जाने वाली इमारतों को ख़ाली करवा रही है। जिस कारण बड़ी संख्या में लोग बेघर हो रहे है। साथ ही लोगों को पुलिस पकड़ कर बंद भी कर रही है। जिन शहरों में इमारतों को ख़ाली कराया जा रहा है,उनमें ज़्यादातर भारतीय मज़दूर रहते है। ऐसे में कुवैत में रहने वाले भारतीय सहमे हुए हैं। उन्होंने भारत सरकार से सुरक्षा की मांग की है। हालाँकि कुवैत के अमीर शेख मेशल अल-अहमद अल-जाबेर अल-सबाह ने घोषणा की है कि मृतकों के परिजनों को साढ़े 12 लाख का मुआवजा दिया जाएगा। कुवैत के सरकारी सूत्रों के मुताबिक, यह पैसे विदेशी कामगारों के दूतावास को दिए जाएंगे, जहां से ये उनके परिजनों तक पहुंचेंगे। मरने वालों में भारत के अलावा फिलिपींस के भी नागरिक थे।

देखना है भारत सरकार आने वाले दिनों में कुवैत में रहने वाले भारतीयों की सुरक्षा के लिए क्या कदम उठाती है?