
शेख हसीना को फांसी की सजा: मानवता के खिलाफ अपराध में दोषी करार, भारत में रह रही पूर्व प्रधानमंत्री पर अब नया राजनीतिक संकट
नईदिल्ली। बांग्लादेश की राजनीति में सबसे बड़ा मोड़ तब सामने आया जब देश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना को एक विशेष अंतरराष्ट्रीय अपराध न्यायाधिकरण ने मानवता के खिलाफ अपराध का दोषी ठहराते हुए फांसी की सजा सुनाई। यह फैसला 2024 में हुए छात्र-नेतृत्व वाले बड़े आंदोलनों के दौरान सरकारी दमन, गोलीकांड और हिंसक दमन-नीतियों की जांच के बाद सुनाया गया। हसीना पर आरोप था कि उन्होंने प्रदर्शनकारियों को काबू करने के लिए हेलीकॉप्टर, ड्रोन और घातक हथियारों के इस्तेमाल की अनुमति दी, और कई जगह प्रत्यक्ष आदेश भी दिए। अदालत ने निष्कर्ष में कहा कि इस दमन में उनकी उच्च-स्तरीय कमान जिम्मेदारी स्पष्ट रूप से स्थापित होती है और कुछ मामलों में उनकी अनुमति से हुई हिंसा में प्रदर्शनकारियों की मौत भी हुई।
▪️भारत में मौजूद, मुकदमा गैर-मौजूदगी में चला
▫️सौभाग्य से हसीना उस समय देश में मौजूद नहीं थीं। बांग्लादेश में अशांति बढ़ने के बीच वह 2024 में ही भारत आ चुकी थीं। इसी कारण से पूरा मुकदमा उनकी गैर-मौजूदगी में चला। फैसले के बाद बांग्लादेश सरकार ने भारत से औपचारिक रूप से उनके प्रत्यर्पण की मांग भी कर दी है। लेकिन भारत इस पूरे मामले को बेहद संवेदनशील राजनयिक मुद्दा मानकर सावधानीपूर्वक स्थितियों का आकलन कर रहा है। प्रत्यर्पण पर अंतिम निर्णय भारत के कानूनी प्रावधानों, राजनीतिक स्थिति और दोनों देशों के रिश्तों के नजरिये से तय होगा।

▪️हसीना ने फैसले को बताया राजनीतिक साजिश
▫️फैसला सुनाए जाने के बाद शेख हसीना ने इसे “पूर्वनियोजित” और “राजनीतिक रूप से प्रेरित” करार दिया है। उनका कहना है कि उन्हें न तो निष्पक्ष सुनवाई मिली, न पर्याप्त बचाव का अवसर। हसीना के समर्थक इस फैसले को प्रतिशोध और राजनीतिक बदले की कार्रवाई बता रहे हैं, तो वहीं विरोधी दल इसे प्रदर्शनकारियों के खिलाफ की गई कथित बर्बर कार्रवाई के लिए “न्याय” का कदम मान रहे हैं।

▪️ढाका में तनाव, सुरक्षा बढ़ाई गई
▫️फैसले के बाद ढाका और कई बड़े शहरों में तनाव की स्थिति बन गई। कई स्थानों पर विरोध- प्रदर्शन और झड़पें हुई हैं। राजधानी में सुरक्षा बलों की अतिरिक्त तैनाती की गई है और विशेष निगरानी निर्देश जारी किए गए हैं। प्रशासन को आशंका है कि जैसे-जैसे देश में राजनीतिक हलचल बढ़ेगी, संघर्ष की स्थिति और भी विकराल हो सकती है।

▪️क्षेत्रीय कूटनीति पर असर
▫️हसीना दक्षिण एशिया में लंबे समय तक स्थिर और प्रभावशाली नेता रही हैं। ऐसे में उनके खिलाफ फांसी का फैसला न सिर्फ बांग्लादेश की आंतरिक राजनीति को हिला रहा है बल्कि भारत-बांग्लादेश संबंधों, क्षेत्रीय सुरक्षा, शरण और प्रत्यर्पण नीति जैसे मुद्दों पर भी बड़ा असर डाल सकता है। भारत के सामने अब यह चुनौती है कि वह मानवीय, राजनीतिक और कूटनीतिक पहलुओं का संतुलन बनाते हुए अगले कदम तय करे।

▪️क्या आगे होगा?
▫️फैसले को लेकर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी प्रतिक्रियाएं तेज हैं। कई मानवाधिकार संगठनों ने प्रक्रिया की पारदर्शिता पर सवाल उठाए हैं, जबकि कुछ देशों ने बांग्लादेश से इस फैसले की कानूनी समीक्षा की मांग की है। उधर, हसीना का भारत में रहना आने वाले दिनों में दक्षिण एशिया की राजनीति का केंद्र बिंदु बन सकता है, क्योंकि प्रत्यर्पण, शरण और अंतरराष्ट्रीय दबाव के बीच यह मामला लंबी कानूनी और राजनयिक लड़ाई का रूप ले सकता है।





