RSS Statement Amid Language Controversy : प्राथमिक शिक्षा मातृभाषा में ही हो, भाषा विवाद के बीच RSS का बयान!

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RSS Statement Amid Language Controversy : प्राथमिक शिक्षा मातृभाषा में ही हो, भाषा विवाद के बीच RSS का बयान!

सुनील आंबेकर ने कहा ‘देश की सभी भाषाएं राष्ट्र भाषाएं, ऐसे में भाषा को लेकर कोई विवाद नहीं होना चाहिए!’

New Delhi : महाराष्ट्र और दक्षिणी राज्यों में चल रहे भाषा विवाद के बीच आरएसएस का बयान सामने आया। दिल्ली में हुई तीन दिन की भारतीय प्रांत प्रचारक बैठक के बाद मीडिया से बात करते हुए संघ के अखिल भारतीय प्रचार प्रमुख सुनील आंबेकर ने कहा कि भारत की सभी भाषाएं राष्ट्र भाषाएं हैं। संघ का मानना है कि प्राथमिक शिक्षा मातृभाषा में होनी चाहिए।

महाराष्ट्र और तमिलनाडु में हिंदी को लेकर चल रहे विवाद के बीच आरएसएस के इस बयान को अहम माना जा रहा है। नई शिक्षा नीति के तहत भारत सरकार ने हिंदी को तीसरी भाषा के रूप में शामिल करने की बात कही थी। महाराष्ट्र सरकार ने इसको लेकर आदेश भी जारी कर किया था। हालांकि, विवाद के बाद फडणवीस सरकार ने अपने दोनों आदेश वापस ले लिए।

आंबेकर राजधानी में तीन दिनों तक चल प्रांत प्रचार प्रमुखों की बैठक के बाद एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि संघ एक सामाजिक संगठन है जो देश की प्रगति और समाज के हर वर्ग के कल्याण के लिए काम करता है। उन्होंने बताया कि प्रांत प्रचारकों की बैठक में तीन प्रमुख मुद्दों पर चर्चा हुयी है जिसमें मणिपुर की स्थित का विषय भी था। उन्होंने कहा कि कार्यकर्ताओं ने पहलगाम हमले बाद आंतकवादियों के खिलाफ चलाए गए ऑपरेशन सिन्दूर पर भी बैठक में अपने विचार रखे। बीते तीन दिनों से दिल्ली के केशवकुंज में आरएसएस की प्रांत प्रचारक बैठक चल रही थी।

संघ की शताब्दी वर्ष पर बड़ी योजना

सुनील आंबेकर ने बताया कि प्रांत प्रचारक बैठक में शताब्दी वर्ष की योजना को लेकर चर्चा हुई। शताब्दी वर्ष के दौरान समाज के सभी वर्गों की सहभागिता से ग्रामीण क्षेत्रों में मंडल और शहरी क्षेत्रों में बस्ती स्तर पर हिन्दू सम्मेलनों का आयोजन किया जाएगा। वर्तमान में देश में संघ रचना से 58964 मंडल, 44055 बस्तियां हैं। हिन्दू सम्मेलनों में समाज के उत्सवों, सामाजिक एकता व सद्भाव, पंच परिवर्तन के विषयों पर चर्चा होगी। इसी प्रकार समाज में सद्भाव-समरसता को बढ़ावा देने के लिए 11360 खंडों/नगरों में सामाजिक सद्भाव बैठकों का आयोजन होगा। संघ रचना के अनुसार देश के 924 जिलों में प्रमुख नागरिक गोष्ठियों का आयोजन किया जाएगा। समूह, व्यवसाय, वर्ग के अनुसार गोष्ठियों में भारत के विचार, भारत के गौरव, भारत के स्व आदि विषयों पर चर्चा होगी।

उन्होंने बताया कि वृहद गृह संपर्क अभियान के तहत हर गांव, हर बस्ती के अधिकतम घरों तक पहुंचने का प्रयास किया जाएगा। शताब्दी वर्ष के सारे कार्यक्रमों का उद्देश्य व्यापक आउटरीच है। भौगोलिक, सामाजिक दृष्टि से समाज के सभी लोगों तक जाना और सभी कार्यों में उनकी सहभागिता हो। यह अभियान एक तरह से सर्वसमावेशी, सर्वस्पर्शी होगा। विजयादशमी उत्सव से शताब्दी वर्ष का शुभारंभ होगा। देशभर में आयोजित विजयादशमी उत्सवों में सभी स्वयंसेवक शामिल होंगे।

100 प्रशिक्षण वर्गों का आयोजन किया

यह भी जानकारी दी कि अप्रैल से जून तक देश भर में 100 प्रशिक्षण वर्गों का आयोजन किया गया। 40 वर्ष से कम आयु वर्ग के स्वयंसेवकों के लिए आयोजित 75 वर्गों में 17609 स्वयंसेवकों ने प्रशिक्षण प्राप्त किया। इसी प्रकार 40 से 60 वर्ष की आयु के लिए आयोजित 25 वर्गों में 4270 शिक्षार्थियों ने भाग लिया। इन प्रशिक्षण वर्गों में देश के 8812 स्थानों से स्वयंसेवकों की सहभागिता रही। एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि लालच, जबरदस्ती, मजबूरी का लाभ उठाकर, और षड्यंत्र करके धर्मान्तरण गलत है।