करोद की 10 करोड़ की सड़क मेट्रो के काम से बदहाल, फिर होगा निर्माण

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करोद की 10 करोड़ की सड़क मेट्रो के काम से बदहाल, फिर होगा निर्माण

भोपाल। राजधानी में करोड़ों की सड़कों को बनाने और फिर बनाने का खेल चल रहा है। ताजा मामला इस समय पीडब्ल्यूडी की 10 करोड़ की करोद चौराहे से करोद मंडी तक की सड़क का है। इसको मेट्रो के काम के चलते खोदा गया है। खास बात इसमें यह है कि जब सबको पता था कि यहां पर मेट्रो का काम होना है तो उसको बाद में बनाया जा सकता था। पर पीडब्ल्यूडी के अधिकारियों की लापरवाही और जल्दबाजी के कारण ऐसा नहीं किया गया।
क्यों अनजान बने रहे अधिकारी
मेट्रो की कार्यवाही कोई नई नहीं है। इसकी प्लानिंग शहर में तकरीबन दस साल से चल रही है। इस मामले में पीडब्ल्यूडी के अधिकारियों को पता था कि यहां पर काम होना है लेकिन बजट को खपाने की चेष्ट में अधिकारियों ने आंखें मूंद कर इस सड़का का काम कराया ताकि बाद में खुदाई के चक्कर में उसकी गुणवत्ता की बात ही न हो। इस स्मार्ट रोड का प्लान 2021 में बनाया गया था उस समय भी मेट्रो मूवमेंट की तरफ ध्यान नहीं दिया गया। अधिकारियों क अनजान बने रहने की वजह उनका इंटरेस्ट है जिसकी वजह से उन्होंने इस तरफ ध्यान नहीं दिया।
*अब क्या होगा*
मेट्रो कंपनी के काम पूरे होने के बाद इस रोड को फिर से बनाया जाएगा। इस संबंध में पीडब्ल्यूडी के चीफ इंजीनियर संजय मस्के का कहना है कि इस सड़क का रिन्यूअल किया गया था।  अब इस का निर्माण मेट्रो के काम को पूरा होने के बाद किया जाएगा। इससे पहले पीडब्ल्यूडी  ने नगर निगम को लिखा था कि वह उसकी बनी बनायी सड़कों को न खोदे इस पर निगम ने उससे कहा था कि किसी भी सड़क के निर्माण से पहले उससे पूछा जाए कि वहां पर पाइप लाइन अथवा सीवेज लाइन को डालने की प्लानिंग तो नहीं है। कुल मिला कर यह कहा जा सकता हैकि विभागीय तालमेल की कमी के कारण यह उलझन हो रही है जिसका खामियाजा लोगों को भुगतना पड़ता है।
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*क्या होना चाहिए*
राजधानी में बनने वाली सड़कों के निर्माण या टेडरिंग से पहले उस रूट पर दूसरे विभाग क्या क्या काम कर रहे हैं इसकी ट्यूनिंग दूसरे विभागों से बराबर होनी चाहिए। इसके लिये पहले वर्किंग एजेंसी की कम्युनिकेशन स्किल होनी चाहिए  ताकि कोई भी  विभाग किसी रूट पर काम करने की प्लानिंग करने से पहले डेवलपमेंट एजेंसी से तालमेल कर वहां की स्थिति का जायजा लेने के बाद भी आगे की प्लानिंग करें।