खिलौना संग्रह के जरिए आंगनबाड़ी के बच्चों के लिए हर सामान जुटाने निकले “मामा” शिवराज का यह अभियान पूरे देश में मिसाल बनने वाला है। मध्यप्रदेश पहला राज्य बन गया है और आंगनबाड़ी के बच्चों को सुपोषित और स्वस्थ, शिक्षित बनाने के लिए ठेला चलाकर खिलौने और अन्य सामान संग्रह करने के लिए बच्चों के मामा शिवराज सड़क पर उतरकर बिगुल फूंक चुके हैं।
भोपाल में दस ट्रक सामान एकत्र हुआ है, तो फिल्म अभिनेता अक्षय कुमार ने एक करोड़ रुपए देने और पचास आंगनबाड़ी गोद लेने की घोषणा कर दी है। कुमार विश्वास ने पुस्तकें भेजी हैं। तो बुद्धिजीवी वर्ग मामा की खुलकर सराहना कर रहा है। मुख्यमंत्री के नाते शिवराज ने विधायकों-सांसदों और जनप्रतिनिधियों से इस मुहिम को आगे बढ़ाने की अपील की है। मध्यप्रदेश इस दिशा में कदम बढ़ाने वाला पहला राज्य बना है, तो जल्द ही यह मॉडल देश के लिए रोल मॉडल बनकर हर राज्य में अपनी छटा बिखेर सकता है। सुपोषित और शिक्षित आंगनवाड़ी के लिए जनभागीदारी का यह अभियान समाज की सोच में बदलाव का महाअभियान साबित होगा।
देश को अंग्रेजों की गुलामी से आजादी दिलाने वाले महानायक राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने जनसहभागिता के बल पर ही यह उपलब्धि हासिल की। देश की जनता ने गांधी जी की एक आवाज पर तन, मन और धन से पूरा सहयोग किया। गांधी जी ने स्वदेशी नीति में विदेशी वस्तुओं विशेषकर अंग्रेजी वस्तुओं का बहिष्कार करने की अपील की। लोगों ने खादी के वस्त्र पहनकर जनसमर्थन दिया। असहयोग की अपील की और उसमें भी सफलता मिली, जिससे समाज के सभी वर्गों की जनता में जोश और भागीदारी बढ गई।
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चाहे नमक सत्याग्रह हो या अंग्रेजो भारत छोड़ो आंदोलन और तमाम दूसरे अभियान, गांधी जी की ताकत वही भारतीय समाज था, जिसने हर समय उनके कदम से कदम मिलाया। यह सामाजिक सरोकार और जनसहभागिता का भारतीयों का भाव ही था कि लोग तन, मन, धन को अर्पण करने में हमेशा दस कदम आगे रहे और तब तक पीछे नहीं हटे, जब तक देश से अंग्रेजों को खदेड़कर भारत को मुक्त न करा लिया। वह उदाहरण भी सामाजिक सरोकारिता का आदर्श है, जब सेना बनाने के लिए कमांडर सुभाष चंद्र बोस को महिलाओं ने अपने गहने ही भेंट कर दिए। इतिहास में ऐसे उदाहरणों की कमी नहीं है। और यही सामाजिक सरोकार बड़े-बड़े अभियानों की सफलता का सारथी बना है। जिसकी शुरुआत अब मध्यप्रदेश में शिवराज ने की है।
आंगनबाड़ी के बच्चों के लिए खिलौने एकत्र करने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान जो भोपाल की सड़कों पर निकले हैं, वह भले ही देखने में सहज और सरल कदम लग रहा हो, लेकिन इसके परिणाम दूरगामी हैं। इस अभियान की सफलता, उस नए आर्थिक मॉडल को जन्म देने की क्षमता संजोए है, जो चिरजीवी है और जिसका स्वभाव कामधेनु का है कि कितनी भी जरूरत हो, सब पूरी हो जाएगी।
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फिर सरकारें बदलें या एक ही सरकार बार-बार आए, पर राज्य को आंगनबाड़ी के बच्चों को सुपोषित करने या फिर प्रदेश और समाज की सेहत को समृद्ध करने के लिए, किसी के भी सामने हाथ फैलाने की नौबत नहीं आएगी। शिवराज का यह काज मील का पत्थर साबित होगा, यदि समाज जाग गया और सामाजिक सरोकार जन-जन के मन में घर कर गया। तब समाज की सोच में बदलाव का महाअभियान साबित होगा जनभागीदारी का शिवराज का यह आह्वान…। उम्मीद यही कि गांधी-सुभाष की तरह शिवराज का आह्वान जन-जन को सामाजिक सरोकार के महायज्ञ में आहुति देने का भाव पैदा करेगा।