राजनीतिक बिसात बिछाने मामाओं के बीच मामी को लेकर झाबुआ पंहुचे शिवराज मामा

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राजनीतिक बिसात बिछाने मामाओं के बीच मामी को लेकर झाबुआ पंहुचे शिवराज मामा

पुष्पेन्द्र वैद्य की विशेष रिपोर्ट

मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान आज अपनी पत्नी साधना सिंह के साथ आदिवासी बाहुल्य झाबुआ जिले के थांदला पंहुचे। यहाँ भगोरिया हाट के दौरान उन्होंने पारंपरिक वेशभूषा धारण की। आदिवासियों के साथ मांदल की थाप पर सपत्निक थिरके। दरअसल साल 2018 में आदिवासियों से खिसक चुकी अपनी राजनीतिक ज़मीन पर फिर काबिज होने के लिए मध्यप्रदेश में सत्ता और संगठन ने अपनी पूरी ताकत झोंक दी है।

मिशन 2023 के लिए संघ और सत्ता ने आदिवासियों को अपनी धूरी बना लिया है। बीते चुनाव में मध्यप्रदेश की 47 आदिवासी सीटों में से 31 सीटों पर बीजेपी की करारी हार हुई थी। पश्चिमी मध्यप्रदेश की 20 सीटों में से 17 सीटों पर बीजेपी की बड़ी हार हुई थी। आदिवासियों के बीच कांग्रेस और जयस समेत अन्य क्षेत्रिय दल अपनी पेठ बनाने में कामयाब रहे। साल 2003 से पहले बीजेपी और संघ ने आदिवासी इलाकों में हिंदुत्व कार्ड फेंका। हिंदू संगम और शिवगंगा जैसे कई बड़े कार्यक्रम कर कांग्रेस के इस पारंपरिक वोट बैंक को पार्टी ने हथिया लिया था लेकिन 2018 के चुनाव से पहले बीजेपी ने आदिवासियों को बिसरा दिया।

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इसी बीच विपक्षी दल आदिवासियों के बीच जाकर सत्ताधारी पार्टी बीजेपी के खिलाफ हवा बनाते रहे। आदिवासियों को फीड किया गया कि यह पार्टी आरक्षण खत्म कर देगी। नौकरियाँ नहीं मिलेगी। वे सरकारी फायदों से दूर हो जाएगें। इन्हीं सबके चलते बीजेपी को 2018 के चुनाव में मुँह की खानी पडी। सत्ता और संगठन ने मंथन के बाद अब ठान लिया है कि कैसे भी हो आदिवासी सीटों को फिर अपने पाले में लाना ही होगा।

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इसके लिए बकायदा ज़मीनी स्तर पर तैयारियाँ की जा रही है। संघ ने ग्राउंड लेबल पर अपनी तैयारी शुरु कर दी है। बीजेपी सालों बाद टंट्या मामा की शहादत को जोरो-शोरों से याद कर रही है। भोपाल में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को बुलाकर बडा भारी सम्मेलन किया गया। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान भी इन दिनों आदिवासी बाहुल्य इलाकों में ताबड़तोड़ दौरे कर रहे हैं। उनकी संस्कृति के करीब आ रहे हैं। आज जिस झाबुआ जिले में शिवराज सिंह आदिवासियों के सबसे बड़े भगोरिया उत्सव में आकर उन्हीं की वेशभूषा धारण कर अपनी पत्नी के साथ थिरके शायद उसकी भी बड़ी वजह यही रही।

गौरतलब है कि झाबुआ जिले की तीनों सीटों पर बीजेपी को हार मिली थी। तीनों सीटें कांग्रेस के खाते में दर्ज है। शिवराज सिंह आदिवासियों के साथ घुल-मिल रहे हैं। इसमें कोई दो राय नही की पाँव-पाँव वाले शिवराज मामा अपनी बॉडी लैंग्वेज के ज़रिए तुरत ही लोगो को अपना बना लेते हैं। यही वजह है कि वे मध्यप्रदेश के बड़े जननेता यानी मॉस लीडर है। उन्होंने इशारों-इशारों में आदिवासी मामाओं को संबोधित करते हुए यह भी कह दिया कि आपका मामा, मामी को साथ लेकर आपके बीच आया है। आपके बगैर वो नहीं रह सकते।