स्कूलों में संस्कृत की अनिवार्यता को लेकर संस्कृत भारती ने मुख्यमंत्री के नाम इंदौर कलेक्टर को सौंपा ज्ञापन

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स्कूलों में संस्कृत की अनिवार्यता को लेकर संस्कृत भारती ने मुख्यमंत्री के नाम इंदौर कलेक्टर को सौंपा ज्ञापन

 

इंदौर: इंदौर में संस्कृत भारती मालवा प्रांत के प्रांत मंत्री सुरेन्द्र शर्मा के नेतृत्व में, मध्यप्रदेश के संस्कृत शिक्षकों और संस्कृतानुरागियों ने मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के नाम जिला कलेक्टर और प्रभारी जिला शिक्षा अधिकारी को ज्ञापन सौंपा। ज्ञापन में कहा गया कि शासकीय विद्यालयों में कक्षा 9वीं और 11वीं में विद्यार्थियों को संस्कृत की बजाय व्यवसायिक पाठ्यक्रम चुनने के लिए मजबूर किया जा रहा है, जिससे संस्कृत की पढ़ाई जानबूझकर बंद करवाई जा रही है। यह नई शिक्षा नीति के त्रिभाषा सूत्र की अवहेलना है और इससे संस्कृत शिक्षकों की स्थिति भी संकट में आ गई है।

 

ज्ञापन में यह भी उल्लेख किया गया कि विद्यार्थियों की संख्या कम होने से संस्कृत शिक्षक ‘अतिशेष’ की श्रेणी में आ जाते हैं, जिससे उनका स्थानांतरण या पद समाप्त होने की नौबत आ जाती है। इससे वर्ग-1 में संस्कृत शिक्षकों की पदोन्नति भी रुक जाती है। साथ ही, संस्कृत विषय की उपेक्षा से विद्यार्थियों और अभिभावकों में नकारात्मक संदेश जाता है, स्कूलों में संस्कृत कक्षाएं बंद होने लगती हैं, और भारतीय ज्ञान परंपरा, योग, आयुर्वेद जैसे विषयों का संरक्षण भी खतरे में पड़ जाता है।

 

संस्कृत भारती ने मांग की है कि-

1. कक्षा 9वीं-10वीं में त्रिभाषा सूत्र के अनुसार संस्कृत, हिंदी और अंग्रेजी को अनिवार्य रखा जाए, व्यवसायिक शिक्षा को अतिरिक्त विषय के रूप में लागू किया जाए।

2. कक्षा 11वीं-12वीं में भी संस्कृत भाषा का विकल्प दिया जाए और शिक्षकों के पद सुरक्षित रखे जाएं।

3. विद्यार्थियों की संख्या के आधार पर शिक्षकों को अतिशेष न घोषित किया जाए और पदोन्नति की प्रक्रिया बाधित न हो।

 

संस्कृत भारती के अलीराजपुर जिला मंत्री लोकेश नरगांवा ने हरियाणा और दिल्ली बोर्ड का उदाहरण देते हुए बताया कि वहां संस्कृत को अनिवार्य किया गया है और व्यवसायिक विषयों को अतिरिक्त रखा गया है। ज्ञापन द्वारा मुख्यमंत्री से आग्रह किया गया कि मध्यप्रदेश में भी संस्कृत को कक्षा 6वीं से 12वीं तक अनिवार्य किया जाए, ताकि भारतीय संस्कृति और ज्ञान परंपरा का संरक्षण हो सके और शिक्षकों-विद्यार्थियों दोनों का भविष्य सुरक्षित रहे।

इस मौके पर बड़ी संख्या में संस्कृत शिक्षक और संस्कृत प्रेमी उपस्थित रहे। यदि सरकार ने मांगें नहीं मानीं तो प्रदेश स्तर पर आंदोलन की चेतावनी भी दी गई।