Rights After 32 Years : हुकुमचंद मिल के मजदूरों को 32 साल बाद मिलेगा अपना हक़, 174 करोड़ रुपए के साथ मिलेंगे ब्याज के 44 करोड़!
Indore : हुकमचंद मिल के मजदूरों को 32 साल बाद अपने हक का पैसा मिलेगा। वे बरसों से इसके लिए लड़ाई लड़ रहे हैं। बकाया 174 करोड़ के अलावा करीब 44 करोड़ रुपए का ब्याज भी मजदूरों को मिलेगा। बुधवार रात प्रदेश सरकार ने चुनाव से पहले अपनी आखिरी कैबिनेट बैठक में मजदूरों को मूल राशि के ब्याज का 50 फीसदी (44 करोड़ रुपए) देने का फैसला लिया।
मजदूरों को जल्द 218 करोड़ रुपए मिलेंगे। मिल की करीब 42.5 एकड़ जमीन पर हाउसिंग बोर्ड रेसीडेंशियल और कमर्शियल प्रोजेक्ट लाएगा और उसके एवज में मजदूरों सहित अन्य बकायदारों को पैसे देगा। शुक्रवार को हाईकोर्ट में मजदूरों की याचिका पर सुनवाई हुई। मजदूरों को उम्मीद है हाउसिंग बोर्ड कोर्ट में बकाया और ब्याज की राशि का चेक जमा कर देगा।
औसतन 4-4 लाख रुपए मिलेंगे
यह मामला 12 दिसंबर 1991 का है जब हुकमचंद मिल बंद हुई थी। 5895 मजदूरों को नौकरी से निकाल दिया गया था। उसके बाद से ही वे अपने हक के पैसों के लिए लड़ रहे है। इन 5895 में से करीब 2200 मजदूरों की मौत हो चुकी है। तंगहाली के चलते 69 मजदूरों ने आत्महत्या कर ली। कुछ की तो तीसरी पीढ़ी पैसों के लिए चक्कर काट रही है। कैबिनेट के फैसले से 5895 मजदूरों और उनके परिजन को औसत 4-4 लाख रुपए मिलेंगे। समझा जा रहा है कि तीन दशक बाद मजदूरों को उनके हक़ का पैसा जल्दी मिलेगा। उन्हें उम्मीद है कि हाउसिंग बोर्ड जल्द चेक देगा, ताकि मजदूरों के खाते में पैसे आ सकेंगे। 88 के बजाए 44 करोड़ ब्याज मिल रहा है। उससे भी मजदूर खुश हैं। क्योंकि, वे भी कोर्ट के चक्कर लगाते-लगाते थक गए हैं।
2007 में हुए थे कोर्ट के आदेश
मिल बंद होने के बाद 1996 में मजदूरों ने पहली बार पैसों के लिए जनहित याचिका दायर की थी। लेकिन, उन्हें कोई राहत नहीं मिली। 20 जुलाई 2001 को लिक्विडेशन के साथ मामला फिर हाईकोर्ट में पहुंचा था। 6 अगस्त 2007 को कोर्ट ने 229 करोड़ रुपए मजदूरों को देने के आदेश दिए। लेकिन, सरकार ने पैसे नहीं दिए और मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच गया। 3 मई 2017 को कोर्ट ने सख्ती दिखाते हुए सरकार को 50 करोड़ रुपए तत्काल देने के आदेश दिए थे। इसके बाद जमीन नीलामी के भी आदेश दिए गए।