
Roar of ‘Tiger State’ : बाघों की संख्या और संरक्षण में मध्यप्रदेश ने रचा नया इतिहास, विश्वभर में साख बढ़ी!
‘मीडियावाला’ के स्टेटहेड विक्रम सेन की रिपोर्ट!
Bhopal : मध्यप्रदेश कभी अपनी सांस्कृतिक विरासत, ऐतिहासिक धरोहरों और आध्यात्मिक स्थलों के लिए जाना जाता था। अब ‘टाइगर स्टेट’ के रूप में अंतरराष्ट्रीय पहचान बना चुका है। बाघों की संख्या और संरक्षण की दिशा में किए गए नवाचारों के चलते मध्यप्रदेश न केवल भारत में बल्कि वैश्विक स्तर पर भी शीर्ष पर पहुँच गया। मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव के नेतृत्व में हुए सक्रिय प्रयासों और नवाचारों ने राज्य को वन्यजीव संरक्षण की दिशा में अग्रणी बना दिया है।
ग्लोबल टाइगर फोरम (2022) की रिपोर्ट के अनुसार, विश्व में अनुमानित 5,574 से 6,000 बाघों में से 65% भारत में पाए जाते हैं। भारत में बाघों की कुल संख्या 3682 से 4000 के बीच आंकी गई है, जिनमें अकेले मध्यप्रदेश का योगदान 785 से 900 के बीच है। यह स्पष्ट करता है कि देश के ‘हृदय’ कहे जाने वाले इस प्रदेश ने बाघों की रक्षा और उनकी संख्या में वृद्धि में निर्णायक भूमिका निभाई है।
राज्य में कुल 9 बाघ अभ्यारण्य
– कान्हा किसली
– बांधवगढ़
– पेंच
– पन्ना
– सतपुड़ा
– संजय दुबरी (सीधी)
– नौरादेही
– माधव नेशनल पार्क
– डॉ विष्णु वाकणकर टाइगर रिज़र्व (रातापानी)
इनमें से बांधवगढ़ और कान्हा अभ्यारण्य विशेष रूप से बाघों की उच्चतम संख्या के लिए जाने जाते हैं। कान्हा टाइगर रिजर्व का स्थान बाघ प्रबंधन के लिए देश में सर्वोच्च आंका गया है, वहीं सतपुड़ा टाइगर रिजर्व को यूनेस्को की विश्व धरोहर सूची में शामिल किया गया है।
बाघ अभ्यारण्यों का विस्तार और गुणवत्ता सुधार
– दो सौ से अधिक गांवों का पुनर्वास, जिससे कोर एरिया जैविक दबाव से मुक्त हुआ।
– वन्य प्राणियों के व्यवहार अनुसार प्राकृतिक परिवेश तैयार करना।
– मोबाइल ऐप आधारित निगरानी प्रणाली लागू करना।
– रेस्क्यू सेंटर की स्थापना उज्जैन, जबलपुर में कार्य प्रारंभ।
– व्हाइट टाइगर ब्रीडिंग सेंटर” की स्थापना रीवा जिले के गोविंदगढ़ में।
व्हाइट टाइगर : मध्यप्रदेश की विशिष्ट विरासत
विश्व में अद्वितीय श्वेत बाघ केवल भारत में ही पाए जाते हैं और इनकी जन्मस्थली है मध्यप्रदेश का विन्ध्य क्षेत्र। गोविंदगढ़ में स्थापित ‘व्हाइट टाइगर ब्रीडिंग सेंटर’ अब वैश्विक आकर्षण बन चुका है। वर्तमान में यहां चार श्वेत बाघ संरक्षित हैं, जिनकी संख्या धीरे-धीरे बढ़ रही है।

बाघ बना आकर्षण का केन्द्र
वन्यजीव पर्यटन में भी मध्यप्रदेश देश का सिरमौर बनकर उभरा है। वर्ष 2023-24 की तुलना में 2024-25 में विदेशी पर्यटकों की संख्या में 25-30% की वृद्धि हुई। कुछ प्रमुख आंकड़े:
– टाइगर रिजर्व विदेशी पर्यटक (2023-24) विदेशी पर्यटक (2024-25)
– बांधवगढ़ : 25,894 32,528
– कान्हा : 18,179 23,059
– पन्ना : 12,538 15,201
– पेंच : 9,856 13,127
– सतपुड़ा : 6,876 10,038
पिछले पाँच वर्षों में कुल 8,24,379 पर्यटक मध्यप्रदेश के टाइगर रिजर्व में आए, जिनमें 85,742 विदेशी पर्यटक थे। पर्यटन विकास के लिए सरकार ने सुरक्षित वाहन, प्रशिक्षित गाइड और सुविधाजनक मार्गों की व्यवस्था की है।
राष्ट्रीय नीति में योगदान
प्रधानमंत्री ₹ नरेंद्र मोदी ने भी बाघ संरक्षण में मध्यप्रदेश की भूमिका की प्रशंसा की है। ‘चीता पुनर्स्थापन योजना’ के अंतर्गत उज्जैन और जबलपुर में चीतों को फिर से बसाने का काम हो रहा है। यह मध्यप्रदेश की सरकार की दूरदृष्टि और प्रतिबद्धता को दर्शाता है।
विश्व स्तर पर छाया टाइगर स्टेट
मध्यप्रदेश अब केवल एक राज्य नहीं बल्कि बाघों के संरक्षण, संवर्धन और पर्यावरणीय नवाचारों का एक अंतरराष्ट्रीय उदाहरण बन गया है। यहां की बाघ नीति ने न केवल पर्यावरण संतुलन को मजबूत किया बल्कि सतत पर्यटन और जैव विविधता को भी समृद्ध किया है।
बाघों की गूंज से दहाड़ता मध्यप्रदेश अब पूरे विश्व को संरक्षण का संदेश दे रहा है ‘जहां बाघ सुरक्षित, वहीं प्रकृति समृद्ध’





