बदला लेना भारतीय जनजीवन की सुदीर्घ परंपरा

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बदला लेना भारतीय जनजीवन की सुदीर्घ परंपरा

बदला लेना भारतीय जनजीवन की सुदीर्घ परंपरा है। एक वक्त था भिंड मुरैना में लड़के पैदा किए जाने की मुख्य वजह यही थी। यही कि बदला लेना है। किससे ? अपने ताऊ से। चाचा से। पड़ौसी से। और पता नही किससे। किस बात का बदला लिया जाना है ? पड़ोसी के लकड़दादा ने हमारे परदादा का दो फुट खेत दबा लिया था। ताऊ ने मकान से हिस्सा नही दिया। फलाने के बाबा ने हमारे दादा के खेत की मेड़ तोड़ कर पानी चुरा लिया था। हमारे बाप उसकी भैंस खोल लाए थे तो उसके बाप ने हमारे बाप को गोली मार दी थी। पाँच पीढी पहले उनके खानदान के पता नही कौन हमारे खानदान के पता नही किसकी लड़की भगा ले गए थे। खून खच्चर हुआ था तब। और उसका बदला लेने के लिए तभी से गोलियाँ चल रही हैं।

कुछ बदले खानदानी होते है। बस इतना पता होता है कि फलाने से बदला लिया जाना है। किस बात का बदला लिया जाना है वो ज्यादा ध्यान नही। पीढ़ियों पुराने झगड़े। उसके बब्बा ने हमारे दद्दा को गोली मारी थी तो हमारा भी फर्ज है कि हम उसके बाप को गोली मारें और जेल चले जाए। ऊपर जो लड़के पैदा करने का जिक्र है वो इसी बाबत है। एकाध लड़का बदला लेने के प्रयोजन से अतिरिक्त पैदा किया जाता है। कि वो बडा हो। पड़ौसी को गोली मारे। जेल जाए। ऐसा तब भी होता है गोली मारने वाले के खानदान वालों को कलेजे में ठंडक पड़ती है।फिर जिसने गोली खाई है उसके भाई बंदों का भी फर्ज बन जाता है कि वो भी एकाध लड़का फालतू पैदा करें जो इस गौरवशाली परम्परा को जारी रख सके।

हमारी हिंदी फ़िल्मों मे कुछ साल पहले तक हीरो क्या करता था ? यही करता था। वो बस बदला लेता था और इसीलिए हीरो था। बाप को मार दिया। साहूकार ने अम्मा छेड़ी। विलेन ने बहन से बदतमीज़ी की जैसे महत्वपूर्ण मामलों मे बदला लिए जाने की कार्यवाही उसे हीरो बनाती थी।

बदला लेना पड़ता है आदमी को। न ले तो मूँछों का सवाल आ जाता है। अम्मा दूध का ताना देती है। बीबी मर्दानगी पर शक करती है। लोग हँसते हैं देखकर। बदला लेने काम छोड़ दे आदमी तो कट्टे तमंचे बनाने वाले भूखे मर सकते हैं। ये भी न करे जनता तो पुलिस अदालतें क्या करेंगी ? बदला लेना छोड़ दे लोग तो फिर जेलों का क्या होगा। सबकी रोजी रोटी चलती रहे ,जीवन का कुछ उद्देश्य बचा रहे इसलिए बदला लिए जाते है।

और फिर देश बदला लेते हैं। सरकारें बदला लेती हैं। सरकारी मुलाजिम बदला लेते हैं। इसलिए लेते हैं क्योंकि वो हम ही हैं। उसने बिगड़ा तो उससे बेहतर बिगाड़ कर दिखाएँगे। और फिर बदला लेना ज़िम्मेदारी है हमारी। हम इससे भाग नही सकते। हम भागना नही चाहते। बदला जितने जल्दी लिए जाए उतने ज्यादा असरकारी दिखता है। बदला लेने वाले की तारीफ़ें होती हैं , ऐसे में फौरन से पेश्तर बदला ले लिया जाना चाहिए भले उसके लिए कूड़ा बिखराने जैसे काम ही क्यों न करना पड़े।