

Senior Advocate: सीनियर एडवोकेट बनने के लिए अंक देने वाली व्यवस्था बंद, सुप्रीम कोर्ट का महत्वपूर्ण आदेश
नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने वकीलों को सीनियर एडवोकेट बनाने के मामले में एक महत्वपूर्ण आदेश जारी किया है। शीर्ष अदालत ने कहा कि हाई कोर्ट जज की कमेटी द्वारा वकीलों के इंटरव्यू लेने के बाद उन्हें अंक देने वाली व्यवस्था बंद की जाती है। अब हाई कोर्ट को नियम बनाने के लिए कहा गया है जिससे निचली अदालतों में वकालत करने वाले वकीलों के लिए विविधता और प्रतिनिधित्व सुनिश्चित किया जा सके।
क्या है मामला?
इंदौर से 17 वकीलों ने सीनियर एडवोकेट बनने के लिए आवेदन किया था, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने इस पर रोक लगा दी थी। इसके बाद शीर्ष अदालत ने इस मामले में सुनवाई की और अब नए आदेश जारी किए हैं।
सुप्रीम कोर्ट के आदेश
– हाई कोर्ट जज की कमेटी द्वारा वकीलों को अंक देने वाली व्यवस्था बंद की जाती है।
– हाई कोर्ट को नियम बनाने के लिए कहा गया है जिससे निचली अदालतों में वकालत करने वाले वकीलों के लिए विविधता और प्रतिनिधित्व सुनिश्चित किया जा सके।
– हाई कोर्ट को मौजूदा नियमों में संशोधन करके 4 महीने की अवधि के भीतर नए नियम बनाने के लिए कहा गया है।
जस्टिस की टिप्पणी
जस्टिस अभय एस ओका, उज्जवल भुयन और एसवीएन भट्टी की खंडपीठ ने कहा कि निचली अदालतों में वकालत करने वाले वकीलों के लिए विविधता और प्रतिनिधित्व सुनिश्चित करना आवश्यक है। इससे वकीलों को अपने करियर में आगे बढ़ने के अवसर मिलेंगे और न्यायपालिका में विविधता बढ़ेगी।¹
आगे क्या?
अब हाई कोर्ट को नए नियम बनाने होंगे जिससे वकीलों को सीनियर एडवोकेट बनाने की प्रक्रिया में पारदर्शिता और निष्पक्षता सुनिश्चित की जा सके। इससे वकीलों को अपने करियर में आगे बढ़ने के अवसर मिलेंगे और न्यायपालिका में विविधता बढ़ेगी।