

Retirement from Test Cricket : स्टार क्रिकेटरों के टेस्ट में संन्यास में हेड कोच गौतम गंभीर की भूमिका, ‘स्टार कल्चर’ खत्म करने का नतीजा!
New Delhi : टीम इंडिया में इन दिनों टेस्ट क्रिकेट से संन्यास लेने का दौर चल रहा है। रोहित शर्मा के बाद दूसरे स्टार क्रिकेटर विराट कोहली ने भी टेस्ट क्रिकेट को बाय कह दिया। सबसे पहले रविचंद्रन अश्विन ने टेस्ट क्रिकेट छोड़ा था। बताया गया कि हेड कोच गौतम भी इन खिलाड़ियों के संन्यास का बड़ा कारण है। वे टीम इंडिया में स्टार कल्चर को खत्म करने की कोशिश में लगे थे, जिसका नतीजा ये हुआ कि बड़े खिलाड़ी टेस्ट क्रिकेट से दूरी बनाने लगे।
ये पहली बार नहीं है, टीम इंडिया के हेड कोच रहे ग्रेग चैपल ने भी जब अपनी ताकत दिखानी चाही, तो उन्हें पद छोड़ना पड़ा था। अनिल कुंबले भी टीम के ‘सुपरस्टार कल्चर’ से परेशान होकर अलग हुए, लेकिन लगता है कि गौतम गंभीर भारतीय क्रिकेट के बिरले मुख्य कोच हैं, जिनके पास कप्तान से ज्यादा ताकत है। भारतीय क्रिकेट में ऐसे असंख्य उदाहरण हैं जब खिलाड़ियों की ताकत के सामने मजबूत कोचों को पीछे हटना पड़ा।
बिशन सिंह बेदी, ग्रेग चैपल और अनिल कुंबले खुद चैंपियन खिलाड़ी रहे, लेकिन उन्होंने सोचा भी नहीं होगा कि उन्हें कप्तान के सहायक की भूमिका निभानी पड़ेगी। जॉन राइट, गैरी कर्स्टन और रवि शास्त्री को यह बात पता थी और इसलिए वे काफी सफल रहे। रविचंद्रन अश्विन, रोहित शर्मा और विराट कोहली के संन्यास के बाद टेस्ट टीम में अब बड़े सितारे नहीं बचे, जिससे गौतम गंभीर को क्रिकेट की बिसात पर अपने मोहरे खुलकर चलने का मौका मिलेगा। बशर्ते वे मुख्य कोच बने रहें।
बताया गया कि गंभीर पहले से तय करके आए थे कि टीम में ‘स्टार कल्चर’ खत्म करना है। गौतम गंभीर युग की शुरूआत अब हुई है। उन्होंने साफ तौर पर कहा था कि विश्व टेस्ट चैंपियनशिप के नए चक्र में भारत को नए चेहरे चाहिए। टीम प्रबंधन में सभी को पता था कि टेस्ट प्रारूप में सीनियर खिलाड़ियों के भविष्य को लेकर गंभीर क्या सोचते हैं। मुख्य चयनकर्ता अजित अगरकर भी उनसे इत्तेफाक रखते थे।
भारतीय क्रिकेट में कप्तान हमेशा से सबसे मजबूत शख्स रहा है। सौरव गांगुली, महेंद्र सिंह धोनी, कोहली और रोहित सभी की टीम चयन में निर्णायक भूमिका रही है, लेकिन गंभीर के दौर में ऐसा नहीं है। राहुल द्रविड़ और रोहित शर्मा की जोड़ी संक्षिप्त, लेकिन प्रभावी रही। वहीं, रोहित और गंभीर की जोड़ी बहुत ज्यादा सहज नहीं दिखी। पहली बार मेगा सितारों की रवानगी में कोच की अहम भूमिका रही, लेकिन फिर यह ताकत दोधारी तलवार भी है।
भारतीय क्रिकेट के बदलाव के इस दौर में गंभीर चाहते थे कि बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफी और न्यूजीलैंड श्रृंखला जैसी विफलता के दोहराव से बचने के लिये उन्हें पूरी ताकत दी जाए। शुभमन गिल के रूप में उनके पास युवा कप्तान है जो उनकी सुनेगा। गिल स्टार हैं लेकिन उनका वह दर्जा नहीं है कि गंभीर के फैसलों और रणनीतियों पर सवाल उठा सके। एक ही खिलाड़ी उस कद का है और वह है जसप्रीत बुमराह, लेकिन फिटनेस के खराब रिकॉर्ड के कारण उनका कप्तान बनना संभव नहीं। ऐसे में गंभीर के पास पूरी ताकत होगी, लेकिन वनडे में उन्हें संभलकर काम करना होगा जिसमें रोहित और विराट की नजरें 2027 विश्व कप खेलने पर लगी होंगी।