Silver Screen : रोमांस किंग शाहरुख़ का अब एक्शन तड़का!

551

Silver Screen : रोमांस किंग शाहरुख़ का अब एक्शन तड़का!

 

– हेमंत पाल

 

कलाकारों के लिए परदे पर अपनी पहचान बदलना बेहद मुश्किल होता है। दर्शक जिस कलाकार को एक बार जिस भूमिका में पसंद करने लगते हैं, वे उसे अलग किरदार में देखना नहीं चाहते। प्राण, विनोद खन्ना और शत्रुघ्न सिन्हा जैसे विलेन को अपनी नई पहचान बनाने में बरसों लग गए। लेकिन, ऐसा कोई हीरो नजर नहीं आता, जिसने अपनी पूरी इमेज ही बदल दी हो! बरसों तक जिसे रोमांस का किंग कहा जाता हो, वो अचानक एक्शन अवतार में परदे पर उतर आया! ये है शाहरुख़ खान, जिन्होंने अपने करियर में ज्यादातर फिल्मों में हीरोइन के साथ रोमांस किया, पर बढ़ती उम्र में अब वे मारधाड़ करते दिखाई दे रहे हैं।

IMG 20230929 WA0187

पहले ‘पठान’ और अब ‘जवान’ ने शाहरुख़ को उस मोड़ पर ला खड़ा किया, जहां से उनकी रोमांटिक इमेज की दुनिया का रास्ता बदल गया। ‘जवान’ से पहले आई ‘पठान’ की सफलता के साथ कई फैक्टर जुड़े थे। करीब चार साल बाद आई इस फिल्म के साथ यह जुमला भी जुड़ा था कि यदि शाहरुख़ इसमें फेल हुए तो उनके लिए अगली फिल्म के दरवाजे बंद हो जाएंगे। लेकिन, ‘पठान’ की आसमान फाड़ सफलता ने ऐसा नहीं होने दिया। इसके बाद अब आई ‘जवान’ ने पिछली फिल्म सफलता को आगे बढ़ाया है। जबकि, कथानक के स्तर पर दोनों ही फिल्मों की कहानियां बेहद कमजोर कही जा सकती है। ये भी कहा जा सकता है कि ये दोनों फ़िल्में और खासकर ‘जवान’ अपनी कहानी की वजह से नहीं चली, बल्कि शाहरुख के स्टार पवार की वजह से चली।

IMG 20230929 WA0184

फिल्म के ‘जवान’ नाम से भ्रम होता है, कि ये सेना से जुड़ी कहानी वाली कोई फिल्म होगी। लेकिन, यह फिल्म सेना से लगाकर किसान और राजनीति तक की भटकी कहानी नजर आती है। कहानी में इतने ज्यादा मोड़ हैं, कि ये भूल-भुलैया ज्यादा लगती है। सीधे शब्दों में कहा जाए तो फिल्म का कथानक और संवाद दर्शकों की तालियों को ध्यान में रखकर ही लिखे गए हैं। दरअसल, इस फिल्म में सामाजिक मुद्दों पर चोट करने का कोई मौका नहीं छोड़ा गया। जब, जहां मौका मिला व्यवस्था को कटघरे में खड़ा किया। वैसे भी दर्शक शाहरुख के ऐसे किरदारों पर ज्यादा तालियां पीटते हैं, जो व्यवस्था विरोधी होते हैं। फिल्म इतने फार्मूलों की भेल बना दी कि ‘वन नेशन-वन इलेक्शन’ भी निम्बू की तरह निचोड़ दिया गया। फिल्म का एक संवाद है ‘बेटे को हाथ लगाने से पहले बाप से बात कर!’ इसे शाहरुख़ के बेटे के कथित ड्रग मामले से जोड़कर देखा गया। शायद यही कारण रहा कि दर्शकों को यह मसालेदार भेल पसंद आई। रोमांस किंग की ये फिल्म एक फुल एंटरटेनिंग फिल्म है, जिसमें वे सारे तत्व हैं, जो किसी भी फिल्म को हिट करवाने के लिए आजमाए जाते हैं। फिल्म में रोमांस, मारा-मारी और देखने वालों को जोड़ने वाले डायलॉग से ‘पठान’ के बाद शाहरुख की जो अलग सी पहचान बनी है, वो कहीं न कहीं दर्शकों के दिल में उतर गई।

IMG 20230929 WA0188

किसी ने सोचा नहीं होगा कि ‘दिलवाले दुल्हनिया ले जाएंगे’ जैसी फिल्म में मोहब्बत का नया अंदाज दिखाने वाला नायक एक दिन हाथ में बंदूक लेकर फूल एक्शन दिखाई देगा। मोहब्बत करने वालों को नई सोच देने वाला ये नायक जिसने मोहब्बत के दुश्मनों को भी यह कहने पर मजबूर कर दिया था ‘…जा सिमरन जा, जी ले अपनी जिंदगी!’ ये सच है कि इस फिल्म को आए बरसों हो गए। उसके बाद समय बदला, माहौल बदला और जिस नायक की रोमांटिक पहचान थी, उसके करियर में भी कई उतार-चढाव आए। लेकिन, अब उसका नया अवतार सामने आ गया। शाहरुख 2018 में आखिरी बार ‘जीरो’ में नजर आए थे। लेकिन, यह फिल्म दर्शकों की उम्मीद पर खरी नहीं उतरी और इसके बाद चार साल तक शाहरुख़ खान दिखाई नहीं दिए! बेटे के ड्रग मामले में कथित रूप से फंसने पर जरूर उनकी चर्चा हुई, पर वो प्रसंग अलग था। इसके बाद जब ‘पठान’ की रिलीज हुई, तब भी माहौल में नेगेटिविटी ही थी। यहां तक कि फिल्म के बॉयकॉट तक की चर्चा चली, पर बाद में जो हुआ उसने नया इतिहास रच दिया। फिर ‘जवान’ ने उसी कहानी को आगे बढ़ाया।

