Silver Screen:बारिश, बाढ़, आंधी और तूफान भी बनते रहे फिल्मों की जान

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Silver Screen:बारिश, बाढ़, आंधी और तूफान भी बनते रहे फिल्मों की जान

पर्यावरण हो रहे बदलाव के चलते हमें कई बार सूखा और बाढ़ का सामना करना पड़ता है। ये सिर्फ हमारे जीवन में ही नहीं होता, इस पर फिल्मों के कथानक भी रचे जाते हैं। हमारा देश लगभग हर साल कभी बाढ़, कभी सूखा जैसी प्राकृतिक आपदाओं को झेलता है। करोड़ों लोग इन आपदाओं को हर साल करीब से भोगते हैं। इसके बावजूद यह विषय आमतौर पर हिंदी सिनेमा में कम ही नजर आता है। प्यार, अपराध, खेल, घोटाले जैसे कई विषय हैं, जिन पर हिंदी फिल्मकारों ने खूब फिल्में बनाई, लेकिन प्राकृतिक आपदाओं को अपनी कहानियों में ज्यादा जगह नहीं दी। जबकि, हॉलीवुड की फिल्मों में तरह के तूफान और बाढ़ के दृश्य ज्यादा दिखाई दिए। कई फिल्मों के तो टाइटल में भी आंधी, तूफान और भूकंप को शामिल किया गया। पहले हिंदी फिल्मों में आंधी तूफान और बारिश को कभी सस्पेंस तो कभी परिवार में आई आफत के रूप में दिखाया जाता रहा। राज कपूर की पहली सफल फिल्म का टाइटल ही ‘बरसात’ था। उनकी फिल्म ‘आवारा’ में जब पृथ्वीराज कपूर अपनी गर्भवती पत्नी को घर से बाहर निकाल देते हैं, तो अचानक आंधी, तूफान के साथ बारिश आ जाती है। ‘मेरा नाम जोकर’ में भी जब राज कपूर फिल्म के तीसरे हिस्से में पद्मिनी का घर छोड़कर जाते है, तब कड़कड़ाकर बिजली गरजती है और भारी बरसात में पद्मिनी उसे लौटकर आने की गुजारिश करते हुए कहती है अंग लग जा बालमा। राज कपूर की ही फिल्म सत्यं शिवं सुंदरम के अंत में बाढ़ का प्रलयंकारी दृश्य दिखाया गया था। पुल टूटने की वजह से पूरा गांव तबाह हो जाता है। लोग अपना गांव छोड़कर दूर-दूर चले जाते है। शशि कपूर और जीनत अमान की इस फिल्म के बाढ वाले दृश्य को राज कपूर ने खुद कैमरा लेकर अपने लोनी वाले फार्म हाऊस में आई वास्तविक बाढ के समय फिल्माया था।

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राज कपूर की तरह ही महबूब खान ने भी बाढ के दृश्यों का प्रभावशाली उपयोग अपनी क्लासिक फिल्म ‘मदर इंडिया’ में किया था। नरगिस और सुनील दत्त की इस फिल्म में बाढ़ से पूरे गांव में तबाही मच जाती है। भुखमरी और प्लेग की बीमारी से गांव वाले परेशान हैं, इस बीच ग्रामीण अपने परिवार को बचाते हैं। ‘मदर इंडिया’ भारत की उन फिल्मों में से एक हैं, जो ऑस्कर के नॉमिनेशन तक पहुंचने में कामयाब रही। इसके अलावा ‘सोहनी महिवाल’ और ‘बैजू बावरा’ में भी बाढ़ को फिल्म के कथानक से जोडा गया था। बारिश और बाढ़ को मनोज कुमार ने अपनी फिल्म ‘पूरब और पश्चिम’ के पहले श्वेत श्याम हिस्से में बहुत कलात्मकता से फिल्माया था। मनमोहन देसाई की फिल्म ‘सच्चा झूठा’ में राजेश खन्ना की बहन नाज भी बाढ़ में फंस जाती है। ऐसा नहीं कि फिल्मों में प्राकृतिक आपदा के नाम पर केवल बाढ़ का ही सहारा लिया गया। जब बाढ़ पर बस नहीं चल पाया तो फिल्मकारों ने भूकंप जैसी प्राकृतिक आपदा को फिल्म की कथानक में जोड़कर प्रस्तुत किया। इस तरह की फिल्मों में सबसे सफल रही बीआर चोपड़ा की फिल्म ‘वक्त।’ यश चोपड़ा द्वारा निर्देशित 1965 में आई इस फिल्म की कहानी भूकंप में हुई तबाही से बिछड़े परिवार के फिर मिलने की है। इसमें दिखाया गया कि कैसे एक व्यापारी और उसका परिवार सालों बाद एक अदालत के मुकदमे में फिर से मिलता है। ‘मदर इंडिया’ के बाद यह हिंदी सिनेमा की पहली ऐसी फिल्म थी, जिसमें इतने सारे सितारे साथ थे। इसमें बलराज साहनी, सुनील दत्त, शशि कपूर, शर्मिला टैगोर सहित कई बेहतरीन सितारों ने काम किया था।

