SC Strict on Hate Speech : नफरती भाषण पर सुप्रीम कोर्ट सख्त, अराजक तत्वों पर आपत्ति जताई!

कोर्ट ने पंडित नेहरू और अटल बिहारी वाजपेई के भाषणों का जिक्र किया!

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SC Strict on Hate Speech : नफरती भाषण पर सुप्रीम कोर्ट सख्त, अराजक तत्वों पर आपत्ति जताई!

New Delhi : भारत के लोग अन्य नागरिकों या समुदायों को अपमानित नहीं करने का संकल्प क्यों नहीं ले सकते! दूसरों को बदनाम करने के लिए रोज ऐसे तत्व टीवी और सार्वजनिक मंचों पर बयान देते हैं। जिस क्षण राजनीति और धर्म अलग हो जाएंगे और नेता राजनीति में धर्म का उपयोग बंद कर देंगे, नफरत फैलाने वाली बातें भी ख़त्म हो जाएगी।

एक मामले में सुप्रीम कोर्ट ने नफरती भाषण देने वाले अराजक तत्वों (Fringe Element) पर सख्त आपत्ति जताई। सुप्रीम कोर्ट ने सवाल किया कि लोग खुद पर काबू क्यों नहीं रखते। कोर्ट ने देश के पूर्व प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू और अटल बिहारी वाजपेयी के भाषणों का भी जिक्र किया। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि उनके भाषणों को सुनने के लिए दूर-दराज के इलाकों से लोग इकट्ठा होते थे।

सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने एक व्यक्ति की और से एक विशेष समुदाय के खिलाफ केरल में दिए गए अपमानजनक भाषण की तरफ भी कोर्ट का ध्यान आकृष्ट किया। उन्होंने कहा कि याचिकाकर्ता शाहीन अब्दुल्ला ने देश में नफरत भरे भाषणों की घटनाओं को चुनिंदा रूप से इंगित किया है।

सुप्रीम कोर्ट ने महाराष्ट्र सरकार से शीर्ष अदालत के आदेशों के बावजूद हिंदू संगठनों द्वारा नफरत भरे भाषणों को नियंत्रित करने में विफल रहने के लिए उसके खिलाफ दायर एक अवमानना याचिका का जवाब देने को कहा है। सुप्रीम कोर्ट ने मामले की सुनवाई के लिए 28 अप्रैल की तारीख तय की है।

जस्टिस केएम जोसेफ और न्यायमूर्ति बीवी नागरत्ना की पीठ ने इस बात पर हैरानी जताई कि अदालतें कितने ही लोगों के खिलाफ अवमानना की कार्रवाई शुरू कर सकती हैं। पीठ ने नफरत भरे भाषण देने वालों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने में विफल रहने के लिए विभिन्न राज्य प्राधिकरणों के खिलाफ एक अवमानना याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि हर दिन अराजक तत्व टीवी और सार्वजनिक मंचों पर दूसरों को बदनाम करने के लिए भाषण दे रहे हैं।