Scindia Supporters in Danger : उपचुनाव हारने और जीतने वाले किसी सिंधिया समर्थक के टिकट पक्के नहीं!
Gwalior : भाजपा में सब कुछ सामान्य नहीं चल रहा। विधानसभा चुनाव से पहले पार्टी के अंदर जो खींचतान मची है, वह धीरे-धीरे उभरकर सामने आने लगी। सबसे ज्यादा गंभीर स्थिति ग्वालियर-चंबल संभाग में है, जहां ज्योतिरादित्य सिंधिया के समर्थकों पर तलवार लटकी है। जो 2020 का उपचुनाव हार गए थे, उन्हें भाजपा टिकट देने के मूड में नहीं है। जो जीते थे उन सभी के टिकट भी पक्के नहीं समझे जा रहे।
जो नेता उप चुनाव लड़कर जीते थे, और अभी जिनकी स्थिति जीतने की नहीं है, पार्टी उन्हें शायद ही टिकट दे। ऐसे में सिंधिया का यह कहकर पल्ला झाड़ लिया कि पार्टी जीतने वालों को ही टिकट देगी। अब इन नेताओं की हालत ख़राब है, क्योंकि यदि वे कांग्रेस में भी लौटे तो उन सभी को टिकट मिल जाए, ये जरुरी नहीं। ये वे सारे नेता हैं जो उपचुनाव हार गए थे। इस वजह से इनकी दावेदारी कमजोर पड़ गई। कुछ समर्थक वापस कांग्रेस में लौट रहे हैं। इससे ज्योतिरादित्य सिंधिया की स्थिति भी कमजोर हो रही है।
कांग्रेस भी ज्योतिरादित्य सिंधिया पर ही हमले बोल रही है। ग्वालियर-चंबल संभाग के कई नेता भाजपा छोड़कर कांग्रेस में शामिल होने लगे। भाजपा छोड़ने वालों में ज्यादातर सिंधिया समर्थक नेता हैं। ऐसे में चुनाव समिति के सर्वेसर्वा नरेंद्र तोमर ने ज्योतिरादित्य सिंधिया का बचाव किया है। उन्होंने सिंधिया का समर्थन करते हुए कहा कि जब वे कांग्रेस में थे तो कांग्रेस उन्हें मारती थी। अब भाजपा पर आरोप लगा रही है। सिंधिया का उपयोग देश की प्रगति के लिए किया जा रहा है। जबकि, सच्चाई किसी से छुपी नहीं है।
सिंधिया समर्थकों के टिकट खतरे में
ज्योतिरादित्य सिंधिया के साथ भाजपा में आए उनके कुछ समर्थकों के टिकट इस चुनाव में कट सकते हैं। सबसे ज्यादा ग्वालियर-चंबल में उनके लोगों पर खतरा है। 2020 के उपचुनाव में सरकार बचाने के लिए शांत रहे भाजपा के पुराने नेता अब मुखर होने लगे। इस कारण टिकट को लेकर पार्टी के सामने असहज स्थिति बन रही है। पार्टी को सभी सीटों पर जीतने वाले उम्मीदवारों की तलाश है।
पूरे ग्वालियर-चंबल इलाके में नए विरुद्ध पुराने की स्थिति है। इस टकराव में कोलारस से विधायक वीरेंद्र रघुवंशी ने इस्तीफा देकर भाजपा को दिया। उन्होंने सिंधिया समर्थकों पर कई आरोप लगाए हैं। स्थिति को भांपते हुए ज्योतिरादित्य सिंधिया के भी कुछ समर्थक घर वापसी करने लगे हैं। सिंधिया के समर्थकों के टिकट कटने का सिलसिला शुरू भी हो गया। गोहद से उपचुनाव हारने वाले रणवीर जाटव का पत्ता कट गया। पार्टी ने यहां से उम्मीदवारी तय कर दी है। पुराने भाजपा नेता लालसिंह आर्य को उम्मीदवार बनाकर रणवीर जाटव को बाहर का रास्ता दिखा दिया।
मुरैना में रघुराज पर संकट का साया
मुरैना में सिंधिया समर्थक रघुराज सिंह कंसाना के टिकट पर खतरा है। रघुराज सिंह कंसाना भी उपचुनाव हार गए थे। इसके बावजूद पार्टी ने उन्हें अल्पसंख्यक वित्त विकास निगम का अध्यक्ष बना दिया। पार्टी के अंदरूनी सर्वे में उनकी स्थिति ठीक नहीं बताई जा रही। ऐसे में उनके ऊपर भी कैंची चल सकती है।
इमरती देवी को टिकट के आसार कम
डबरा से विधायक रहीं इमरती देवी को भी टिकट मिलने के आसार कम ही हैं। उपचुनाव में वे कांग्रेस के सुरेश राजे से हार गई थीं। उनका टिकट तय माना जा रहा था, लेकिन सुरेश राजे के एमएमएस लीक होने के बाद इमरती देवी का ऑडियो वायरल हुआ। इससे पार्टी और संघ कथित तौर पर नाराज है। ऐसे में इमरती देवी का सियासी समीकरण बिगड़ गया।
करैरा में मुन्नालाल गोयल मुश्किल में
राज्य बीज विकास निगम के अध्यक्ष मुन्ना गोयल ग्वालियर पूर्व से विधायक थे। सिंधिया के साथ उन्होंने पाला बदल लिया था, पर उपचुनाव में हार गए। इसके बावजूद पार्टी ने उन्हें उपकृत कर दिया। 2023 विधानसभा के लिए ग्वालियर पूर्व से भाजपा नेत्री माया सिंह फिर एक्टिव हो गई। ऐसे में मुन्नालाल गोयल के टिकट पर खतरा है।
जसवंत जाटव पर भी संकट
करैरा विधानसभा सीट से पिछली बार चुनाव हारे जसवंत जाटव पर भी संकट है। सरकार बनवाने का इनाम उन्हें मिल चुका है। चुनाव हारने के बाद सरकार ने उन्हें पशुधन कुक्कुट निगम का अध्यक्ष बना दिया है। भाजपा में जिताऊ उम्मीदवारों की खोज कर रही है। ऐसे में इस बार इनकी बलि भी ली जाने की चर्चा है।