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Silver Screen:बारिश, बाढ़, आंधी और तूफान भी बनते रहे फिल्मों की जान

फिल्म ‘जल’ में कच्छ के रण को दिखाया गया। इसकी कहानी बक्का के इर्द गिर्द घूमती है जो सूखे के बीच पानी ढूंढ़ने की कोशिश करता है। डायरेक्टर अमोल गुप्ते की इस फिल्म में पूरब कोहली ने मुख्य भूमिका निभाई थी। साल 2005 में महाराष्ट्र में आई बाढ़ पर आधारित इस फिल्म में इमरान हाशमी और सोहा अली खान मुख्य भूमिका में थे। दोनों बाढ़ के बीच फंसकर कैसे मुसीबत से निकलते हैं, फिल्म में यह दिखाया गया। सारा अली खान और सुशांत सिंह राजपूत की फिल्म ‘केदारनाथ’ भी बाढ़ की त्रासदी पर बनी है। 2013 में हिमालय पर इतिहास की सबसे भयानक तबाही हुई थी। यह फिल्म हिंदू लड़की और मुस्लिम लड़के बीच लव स्टोरी पर आधारित है। 2013 में आई फिल्म ‘काई पो चे’ अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत की डेब्यू फिल्म थी। इसमें राजकुमार राव भी नजर आए थे। यह फिल्म तीन युवकों की कहानी थी जिनकी जिंदगी 2001 के गुजरात भूकंप के बाद बदल जाती है। फिल्म में इस भूकंप की भयावहता को दिखाया गया है। यह फिल्म चेतन भगत की किताब ‘द थ्री मिस्टेक्स ऑफ माई लाइफ’ पर आधारित है। कुणाल देशमुख निर्देशित फिल्म ‘तुम मिले’ 2009 में रिलीज हुई थी। फिल्म में इमरान हाशमी और सोहा अली खान ने मुख्य भूमिका निभाई थी। फिल्म में जुलाई, 2005 में मुंबई में आई बाढ़ को दिखाया गया था। 2017 में आई ‘कड़वी हवा’ में संजय मिश्रा और रणवीर शौरी मुख्य भूमिका में थे। यह एक सूखा पीड़ित क्षेत्र की कहानी है जहां बरसों से वर्षा नहीं हुई है। साल 2010 में आई ‘पीपली लाइव’ में किसानों की समस्या को बेहद अनोखे अंदाज में फिल्माया गया था। फिल्म में नत्था की कहानी थी, जो जो सूखे के कारण सरकार से लिया कर्ज वापस नहीं दे पाता। इसके बाद सरकार उनकी जमीन जब्त करने का आदेश देती है।IMG 20240719 WA0127

‘ओह माय गॉड’ (2012) में परेश रावल ने ऐसे शख्स का किरदार निभाया था, जिसकी दुकान भूकंप से नष्ट हो जाती है। बीमा कंपनी इसे ‘एक्ट ऑफ गॉड’ बताकर उन्हें बीमा की रकम नहीं देती। इसके बाद वह कोर्ट का दरवाजा खटखटाता है और एक दिलचस्प कहानी बुनती है। एक और जहां हिंदी फिल्म इंडस्ट्री में प्राकृतिक आपदा को फिल्म के कथानक के साथ जोडकर इस पर कुछ ही रीलें खर्च करने का प्रयास किया गया। वहीं हॉलीवुड ने इस विषय पर पूरी फिल्में ही समर्पित कर दी। उनके इस प्रयास को दर्शकों ने पसंद भी किया। हॉलीवुड में प्राकृतिक आपदाओं पर बनी फिल्मों की खासियत यह होती है, कि ये अपने दर्शकों को असली थ्रिलर महसूस कराती हैं। इतना रोमांच पैदा करती है, कि दर्शक अपनी सीट पर वो आपदा महसूस करता है। ये बिल्कुल असली जैसा लगता है। अब तक प्राकृतिक आपदाओं से लेकर दुनिया के खत्म होने तक, कई प्राकृतिक आपदाओं पर फिल्में बन चुकी हैं। हेलेन हंट और बिल पैक्सटन द्वारा अभिनीत 1996 में आई फिल्म ‘ट्विस्टर’ बॉक्स ऑफिस पर सबसे धमाकेदार हिट साबित हुई। यह फिल्म वास्तव में जबरदस्त दृश्य प्रभावों को दिखाती है।

