Satyapal Malik: अंतिम संस्कार में नहीं मिला राजकीय सम्मान, मोदी सरकार पर उठे सवाल

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Satyapal Malik: अंतिम संस्कार में नहीं मिला राजकीय सम्मान, मोदी सरकार पर उठे सवाल

New Delhi: पूर्व राज्यपाल और वरिष्ठ राजनेता सत्यपाल मलिक का 5 अगस्त 2025 को 79 साल की उम्र में दिल्ली के राम मनोहर लोहिया अस्पताल में गुर्दे की गंभीर बीमारी के कारण निधन हो गया। वे मई 2025 से अस्पताल में भर्ती थे।

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उनका राजनीतिक सफर 1974 में विधायक बनने से शुरू हुआ और लगभग 50 वर्षों तक चला। उन्होंने भारतीय जनता पार्टी, जनता दल, कांग्रेस, समाजवादी पार्टी समेत कई दलों से जुड़कर काम किया। मलिक ने बिहार, ओडिशा, जम्मू-कश्मीर, गोवा और मेघालय जैसे पांच राज्यों के राज्यपाल के रूप में सेवा दी। जम्मू-कश्मीर के अंतिम राज्यपाल के रूप में वे अगस्त 2018 से अक्टूबर 2019 तक पद पर रहे। उनके कार्यकाल में 5 अगस्त 2019 को केंद्र सरकार ने जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 और 35ए हटा कर विशेष दर्जा खत्म किया। मलिक ने इस फैसले का समर्थन किया लेकिन बाद में मोदी सरकार की कई नीतियों और फैसलों की खुलेआम आलोचना भी की, खासकर पुलवामा आतंकी हमले की खुफिया असफलता पर।

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मलिक का निधन राजनीतिक एक युग के अंत जैसा था क्योंकि 5 अगस्त की तारीख उनके लिए ऐतिहासिक रही- अनुच्छेद 370 हटाने की तारीख और उनका निधन, दोनों एक दिन पर हुए।

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हालांकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मलिक के निधन पर शोक जताया, लेकिन उनके अंतिम संस्कार में दिल्ली में राजकीय सम्मान न दिए जाने को लेकर विवाद हुआ। समर्थकों और विपक्षी दलों ने इसे मोदी सरकार की नाराजगी और राजनीतिक विरोध का परिणाम बताया। उन्होंने इसे सम्मान की कमी मानते हुए इस फैसले की निंदा की और राज्य सरकार से इसका स्पष्टीकरण मांगा।

अंतिम संस्कार में बड़ी संख्या में राजनीतिक और किसान नेता पहुंचे, लेकिन राजकीय सम्मान न मिलने से मलिक के समर्थकों में खेद और गुस्सा था।

1. सत्यपाल मलिक का निधन 5 अगस्त 2025 को दिल्ली में, 79 वर्ष की आयु में हुआ।
2. वे कई वर्षों से गुर्दे की बीमारी से पीड़ित थे।
3. 1974 में विधायक बनकर शुरू हुआ राजनीतिक सफर, अलग-अलग दलों से जुड़े।
4. बिहार, ओडिशा, जम्मू-कश्मीर, गोवा और मेघालय के राज्यपाल रह चुके।
5. जम्मू-कश्मीर के राज्यपाल के रूप में अनुच्छेद 370 और 35ए हटाने में अहम भूमिका निभाई।
6. मोदी सरकार के कई फैसलों की बाद में आलोचना करते रहे।
7. अंतिम संस्कार में राजकीय सम्मान न मिलने से विवाद हुआ।