SC Instructions on EVM Not Followed : चुनाव आयोग ने EVM पर सुप्रीम कोर्ट के निर्देश नहीं माने, ADR फिर पहुंचा कोर्ट में!

अप्रैल 2024 में SC ने आदेश दिए थे कि न EVM का डेटा डिलीट करो, न रीलोड करो!

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SC Instructions on EVM Not Followed : चुनाव आयोग ने EVM पर सुप्रीम कोर्ट के निर्देश नहीं माने, ADR फिर पहुंचा कोर्ट में!

 

New Delhi : एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (ADR) ने सुप्रीम कोर्ट में दावा किया है कि ईवीएम को लेकर शीर्ष अदालत ने अप्रैल 2024 में जो गाइडलाइंस तय की थी, आयोग उसके हिसाब से काम नहीं कर रहा। उसका स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसीजर (SOP) सुप्रीम कोर्ट के फैसले के मुताबिक नहीं है। उल्लेखनीय है कि सुप्रीम कोर्ट ने पिछले साल अप्रैल में ईवीएम-वीवीपैट को लेकर ऐतिहासिक फैसला दिया था। उसमें चुनाव आयोग के लिए स्पष्ट दिशा निर्देश थे कि क्या करना है, क्या नहीं! यह भी अगर किसी जगह वोटिंग के डेटा की वेरिफिकेशन की मांग हुई तो उसकी पुष्टि कैसे होगी।

अब सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग से इस पर जवाब मांगा है। उसने आयोग से यह भी कहा है कि वेरिफिकेशन के वक्त वह न तो ईवीएम का डेटा डिलीट करे और न रीलोड करे। सुप्रीम कोर्ट ने वेरिफिकेशन के लिए आयोग की तरफ से तय किए ₹40 हजार के शुल्क को भी ज्यादा बताया। मामले में अगली सुनवाई अब 3 मार्च से शुरू होने वाले सप्ताह में होगी।

एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (ADR) ने अपनी अर्जी में मांग की है कि चुनाव आयोग इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (ईवीएम) की बर्न्ट मेमोरी और सिंबल लोडिंग यूनिट्स की जांच की अनुमति दे। बर्न्ट मेमोरी ईवीएम के डेटा को सुरक्षित रखता है और इसका मतलब है कि प्रोग्रामिंग चरण पूरा होने के बाद मेमोरी को स्थायी रूप से लॉक कर देना। इससे उनके साथ किसी तरह की छेड़छाड़ नहीं हो पाएगी। ये डेटा 10 साल से भी ज्यादा समय तक स्टोर रह सकते हैं। चुनाव आयोग के मुताबिक, ईवीएम में जिस प्रोग्राम (सॉफ्टवेयर) का इस्तेमाल होता है वो वन टाइम प्रोग्रामेबल/मास्क्ड चिप के तौर पर बर्न्ट होते हैं ताकि उन्हें बदला न जा सके और न ही छेड़छाड़ की जा सके।

इंजीनियर मशीन की जांच करे
सुनवाई के दौरान, सीजेआई ने चुनाव आयोग के वकील से कहा कि अप्रैल 2024 के फैसले में ईवीएम का डेटा मिटाने या रीलोड करने की कोई मंशा नहीं थी। बेंच ने कहा कि उनका सिर्फ ये मतलब था कि वोटिंग के बाद ईवीएम बनाने वाली कंपनी का एक इंजीनियर मशीन की जांच करे।

सुप्रीम कोर्ट ने आयोग से पूछा ‘आप डेटो क्यों मिटाते है’
सीजेआई ने आयोग के वकील से पूछा कि आप डेटा क्यों मिटाते हैं’ उन्होंने आगे कहा कि सुप्रीम कोर्ट का अप्रैल के फैसले में सिर्फ यही इरादा था कि अगर वोटिंग के बाद कोई सवाल उठाता है, तो इंजीनियर आकर उनकी मौजूदगी में प्रमाणित करे कि बर्न्ट मेमोरी या माइक्रो-चिप्स में कोई छेड़छाड़ नहीं हुई है, बस इतना ही। सीजेआई ने आगे कहा कि हम इतनी विस्तृत प्रक्रिया नहीं चाहते थे कि आप कुछ रीलोड करें… डेटा न मिटाएं, डेटा रीलोड न करें। आपको बस इतना करना है कि कोई आकर वेरिफाई करे, उन्हें जांच करनी है।

सत्यापन के लिए तय ₹40 हजार शुल्क ज्यादा
बेंच ने आयोग के वकील से यह भी कहा कि ईवीएम वेरिफिकेशन के लिए आयोग द्वारा तय की गई ₹40 हजार की लागत बहुत ज्यादा है। बेंच ने आयोग को एक छोटा हलफनामा दायर करने का निर्देश दिया जिसमें ईवीएम वेरिफिकेशन के लिए अपनाए गए एसओपी की व्याख्या की जाए। इसने चुनाव आयोग के वकील के इस बयान को भी दर्ज किया कि ईवीएम डेटा में कोई बदलाव या सुधार नहीं किया जाएगा।

बैलट से वोटिंग की मांग खारिज
सुप्रीम कोर्ट ने अप्रैल 2024 में कई याचिकाओं को खारिज कर दिया था। इन याचिकाओं में चुनाव के दौरान सभी ईवीएम के जरिए डाले गए वोटों का मिलान वोटर-वेरिफिएबल पेपर ऑडिट ट्रेल (वीवीपेट) स्लिप से करने का निर्देश देने की मांग की गई थी। याचिकाओं को खारिज करते हुए सीजेआई खन्ना की अध्यक्षता वाली बेंच ने बैलेट पेपर सिस्टम पर वापस लौटने की याचिकाकर्ताओं की मांग को ‘कमजोर, प्रतिगामी और अनुचित’ बताया था। बेंच ने फैसला सुनाया था कि ‘ईवीएम सरल, सुरक्षित और उपयोगकर्ता के अनुकूल’ हैं।