काबिले गौर है सचिन की पायलटी…

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काबिले गौर है सचिन की पायलटी…

राजस्थान के खुले आसमान में चुनावी साल में सचिन की पायलटी काबिले गौर है। 2020 में तख्ता पलट की पूरी तैयारी विफल होने के बाद सचिन पायलट बैकफुट पर आए, पर उनका “मिशन फाइनल विन” जारी है। अब उनका नया पैंतरा गहलोत और वसुंधरा को एक साथ चित करने वाला है। यह बात पूरी तरह से साफ है कि उन्हें हिंदुत्व और भगवा से खास प्रेम है। यह तो बदकिस्मती ही रही कि गहलोत के दांव के सामने उनके पास घुटने टेकने के अलावा कोई विकल्प नहीं बचा था। और उपमुख्यमंत्री का ताज तजने के बाद वह एक कदम आगे बढ़ने के लिए दो कदम पीछे खींचने पर खुशी-खुशी मजबूर हो गए थे। पर अब चुनावी वित्तीय वर्ष में उन्होंने रिटर्न फाइल करना शुरू कर दिया है। पहला कदम है अशोक गहलोत सरकार के खिलाफ अनशन करना और आरोप है कि भाजपा सरकार में गफलत और वसुंधरा राजे के खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोपों में कोई कार्यवाही नहीं होना। गहलोत-राजे पर एक साथ हमला कर पायलट ने एक तीर से ही दोनों शिकार करने की बाजीगरी की है। गहलोत सरकार की विदाई का इंतजार करीब दिख रहा है और राजे को राह‌ से हटाकर अगर सचिन हिंदुत्व के भगवा रथ पर सवार होकर मिशन-2023 फतह कर राज-स्थान पर काबिज हो जाएं, तो पायलटी का लोहा मानने को सब मजबूर हो ही जाएंगे। खैर राज तो वक्त की मुट्ठी में कैद हैं, जो वक्त आने पर मुक्त होने ही हैं। सो पायलटी का आनंद सचिन उठा पाएंगे या नहीं, यह पता पूरी दुनिया को लगकर ही रहेगा।
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अब छत्तीसगढ़ के टीएस सिंहदेव तो सोनिया गांधी से मिलकर और राजनीतिक चर्चा कर खुद को समझा लेते हैं, पर पायलट तो शायद अब इससे बहुत ऊपर उठ चुके हैं। छत्तीसगढ़ के स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव ने 7 अप्रैल को ही नई दिल्ली में कांग्रेस की पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष सोनिया गांधी से मुलाकात की थी। यह मुलाकात करीब पौन घंटे की थी और सिंहदेव ने किसी भी तरह की राजनीतिक चर्चा से इंकार किया। उन्होंने इसे सौजन्य भेंट बताया और कहा कि उनकी कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे और छत्तीसगढ़ की प्रभारी महासचिव कुमारी सैलजा से छत्तीसगढ़ की राजनीतिक परिस्थितियों पर चर्चा हुई। अब समझने वाले समझते रहें और कयास लगाते रहें। पर सचिन पायलट और सिंहदेव में जनरेशन गैप है सो कार्यशैली में भी झलक रहा है। राजस्थान के पूर्व उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट ने बड़ा हमला बोला कि भ्रष्टाचार के मामले में अशोक गहलोत भाजपा नेताओं को बचा रहे हैं। इसके विरोध में पायलट 11 अप्रैल को शहीद स्मारक पर एक दिन का अनशन करेंगे। यानि सचिन भ्रष्टाचार के खिलाफ एक दिन का अनशन करेंगे। मकसद साफ है कि वसुंधरा पर कार्यवाही क्यों नहीं की गई। आरोप यही कि अशोक गहलोत की पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के साथ मिलीभगत है। राजे राज में जितने भी घोटाले हुए अशोक गहलोत ने सब दबा दिए। कांग्रेस पार्टी ने वादा किया था कि सत्ता में आएगी तो भ्रष्टाचार के मामलों की जांच करेंगे, मगर मिलेजुले खेल में सारे मामले दबा दिए गए। पायलट ने हवाला दिया कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को दो चिट्ठियां  28 मार्च 2022 और 2 नवंबर 2022 को लिखी हैं और कहा है कि हमने और आपने जो आरोप लगाए थे, उनकी जांच करवाइए, मगर कुछ नहीं हुआ। अब इससे ज्यादा क्या हो सकता है कि सचिन पायलट ही अशोक गहलोत के आरोपों के वीडियो दिखा रहे हैं, जिसमें गहलोत ने वसुंधरा पर आरोप लगाए थे। पायलट की नसीहत है कि हमारी विश्वसनीयता तब होगी, जब विपक्ष में रहकर जो आरोप लगाए जाते हैं, उन पर कार्रवाई की जाए।
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खैर लिफाफा देखकर कोई भी समझ सकता है कि खत का मजमून क्या है? अब “विश्वसनीयता” शब्द तो सचिन पायलट को देखकर या तो गर्व से भर जाता होगा या फिर पेड़ के पीछे खड़े होकर पायलट के वहां से गुजर जाने तक आंख बंद किए रहता होगा। पर यह बात भी है कि राजस्थान में आखिर कब तक कथित गहलोत- राजे मनमिलाप चलता रहेगा…। और पायलट यह कतई नहीं चाहते कि उन्हें इधर गहलोत ने दर्द दिया और उधर भी जाने का मन बनाया तो राजे भी सताने लगें। पायलट ने कहा कि केंद्र में विपक्ष के नेताओं को निशाना बनाने के लिए एजेंसियों का इस्तेमाल किया जा रहा है, लेकिन राजस्थान में एजेंसियों का इस्तेमाल अच्छे उद्देश्य के लिए भी नहीं किया जा रहा है। पायलट ने सवाल किया कि क्या अशोक गहलोत और वसुंधरा राजे की मिलीभगत चल रही है? बीते माह एक सभा के दौरान सचिन पायलट ने पेपर लीक का मुद्दा उठाया था। उन्होंने कहा था कि अगर बार-बार पेपर लीक हो रहे हैं तो इसकी जवाबदेही तय करनी होगी। कहा जा रहा है कि पेपर लीक में कोई नेता, कोई अधिकारी शामिल नहीं है, फिर तिजोरी में बंद कागज छात्रों तक कैसे पहुंच गए हैं? यह जादूगरी है।
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बता दें कि राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को सियासत में ‘जादूगर’ कहकर संबोधित किया जाता है। पर अब देखा जाए तो जादू दिखाने का भार अपने कंधों पर समेटने को पायलट सब्र खो रहे हैं। राजस्थान में विधानसभा चुनाव होने में अब छह महीने बचे हैं। ऐसे में पायलट का यह तंज तस्वीर साफ कर रहा है कि ‘कुछ लोगों को यह गुमान है कि हमारी उड़ान कुछ कम है, पर मुझे यकीन है कि आसमान कुछ कम है।’ और अब उड़ान, आसमान और सचिन की काबिले गौर पायलटी देखने का वक्त करीब है…।