101 करोड़ से बनेगा संत रविदास लोक, जिन्होंने राम मंदिर बनाया वहीं कर रहे निर्माण

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101 करोड़ से बनेगा संत रविदास लोक, जिन्होंने राम मंदिर बनाया वहीं कर रहे निर्माण

 

भोपाल : मध्यप्रदेश के सबसे प्राचीन शहरों में शुमार सागर जिले में राज्य सरकार संत सिरोमणि उपाधि प्राप्त संत रविदास जो कि संत रैदास के नाम से भी प्रसिद्ध थे उनकी स्मृति को संजोने संत रविदास लोक का निर्माण करने जा रही है। 101 करोड़ की लागत से बनने वाले इस संत रविदास लोक में मंदिर और संग्रहालय का निर्माण गुजरात और राजस्थान के वही कारीगर कर रहे है जिन्होंने राममंदिर का निर्माण किया था और इस निर्माण में उन्हीं गुलाबी पत्थरों का उपयोग किया जा रहा है जिनका उपयोग राममंदिर निर्माण में हुआ था।

सागर में बारह एकड़ जमीन पर संत रविदास मंदिर और संग्रहालय परिसर का निर्माण किया जा रहा है। विभिन्न सुविधाओं के साथ यह परिसर देश विदेश के कई साधक, संशोधक और भक्तों को आकर्षित करेगा। इस परिसर की डिजाइन वास्तुकला के आधार पर तैयार की गई ळै। यहां अत्याधुनिक संसाधन, रोशनी, पेड़ पौधों के उपयोग से वातावरण यहां आने वालों को सुकून का अनुभव कराएगा।

साढ़े पांच हजार वर्गफिट क्षेत्र में मुख्य मंदिर का निर्माण किया जाएगा। मंदिर नागर शैली से बनाया जाएगा। मंदिर में गर्भगृह, अंतराल मंडप तथा अर्धमंडप का सुंदर निर्माण किया जा रहा है मंदिर केवल पूजा का स्थान न बनकर सांस्कृतिक आध्यात्मिक चर्चाओ का केन्द्र स्थान बनेगा। यहां आने वाले भारतीय संस्कार और संस्कृति के विषय में विस्तार से जान पाएंगे। आध्यात्मिक विश्वासों पर चिंतन मनन के लिए यह केन्द्र मुख्य आकर्षण बनेगा।

यहां एक जलकुंड भी बनाया जाएगा। यह जलकुंड संत रविदास संग्रहालय के सामने बड़ा सा आकार लेने वाला है। सुंदर नक्काशी और मूर्तियों के साथ यह जलकुंड इसके आसपास लगे पेड़ पौधों से रमणीयता बढ़ाएंगे। इस जल से पवित्रता का अनुभव होता है इसलिए कुंड के पास विहार करने के लिए एक बड़ा स्थल भी विकसित किया जा रहा है

यहां जो संग्रहालय तैयार किया जा रहा है वह वर्तुलाकार भूमि पर चार गैलरियों में विकसित किया जाएगा जिसमें संत रविदास के जीवन काल को विस्तृ एवं आधुनिक संसाधनों की सहायता से दर्शाएगा। संत रविदास की वाणी, उनके कार्य, सामाजिक कार्य, आंदोलनों में संत रविदास की भूमिका को यहां कलात्मक रुप से आधुनिक तकनीकों के साथ दर्शाया जाएगा।

दस हजार वर्गफुट क्षेत्र में यहां एक पुस्तकालय भी बन रहा है। इसमें संगत सभाखंड भी बनाया जा रहा है। पुस्तकालय में संत रविदास की उपलब्धियों और शिक्षाओं को प्रदर्शित किया जाएगा। संत रविदास के कृतित्व के साथ यहां आध्यात्मिक, धार्मिक पुस्तकें भी रखी जाएंगी। यह पुस्तकालय एक साहित्य संसाधनों का भंडार बनेगा। यहां संत रविदास के साथ अन्य महान गुरुओं और दार्शनिक के विचार और वाणी को देखा और सुना जा सकेगा। यहां बैठकर लोग पुस्तकों का अध्ययन कर सकेंगे।

संगत सभाखंड का निर्माण भी यहां हो रहा है। इसे फूलों की पंखुड़ियों जैसा बनाया जाएगा। इस सभाखंड में संत रविदास की वाणी के साथ कई अन्य धाार्मिक, अध्यात्मिक गतिविधियों का संचालन होगा। इसमें कार्यशाला, संगोष्ठी,का आयोजन होगा। सभाखंड सांस्कृतिक विरासत के संरक्षण एवं संवर्धन का स्रोत बनेगा।

साढ़े बारह हजार वर्गफीट में यहां भक्त निवास भी बन रहा है। यहां दुनियाभर से आने वाले भक्त , साधक, विद्वान यात्री रुक सकेंगे। पांच हजार वर्गफीट में यहां एक अल्पहाहार गृह भी बनेगा। तम्बू के आहार की डिजाइन वाले इस अल्पाहार गृह में स्थानिक नास्ते-भोजन के साथ विभिन्न अंचलों की स्वादिस्ट खाद्य सामग्री परोसी जाएगी। एक गजेबो भी यहां बनेगा। जिसमें बैठने, पढ़ने, नास्ता करने और विचारों का आदान प्रदान किया जा सकेगा। यहां 1940 वर्गफुट जगह में खुला क्षेत्र भी होगा।