फिर वही कहानी: लोकसभा चुनाव के 5वें चरण में भी 2019 की तुलना में हुआ कम मतदान

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फिर वही कहानी: लोकसभा चुनाव के 5वें चरण में भी 2019 की तुलना में हुआ कम मतदान

गोपेन्द्र नाथ भट्ट की त्वरित टिप्पणी

पूरे देश में मौसम का तापमान बहुत अधिक बढ़ गया है, लेकिन मतदान के प्रति मतदाताओं के उत्साह और चुनाव प्रचार की गर्मी में भी कोई कमी नहीं आ रही है। हालांकि पिछले चार चरणों की तरह पांचवें चरण में भी कम मतदान होने की कहानी दोहराई गई है और शाम पांच बजे तक के आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार देश के 8 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों की 49 लोकसभा सीटों पर 57.5 प्रतिशत मतदान ही दर्ज होने की जानकारी है,जबकि पांचवें चरण में जिन सीटों पर सोमवार को वोटिंग हुई है, वहां 2019 में कुल 62.01प्रतिशत मतदान दर्ज हुआ था।

 

सोमवार को 6 राज्यों और दो केंद्र शासित प्रदेशों उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, पश्चिम बंगाल,बिहार, झारखंड, ओडिशा, जम्मू-कश्मीर और लद्दाख की 49 सीटों पर वोटिंग हुई । इसमें कुल 695 उम्मीदवारों की किस्मत दांव पर लगी हुई थी और शाम छह बजे उनके भावी भविष्य का फैसला ईवीएम मशीनों में बंद हो गया।

इसके पहले चार चरणों में 19 अप्रैल, 26 मई, 7 मई और 13 मई को लोकसभा चुनाव के लिए देश के विभिन्न प्रदेशों में वोट डाले गए थे। लोकसभा चुनाव 2024 के पहले चरण में 66.14 प्रतिशत, दूसरे चरण में 66.71प्रतिशत और तीसरे चरण में 65.68 प्रतिशत वोटिंग दर्ज की गई। 2019 के मुकाबले तीन चरणों में इस बार कम वोटिंग हुई थी। हालांकि, चौथे दौर में 96 सीटों पर 69.16 मतदान हुआ जबकि 2019 में इन सीटों पर 69.12 प्रतिशत वोटिंग हुई थी।

सोमवार को लोकसभा चुनाव के पांचवें चरण में आठ राज्यों की 49 लोकसभा सीटों पर सबसे अधिक 73 प्रतिशत वोटिंग पश्चिम बंगाल में दर्ज की गई। वहीं, सबसे कम वोटिंग महाराष्ट्र में दर्ज हुई है, जहां सिर्फ 49 प्रतिशत मतदाताओं ने ही अपना वोट दिया हैं। वोटिंग टर्न आउट एप पर रात 8.25 बजे तक दी गई जानकारी के अनुसार, बिहार में 52.82 प्रतिशत, जम्मू कश्मीर में 54.64 प्रतिशत, झारखंड में 63 प्रतिशत, लद्दाख में 67 प्रतिशत, महाराष्ट्र में 49 प्रतिशत, उड़ीसा में 60.72 प्रतिशत, उत्तर प्रदेश में 57.79 प्रतिशत और पश्चिम बंगाल में 73 प्रतिशत वोट डाले गए है। हालांकि मतदान के इन आंकड़ों में देर रात तक और अधिक बढ़ोतरी होने की उम्मीद बताई जाती है।

पांचवें चरण में जम्मू कश्मीर की बारामूला सीट पर भी वोट डाले गए थे। चुनाव आयोग द्वारा दी गई जानकारी के इस चरण में वोटिंग के सारे रिकॉर्ड टूट गए। मुख्य निर्वाचन अधिकारी पीके पोले ने बताया कि बारामूला लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र में जम्मू-कश्मीर का अब तक का सबसे अधिक 59 प्रतिशत मतदान दर्ज किया गया।जम्मू-कश्मीर के बारामूला में 22 उम्मीदवार चुनाव मैदान में थे। इस सीट से पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला भी चुनाव लड़ रहे हैं।

लोकसभा चुनाव के पांचवें चरण में उत्तर प्रदेश की दो ‘हाई प्रोफाइल’ सीट रायबरेली और अमेठी में भी मतदान हुआ हैं, जहां से कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी और केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी चुनाव मैदान में हैं। शाम 6 बजे तक जारी हुए आंकड़ों के अनुसार उत्तर प्रदेश की 14 लोकसभा सीटों पर 57.79 प्रतिशत वोटिंग हुई है,वहीं अमेठी में 54.17 प्रतिशत वोटिंग हुई तो रायबरेली में 57.85 प्रतिशत मतदान हुआ हैं।

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बीजेपी और कांग्रेस, मतदान के आंकड़ों को लेकर अपने-अपने दावे कर रहे हैं। बीजेपी नेताओं का दावा है कि हमारा बूथ सबसे मजबूत का जो नारा था, वो धरातल पर उतरा और पन्ना प्रमुख और बूथ प्रभारी बड़ी संख्या में मतदाताओं को वोट देने के लिए प्रेरित करने में सफल रहे. बीजेपी नेताओं की मानें तो ये वोटिंग बीजेपी के पक्ष में जाती है. जबकि, कांग्रेस नेताओं का दावा है कि पिछली बार पुलवामा जैसी घटना को लेकर कुछ मतदाता भ्रम की स्थिति में थे, लेकिन इस बार किसी भी तरह के भ्रम की स्थिति ना होने के कारण मतदाता अधिक संख्या में निकले और राहुल गांधी का समर्थन किया।
रायबरेली और अमेठी में वोट प्रतिशत बढ़ना किसके लिए फायदे का सौदा और किसके लिए नुकसान का सौदा रहेगा यह अभी भविष्य के गर्भ में छुपा हुआ है।

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पांचवें चरण में यूपी की 14 लोकसभा सीटों पर अब मतदान खत्म हो गया है। इस चरण में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, कांग्रेस नेता राहुल गांधी, केंद्रीय मंत्री स्मृति जूबिन ईरानी, कौशल किशोर, निरंजन ज्योति और दिनेश प्रताप सिंह सहित 144 प्रत्याशियों की किस्मत ईवीएम में कैद हो गई है।

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18 वीं लोकसभा के गठन के लिए अब तक के पांच चरणों में हुए लोकसभा चुनावों में मत प्रतिशत के हो रही गिरावट राजनीतिक क्षेत्रों में चर्चा का बहुत बड़ा विषय बन गई है। हालांकि पश्चिम बंगाल सहित कुछ प्रदेशों में यह प्रतिशत निरंतर बढ़ भी रहा है लेकिन देश की अधिकांश सीटों पर मतदान कम ही रहा है। बिहार जैसे प्रदेश में तो विभिन्न चरणों में यह कम ही होता जा रहा है। विपक्ष ने चुनाव आयोग पर देरी से वोटिंग के आंकड़े देने का आरोप लगाया जिसका आयोग ने अपनी ओर से खंडन किया है। वहीं सत्ता पक्ष भाजपानीत एन डी ए ने कहा है कि विपक्ष ने चुनाव परिणाम घोषित होने से पहले ही हार मान ली है।

देखना है कि लोकसभा चुनाव के पांचवें चरण में भी 2019 की तुलना में हुए कम मतदान की फिर वही कहानी चुनाव परिणामों पर क्या असर करेगी?