

Responsible Teachers : गोद में बच्चा, घर से 70 किमी की दूरी और परीक्षा केंद्र की जिम्मेदारी, कौन है ये जुझारू टीचर्स!
इन टीचर्स के लिए पारिवारिक जिम्मेदारी और नौकरी दोनों ही जरूरी!
Khandwa : यहां की कुछ महिला शिक्षिकाओं ने जिम्मेदारी के प्रति अपने समर्पण का अनोखा उदाहरण पेश किया। उन्होंने काम का अपना दायित्व भी निभाया और मातृत्व की जिम्मेदारी से भी मुंह नहीं मोड़ा। इन शिक्षिकाओं ने परीक्षा ड्यूटी के 70-80 किमी दूर जाकर ड्यूटी दी और अपने साथ दूधमुंहे बच्चों को भी साथ ले गई ताकि उन्हें भी संभाल सके।
कुछ महिला शिक्षिकाएं परीक्षा ड्यूटी के दौरान छोटे बच्चों को गोद में लेकर परीक्षा केंद्र पर पहुंचीं। दूरी ने उनके हौसले को नहीं तोड़ा और न जिम्मेदारी से पीछे हटने दिया। बच्चों को गोद में लेकर परीक्षा की निगरानी करते हुए इन शिक्षिकाओं का समर्पण देखने काबिल था। इन समर्पित शिक्षिकाओं से जब बात की, तो उन्होंने बताया कि उनके लिए परिवार और नौकरी दोनों ही जरूरी हैं। वे अपने बच्चों को छोड़कर नहीं आ सकती थीं। लेकिन, ड्यूटी भी निभाना थी, इसलिए उन्हें साथ लाना पड़ा। इन शिक्षिकाओं के इस समर्पण को देखकर वहां मौजूद हर कोई भावुक हो गया।
परीक्षा केंद्र पर अपनी जिम्मेदारी निभाने के बाद ये महिलाएं घर जाकर परिवार की देखभाल भी करती हैं। घर और नौकरी के बीच संतुलन बनाए रखना इनके लिए किसी चुनौती से कम नहीं। लेकिन, इन शिक्षिकाओं ने यह कर दिखाया. यह कहानी प्रेरणा है कि महिला चाहे तो हर परिस्थिति में अपने कर्तव्य को निभा सकती है।
कौन है ये जुझारू शिक्षिकाएं
जुझारूपन की मिसाल बनीं शिक्षिकाओं में नेहा विश्वकर्मा, शादाब परवीन शेख और फिरदोष शेख शामिल हैं। उनकी ड्यूटी खंडवा के अलग-अलग परीक्षा केंद्रों में लगी थी। लेकिन, उन्होंने पूरी निष्ठा के साथ अपनी जिम्मेदारी निभाई। इन शिक्षिकाओं का समर्पण बताता है कि आज भी समाज में ऐसी महिलाएं मौजूद हैं, जो अपने साहस और कर्तव्यपरायणता से हर मुश्किल से मुकाबला कर सकती हैं।
प्रेरणा बनी ये शिक्षिका
इन शिक्षिकाओं की कहानी उन सभी महिलाओं के लिए प्रेरणा है, जो कभी-कभी हालातों से घबराकर अपने सपनों और जिम्मेदारियों के बीच संतुलन नहीं बना पाती। खंडवा की इन शिक्षिकाओं ने साबित कर दिया कि नारी शक्ति हर परिस्थिति में डटकर खड़ी रह सकती है और अपनी जिम्मेदारियों को बखूबी निभा सकती है।