
Sharad Purnima 2025:चांद पर कविताएं
हिंदू धर्म में शरद पूर्णिमा का विशेष महत्व है। यह पर्व आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि को मनाया जाता है। इस साल शरद पूर्णिमा 06 अक्टूबर को मनाई जा रही है। इस दिन चंद्र देव, मां लक्ष्मी और भगवान शिव की पूजा की जाती है। कहते हैं कि इस दिन चंद्रमा 16 कलाओं से परिपूर्ण होता है और इस रात को अमृत बरसता है। हमने चाँद और कोजागिरी को लेकर कवितायें आमंत्रित की,यहाँ कुछ कवितायेँ प्रस्तुत हैं —
1.कौन जाग रहा है

कौन जाग रहा है
हाँ, मैं जाग रहा हूँ
क्या पूर्ण जागृत?
हाँ हाँ पूर्ण जागृत
पूर्णिमा सा पूर्ण जागृत
मेरी सोलह कलाओं से
सँवार लो जिंदगी अपनी
क्या सचमुच तैयार हो?
हाँ हाँ तैयार हूँ तैयार हूँ
पहली कला करुणा
वो तो मुझ में पहले ही
भर भर कर है
न्याय प्रियता, शांति
ईमानदारी, सच्चाई
इस कलयुग में इनका
क्या करूंगा मैं?
अरे चाँद
नाराज मत हो तुम
माँ लक्ष्मी का वरदान
बस इतना ही चाहिए
चाँद आगे बढ़ गया
फिर पूछ रहा
कौन जाग रहा
कौन जाग रहा
पर सचमुच जो
जाग रहे थे वो
करुणा, शांति
न्यायप्रियता आदि
सोलह कलाओं से
जीत लेते हैं चांद को
फिर स्वयं ले लेते हैं
रूप लक्ष्मी का
रूप अष्ट लक्ष्मी का
रूप सोलह लक्ष्मी का
अपर्णा खरे
चाँद: कुछ दोहे
”1
चंद्रोदय की आस है,शरद पूर्णिमा रात ।
बरसे अमृत चाँद से ~खीर प्रसाद प्रभात II
”2
माथ डिठौना लाल के, बद को करता चूर I
दाग चाँद का यूँ लगा , चश्मेबद हो दूर II
”3
बढ़ा घटा फिर गुम हुआ, करे अनोखे मेल I
षोडस कलानिधि रत शशि, रचे निराले खेल II
”4
चंदा पर पहुँचे कदम , भरम टूटता देख I
बैठी चरखा कातती , नानी बस इक लेख II
”5
तोड़ा गुमान चाँद का श्रापित किये गणेश I
गुण देखो सूरत नहीं ,मिला यही सन्देश II
”6
बैठा रहे निहारता , इकटुक चाँद चकोर I
संग पिया के बांधती, हिय की कच्ची डोर II
”7
रात अमा की बावरी ,बैठी रहे उदास I
ओढ़े काली चूनरी, चंदा पिया न पास II
”8
रोशन किरणें रात में ,लीं सूरज से छीन I
चोर-चाँद शोभित दिखा,रूप चाँदनी लीन II
महिमा ‘श्रीवास्तव’ वर्मा
विज्ञान की नजर में चांद





