शिवराजसिंह चौहान ही होंगे मुख्यमंत्री..!

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शिवराजसिंह चौहान ही होंगे मुख्यमंत्री..!

जयराम शुक्ल की खास खबर

मध्यप्रदेश का अगला मुख्यमंत्री कौन होगा? फिलहाल यह सवाल हरेक की जुबान पर है, कांग्रेसियों की जुबान पर भी। श्री चौहान मजे से भोपाल में हैं, अपने परिजनों को वक्त दे रहे हैं, लाड़ली बहनों के साथ भोजन का स्वाद ले रहे हैं, वहीं दूसरी ओर तीन नेता सबसे सक्रिय हैं- प्रह्लाद सिंह पटेल, कैलाश विजयवर्गीय और वीडी शर्मा। ये तीनों दिल्ली में हैं।

 

संसद का शीतकालीन सत्र आरंभ है। लिहाजा श्री पटेल और श्री शर्मा का वहां होना और शीर्ष नेताओं से मिलना लाजमी है। कैलाश विजयवर्गीय पार्टी के महासचिव है और पार्टी द्वारा बुलाई गई महासचिवों की बैठक में भाग लेने के लिए दिल्ली में है। लिहाजा उनकी भी पार्टी के वरिष्ठ नेताओं से मेल मुलाकात हो रही है।

श्री प्रहलाद पटेल ने पत्रकारों से बातचीत की लेकिन कमलनाथ और दिग्विजय सिंह के आरोपों के संदर्भ में। कैलाश विजयवर्गीय का कहना हैं कि मध्यप्रदेश की विजय में सिर्फ मोदी इफेक्ट है। यह इसलिए क्योंकि छत्तीसगढ़ और राजस्थान में लाड़ली बहना योजना नहीं थी फिर भी भाजपा जीती। श्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने मध्यप्रदेश में जीत का श्रेय श्री मोदी की करिश्माई छवि, श्री शाह की रणनीति, श्री नड्डा के नेतृत्व के साथ श्री चौहान की अथक मेहनत और लाड़ली बहना समेत अन्य योजनाओं को दिया है।

 

श्री शिवराजसिंह चौहान सत्ता को लेकर वीतरागी बने हुए हैं। आज का उनका वक्तव्य चर्चाओं में हैं कि वे न तो कभी मुख्यमंत्री की रेस में थे और न आज हैं, पार्टी जो दायित्व सौंपेगी उसका निर्वहन परिश्रम की पराकाष्ठा के साथ करेंगे। यह तो रही सीधी बात, पर अनुषांगिक बात यह कि चुनाव परिणाम के बाद से प्रतिदिन वे ऐसा कुछ न कुछ करते हैं कि ‘लाड़ली बहना’ चर्चाओं के केंद्र में बनी रहें।

 

अब पर्दे के पीछे कई वास्तविकता जानिए। मध्यप्रदेश की जीत को लेकर सरकारी और गैर-सरकारी स्तर पर फीडबैक मांगे गए हैं। मीडिया में छपी रिपोर्ट के विश्लेषण आ रहे हैं। जिन सूत्रों के इनपुट की वजह से मैं मतदान पूर्व आश्वस्त रहा कि मध्यप्रदेश में भाजपा की सरकार बनने जा रही है, उन्हीं सूत्रों का अब कहना है कि केन्द्रीय नेतृत्व के समक्ष फिलहाल शिवराजसिंह चौहान का कोई विकल्प नहीं, वे पांचवीं बार मुख्यमंत्री पद की शपथ लेंगे।

 

सूत्रों ने इस संदर्भ में जो तर्क और तथ्य दिए उससे शीर्ष नेतृत्व भी इत्तेफाक रखता है!

1- मध्यप्रदेश में विजय ‘लाड़ली बहना’ की वजह से मिली लेकिने मोदी ने उसे और प्रचंड बना दिया। यानी कि इस ‘प्रचंड विजय’ में मोदी ‘प्रचंड’ हैं तो चौहान ‘विजय’!

2- छत्तीसगढ़ और राजस्थान की जीत का मध्यप्रदेश की प्रचंडता से कोई मेल नहीं क्योंकि वहां लाड़ली बहना फैक्टर नहीं था।

3- मध्यप्रदेश में महिलाओं और बेटियों की शिवराजसिंह चौहान के साथ सीधे भाई व मामा के तौर पर बाडिंग बन चुकी है। मोदी का प्रभाव समग्रता में वैसे ही इन पर है जितना कि किसी सामान्य नागरिक पर।

4- तीन महीने बाद ही लोकसभा के चुनाव की प्रक्रिया शुरू हो जाएगी।ऐसे में शीर्ष नेतृत्व कदापि न चाहेगा कि शिवराज सिंह चौहान की प्रदेश के विशाल लाभार्थी वर्ग के साथ जो केमेस्ट्री बनी है वह बिगड़े।

5- मोदी, शाह और योगी के बाद भाजपा में चौहान तीसरे ऐसे नेता हैं जिनके नाम से सभाओं में जनता पहुंचती है।

6- और अब सौ की सीधी बात यह कि विधायकों से यदि रायशुमारी की गई तो सबसे बड़ा संख्या बल शिवराजसिंह चौहान के पक्ष में ही रहेगा। चुनावी वर्ष में शीर्ष नेतृत्व अपनी ओर से मुख्यमंत्री थोपने का जोखिम मोल नहीं लेगा। क्योंकि इसी आरोप के साथ वह अब तक कांग्रेस को कठघरे में खड़ा करता रहा है।

 

“भाजपा के केन्द्रीय नेतृत्व के काम करने के तरीके पर नजर रखने वाले एक विश्लेषक से मैंने सीधे यह सवाल पूछा कि मध्यप्रदेश में मुख्यमंत्री पद की शपथ कौन लेने लगा रहा है? तीन शब्दों में जवाब था- शिवराज सिंह चौहान!”