17 नए चेहरे वाले मंत्रिमंडल में ‘शिवराज’ के कई साथी नहीं!  

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मंत्रिमंडल में 'शिवराज' के कई साथी नहीं

17 नए चेहरे वाले मंत्रिमंडल में ‘शिवराज’ के कई साथी नहीं!  

हेमंत पाल की त्वरित टिप्पणी 

लंबी जद्दोजहद के बाद अंततः मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव के मंत्रिमंडल ने शपथ ले ली। लंबे समय से संभावित मंत्रियों के नामों की लिस्ट चर्चा में थी। जो लिस्ट मीडिया में सुर्खियां बनी, वे हवा-हवाई नहीं थी। यही कारण था कि उस संभावित लिस्ट के ज्यादातर मंत्रियों ने शपथ ली। इनमें से कुछ कटे कुछ बचे और कुछ नए नाम जुड़े। डॉ मोहन यादव की एक्सप्रेस ट्रेन में 35 सीटें थी। आज 28 को इस ट्रेन में बर्थ दे दी गई। मुख्यमंत्री समेत दो उप मुख्यमंत्रियों ने शपथ ले चुके हैं। ऐसे में सिर्फ 4 बर्थ अभी खाली है। इसलिए कहा जा सकता है कि आने वाले 5 सालों में ज्यादा विधायकों को मोहन एक्सप्रेस में बर्थ मिलने की संभावना कम है।

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जिन 28 मंत्रियों ने शपथ ली, इनमें से कई के नाम को लेकर अंत तक असमंजस है आज बना रहा की कौन कटेगा कौन बना रहा। यह स्वाभाविक भी था कि 18 साल से ज्यादा लंबे कार्यकाल के बाद प्रदेश के मुखिया का चेहरा बदला गया, तो निश्चित रूप से उसके सेनापति भी नए होंगे। पर, ये उतने नए नहीं है, जितने नए नामों का दावा किया जा रहा था। फिर भी जिन्हें आराम दिया गया, वे लंबे समय तक राजसुख भोग चुके हैं। 28 में से 17 बिल्कुल नए चेहरे हैं, जिन्हें मंत्रिमंडल में जगह दी गई। इस मंत्रिमंडल में 5 महिला विधायकों को शामिल किया गया है।

सबसे ज्यादा गौर करने वाली बात यह रही कि पूर्व मुखिया शिवराज सिंह चौहान मंत्रिमंडल के कई चेहरे डॉ मोहन यादव के दरबार में दिखाई नहीं देंगे। इससे यह संदेश तो गया है कि पार्टी ने शिवराज सिंह चौहान को ही प्रदेश की सत्ता से हाशिए पर नहीं किया, उनकी पूरी टीम को भी पवेलियन में बैठा दिया गया। गोपाल भार्गव, भूपेंद्र सिंह, बिसाहूलाल सिंह, ओमप्रकाश सकलेचा शामिल नहीं किए गए पार्टी ने यह फैसला क्यों लिया, इसे लेकर सबके अपने-अपने अलग अनुमान हैं।

भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व में कई बार छन्नी लगाकर जो नाम फाइनल किए, वे अपने आप में नए तो कहे जा सकते हैं। जो पुराने दिग्गजों को मंत्रिमंडल में शामिल किया गया, उन्हें भी राज-काज के नजरिये से लेना जरूरी था। प्रदीप लारिया, अजय विश्नोई, जयंत मलैया, सुरेंद्र पटवा और शैलेंद्र जैन का नाम भी चर्चा में था, पर इनमें से किसी को मंत्रिमंडल में जगह नहीं मिली। सिंधिया कोटे से भी रायसेन से जीते डॉ प्रभुराम चौधरी भी शामिल नहीं किए गए।

मंत्रिमंडल में यदि कैलाश विजयवर्गीय, प्रहलाद पटेल, विजय शाह और राकेश सिंह जैसे कद्दावर नेता हैं, तो नरेंद्र शिवाजी पटेल, राधा सिंह और प्रतिभा बागरी जैसे पहली बार जीतने वाले विधायक भी हैं। इनमें अनुसूचित जनजाति के 5, अनुसूचित जाति के 4 और 12 ओबीसी विधायकों को मंत्रिमंडल में जगह मिली। गौर करने वाली बात है कि मंत्रिमंडल में सबसे ज्यादा प्रतिनिधित्व मालवा निमाड़ और ग्वालियर-चंबल संभाग को दिया गया। मुख्यमंत्री और उप मुख्यमंत्री भी मालवा से हैं। उसके मुकाबले विंध्य और महाकौशल के मंत्रियों की संख्या कम है। यह कयास लगाने वाले भी कम नहीं है कि लोकसभा चुनाव के बाद मंत्रिमंडल में बदलाव हो सकता है। लेकिन, उनके पास इस संभावना को लेकर कोई आधार नहीं है।

क्या राजस्थान विधानसभा इस बार भी उपाध्यक्ष रहित रहेंगी? 

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