*इंदौर से अनिल शुक्ला की रिपोर्ट*
Indore : बूढे हो चुके शास्त्री रेलवे ओवरब्रिज के दिन फिरने का समय आ गया। शहर के पहले और सबसे पुराने ब्रिज का निचला हिस्सा कमजोर होने और जगह-जगह से प्लास्टर गिरने के कारण ब्रिज को लेकर खतरा खड़ा होने लगा है। इसे देखते हुए नगर निगम ने ब्रिज की मरम्मत का फैसला किया है। निगम ने इसके लिए टेंडर प्रक्रिया पूरी कर ली है। ब्रिज की मरम्मत पर 35 लाख रुपए खर्च किए जाएंगे।
इंदौर का करीब 61 साल पुराना शास्त्री रेलवे ओवरब्रिज लगातार कमजोर होता जा रहा है। ब्रिज का निचला हिस्सा कमजोर होने के साथ जगह-जगह से इसका प्लास्टर भी उखड़ने लगा है। खासतौर पर ब्रिज का पत्थर गोदाम वाला हिस्सा खतरनाक स्थिति में आ गया। ब्रिज के बाहरी हिस्से की भी स्थिति ठीक नहीं है। नगर निगम ने खतरे को भांपते हुए ब्रिज की मरम्मत कराने का निर्णय किया है।
नगर निगम के कार्यपालन यंत्री अनूप गोयल के अनुसार ब्रिज के मरम्मत का काम इसी पखवाड़े शुरु किया जाएगा। मरम्मत पर करीब 35 लाख रुपए खर्च किए जाएंगे। मरम्मत के लिए टेंडर प्रक्रिया पूरी कर ली गई है। शास्त्री रेलवे ओवरब्रिज शहर का पहला और सबसे पुराने ब्रिज में से एक है। इसका निर्माण 1960 के आसपास किया गया था। करीब 600 मीटर लम्बे और 15 मीटर चौड़े इस ब्रिज पर सुबह से लेकर रात तक यातायात का दबाव रहता है। इस ब्रिज पर से हजारों छोटे-बड़े वाहन गुजरते है। वाहनों के बढ़ते बोझ और उम्र बढ़ने की वजह से ब्रिज कमजोर होने लगा है।