RTI: 2 अफसरों पर 25-25 हजार के जुर्माने

विभाग की ही एक कर्मचारी की अपीलों पर सूचना आयोग का फैसला

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RTI: 2 अफसरों पर 25-25 हजार के जुर्माने

भोपाल। राज्य सूचना आयुक्त विजय मनोहर तिवारी ने महिला बाल विकास विभाग की दो महिला अफसरों पर 25-25 हजार रुपए के जुर्माने किए हैं। विभाग की ही एक महिला कर्मचारी को आरटीआई के जरिए चाही गई जानकारी नहीं देने पर यह निर्णय लिया गया। इन अधिकारियों के नाम हैं-रचना बुधोलिया और प्रेमवती चढ़ार। एक मामले में आवेदक से ली गई 32 सौ रुपए की फीस भी लौटाने का आदेश दिया गया है।

आवेदक ऋचा दुबे ने 25 मई 2022 को विभाग के सागर कार्यालय से आवक-जावक पंजी की कॉपी चाही थी। लोक सूचना अधिकारी ने समय सीमा में उनसे 32 सौ रुपए की राशि शुल्क के रूप में ली। लेकिन जानकारी नहीं मिली। प्रथम अपीलीय आदेश के बावजूद 15 दिन में दस्तावेज नहीं दिए गए तो मामला आयोग के समक्ष आया। आयोग ने धारा 20 के तहत जुर्माने का नोटिस जारी किया। अपने बचाव में लोक सूचना अधिकारी रचना बुधौलिया ने कहा कि जानकारी विस्तृत थी और पंचायत चुनाव के कारण जानकारी देना संभव नहीं हुआ। सुनवाई में सूचना आयुक्त ने बचाव की दलीलों को अमान्य करते हुए 25 हजार रुपए का जुर्माना किया और शुल्क की 32 सौ रुपए की रकम लौटाने आदेश दिए। अपीलार्थी को छह माह के विलंब से जानकारी मिली।

एक अन्य आवेदन में विभाग के मालथौन कार्यालय में 07 अप्रैल 2022 को ऋचा दुबे ने आंगनबाड़ी भवनों के किराए से जुड़े दस्तावेज मांगे। लेकिन न 30 दिन में कोई जवाब दिया गया, न ही प्रथम अपीलीय आदेश का पालन हुआ। आयोग की सुनवाई में यह हर स्तर पर सूचना के अधिकार की अवहेलना का प्रकरण माना गया। अपीलार्थी का कहना था कि आंगनबाड़ियों के किराए के नाम पर यह वित्तीय अनियमितताओं के दस्तावेज हैं। इसलिए जाानबूझकर टालमटोल की गई। उन्हें मजबूर होकर आयोग तक सुनवाइयों मंे आना पड़ा। अंतत: दस माह के विलंब से उन्हें जानकारी मिली। लोक सूचना अधिकारी प्रेमवती चढ़ार को भी इस मामले में नोटिस दिया गया और 25 हजार रुपए जुर्माने का आदेश हुआ। आयोग ने अपने निर्णय में कहा कि महिला बाल विकास विभाग के एकाधिक मामलों में यह देखा गया है कि लोक सूचना आधिकारियों को अपनी भूमिका का ही ज्ञान नहीं है।

-“सूचना का अधिकार कानून 18 साल पुराना हो चुका है। लेकिन लोक सूचना अधिकारियों को 30 दिन की अमूल्य समय सीमा संज्ञान नहीं है। मामूली सी जानकारियों के प्रकरण आयोग तक आते हैं। कुछ विभागोंं का रवैया तो बेहद चिंताजनक है। प्रस्तुत प्रकरण इसी श्रेणी के हैं, जहां प्रत्येक स्तर पर कानून की अवहेलना साफ है।’

-विजय मनोहर तिवारी, राज्य सूचना आयुक्त।