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2004 में आई ‘द डे आफ्टर टुमारो’ फिल्म में बर्फीले तूफान और सुनामी की त्रासदी को दिखाया गया। अमेरिका में आई इस त्रासदी से पूरा देश तहस नहस हो जाता है। फिल्म का निर्देशन रोलैंड ने किया था। इसके बाद 2007 में प्रदर्शित टोनी के निर्देशन में बनी फिल्म ‘फ्लड’ पूरी तरह से बाढ़ पर ही आधारित थी। 2009 में प्रदर्शित फिल्म ‘2012’ में भूकंप और सुनामी से पूरी दुनिया आई तबाही का रोमांचक फिल्मांकन किया गया था। इस फिल्म जॉन कुसैक, अमांडा पीट और ओलिवर जैसे कलाकार मुख्य भूमिका में थे। इस फिल्म का निर्देशन भी रोलैंड ने ही किया था। दुनियाभर के दर्शकों ने फिल्म को काफी पसंद किया था। 2011 में आई स्टीवन सोडरबर्ग की फिल्म ‘कंटेजियन’ कोरोना वायरस के बढ़ने के बाद सोशल मीडिया पर ट्रेंड हुई। इस फिल्म में ग्वेनेथ पाल्ट्रो, मारिओन कोटिलार्ड, ब्रेयान क्रेन्सटन, मैट डेमन, लॉरेन्स फिशबर्न, जूड लॉ, केट विंसलेट और जेनिफर ने एक्टिंग की है। यह फिल्म 2009 में फैले स्वाइन फ्लू के वायरस के फैलने पर आधारित थी।

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2015 में प्रदर्शित फिल्म ‘सैन एंड्रियास’ में ड्वेन जॉनसन,कार्ला गुजिनो और अलेक्जेन्ड्रा जैसे कलाकार मुख्य भूमिका में थे। इस फिल्म का निर्देशन ब्रैड पेयटन ने किया था। सैन एंड्रियास में भूकंप और सुनामी से होने वाली त्रासदी को दिखाया गया है। हॉलीवुड की ही फिल्म ‘जियोस्टॉर्म’ एक साइंस डिजास्टर आधारित फिल्म थी। ये फिल्म साल 2017 में आई थी। इस फिल्म का निर्देशन डीन डिवालिन ने किया था। इस फिल्म में जेरार्ड बटलर, जिम स्टर्जेस और अब्बी कॉर्निश जैसे कलाकार मुख्य भूमिका में थे। हॉलीवुड ने जहां इस विषय को शिद्दत के साथ उठाया, वहीं हिंदी फिल्मों के निर्माता निर्देशक इसे फिलर के रूप में ही इस्तेमाल करते रहें। ज्यादा हुआ तो बारिश, तूफान, आंधी, जलजला, आंधी और तूफान और आया तूफान जैसे शीर्षक रचे गए।

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हेमंत पाल

चार दशक से हिंदी पत्रकारिता से जुड़े हेमंत पाल ने देश के सभी प्रतिष्ठित अख़बारों और पत्रिकाओं में कई विषयों पर अपनी लेखनी चलाई। लेकिन, राजनीति और फिल्म पर लेखन उनके प्रिय विषय हैं। दो दशक से ज्यादा समय तक 'नईदुनिया' में पत्रकारिता की, लम्बे समय तक 'चुनाव डेस्क' के प्रभारी रहे। वे 'जनसत्ता' (मुंबई) में भी रहे और सभी संस्करणों के लिए फिल्म/टीवी पेज के प्रभारी के रूप में काम किया। फ़िलहाल 'सुबह सवेरे' इंदौर संस्करण के स्थानीय संपादक हैं।

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