शिवराजजी,आजादी बहुतेरों को चाहिए,मिलेगी.?

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श्रीप्रकाश दीक्षित की विशेष रिपोर्ट

मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान भले दैनिक भास्कर से नाराज हो सकते है और उसे सरकारी विज्ञापनों से वंचित रखा जा रहा हो पर उसकी खबरों पर गंभीर रहते हैं. सिपाहियों के दुरुपयोग पर उसमे जैसे खबर छपी उसे लपक कर उन्होने सलामी के बाद गुलामी से आजादी का ऐलान कर अखबारों की सुर्खियाँ बटोरीं.

पर यहाँ वो गच्चा खा गए क्योंकि चौथे दर्जे के शासकीय सेवकों की गुलामी तो हर जगह विद्यमान है और मुख्यमंत्री उन्हें कहाँ कहाँ आजाद कराते फिरेंगे.अदालतें भी इससे अछूती नहीं हैं और सागर मे चपरासी की खुदकुशी के बाद जज दंपत्ति पर एफआईआर हो चुकी है.इस पर इंडियन एक्सप्रेस ने तब भोपाल संवाददाता मिलिंद घटवई की पूरे पेज की मार्मिक रिपोर्ट छापी थी.

ऐसे मे सिर्फ पुलिस विभाग को निशाने पर लेकर शिवराज ने एकतरफा कार्रवाई का संकेत दिया है.यदि वो भास्कर मे ही बरसों पहले छपी खबर पर तब कार्रवाई करते तो गुलामी तभी दूर हो सकती थी.

दरअसल राजभवन,मुख्यमंत्री निवास और मंत्रियों तथा अफसरों के बंगलों पर नौकर-चाकरों के फ़ौज फाटा की हकीकत तब सामने आई जब भोपाल जेल से सिमी के दर्जन भर से ज्यादा आतंकी भाग निकले थे.दैनिक भास्कर ने तब छापा की जेल के 160 प्रहरियों में से 80 मंतरी संतरी के बंगलों की शोभा बढ़ा रहे थे.? पत्रिका ने तब भोपाल नगर निगम के सफाईकर्मियों के दुरुपयोग पर खबर छापी थी कि 1400 से अधिक की फौज मंत्रियों, अधिकारियों और नेताओं के बंगलों में सेवा दे रही है।

सरकार के निर्माण विभागों जल संसाधन,लोक निर्माण,पीएचई,ग्रामीण यांत्रिकी सेवा और फारेस्ट आदि मे बड़ी तादाद में दैनिक दरों पर मजदूर रखे जाते हैं.रजिस्टर पर फील्ड में काम करते हैं पर ज्यादातर मंतरी-संतरी की बंगला ड्यूटी करते हैं. खाना पकाने,साफ़ सफाई और कुत्ता घुमाने से लेकर बगीचों की सिंचाई सब इनकी ड्यूटी में शुमार है.इसके अलावा निगम-मंडल और आयोग के कर्मचारी और मोटरगाड़ी भी संबंधित विभाग के मंत्री और अफसरों की बंगला ड्यूटी की शोभा बढ़ाते हैं.इस किस्म की बेगार की शुरुआत ऊपर से होती है और फिर असरदार बाबुओं के घरों में भी ये काम करते पाए जाते हैं…!