IMG 20230929 WA0186

‘दीवाना’ से अपना करियर शुरू करने वाले इस रोमांटिक नायक के दिल कहीं न कहीं एक्शन हीरो बनने की चाहत दिल में दबी थी। उनकी ये हसरत ‘पठान’ से पूरी हुई। अब ‘जवान’ ने उसी नायक को स्थापित कर दिया। बाजीगर, राजू बन गया जेंटलमैन, डर, कभी हां कभी ना और ‘अंजाम’ वे फ़िल्में थी जिनसे शाहरुख़ को रोमांस के हीरो की पहचान मिली। ऐसा भी समय था जब उन्हें सिर्फ रोमांटिक किरदारों के लायक ही समझा जाता रहा। ऐसे समय में शाहरुख खान अपनी चॉकलेटी इमेज को तोड़ने की कोशिश में लगे थे। लेकिन, किसी ने भी उन्हें एक्शन, थ्रिलर जैसी फिल्मों के लिए साइन करने की हिम्मत नहीं की। क्योंकि, दर्शकों के नकारे जाने का भय ज्यादा था। शाहरुख़ खुद स्वीकारते हैं कि मैं एक्शन फिल्म करना चाहता था, पर कोई मुझे ऐसी फिल्मों में ले नहीं रहा था। पर, मैंने सोच लिया था कि कुछ सालों में मुझे एक्शन फिल्में ही करना हैं। वे तो ‘मिशन इम्पॉसिबल’ जैसी ओवर-द-टॉप फिल्में भी करना चाहते हैं। पहले ‘पठान’ और उसके बाद ‘जवान’ की सफलता ने शाहरुख़ की यह इच्छा तो पूरी कर ही दी।

पहले ‘पठान’ और अब ‘जवान’ से शाहरुख खान के नाम का नगाड़ा बज रहा है। इस हीरो ने कमाई के मामले में खुद की ही फिल्म का रिकॉर्ड तोड़ दिया। ‘जवान’ ने अपनी ओपनिंग वाले दिन से ही बंपर कमाई की। जबकि, चार-पांच साल पहले शाहरुख एक हिट फिल्म को तरस रहे थे। साल 2016 में आई ‘फैन’ दर्शकों का दिल नहीं जीत पाई और फ्लॉप हो गई। 2018 में आई ‘जीरो’ को भी दर्शकों ने नकार दिया था। 200 करोड़ रुपये के बजट वाली ये फिल्म अपनी लागत भी नहीं निकाल सकी थी। दर्शकों की ये प्रतिक्रिया भी सामने आई थी कि अब रोमांस का ये किंग बूढ़ा हो गया। अब उसका हीरोइन के साथ मोहब्बत करना गले नहीं उतरना।

IMG 20230929 WA0185

इसके बाद चार साल बाद शाहरुख ने अपना चोला बदल लिया और अंदर से जो नया शाहरुख निकला उसकी आंखों से खून टपक रहा है। इन दो फिल्मों को शाहरुख खान के करियर के सहारे के रूप में भी समझा जा सकता है। इमेज के मामले में भी और कमाई के नजरिए से भी। शाहरुख खान और विजय सेतुपति की इस फिल्म ने अभी तक 600 करोड़ कमाई कर ली। अभी कमाई का ये आंकड़ा थमा नहीं है। इस साल (2023) में आई पठान, जवान और इस जैसी कुछ फिल्मों को इसलिए भी याद किया जाएगा कि जिन्होंने कोरोनाकाल के बाद सिनेमाघरों में आई मायूसी को काफी हद तक छांट दिया। इसलिए कि कोरोना हमले के बाद लंबे अरसे तक दर्शकों ने सिनेमाघरों से मुंह मोड़ लिया था। इसका कारण ओटीटी के बढ़ते दायरे को भी माना गया, पर अब सामने आया कि ये भ्रम था। दर्शकों का फिल्मों से मोहभंग नहीं हुआ था। वे छूत की बीमारी से घबराने के साथ-साथ ऐसी फिल्मों का इंतजार कर रहे थे, जो उन्हें फुल इंटरटेनमेंट दे सके! अब लगता है, दर्शकों का वो इंतजार ख़त्म हो गया। इस साल को ऐसी फिल्मों के लिए किया जाएगा, जिसे दर्शकों ने हाथों-हाथ लिया। अब पहले दिन से सिनेमाघरों की सीटें बुक होने लगी है, जो एक अच्छा संकेत है।

Author profile
images 2024 06 21T213502.6122
हेमंत पाल

चार दशक से हिंदी पत्रकारिता से जुड़े हेमंत पाल ने देश के सभी प्रतिष्ठित अख़बारों और पत्रिकाओं में कई विषयों पर अपनी लेखनी चलाई। लेकिन, राजनीति और फिल्म पर लेखन उनके प्रिय विषय हैं। दो दशक से ज्यादा समय तक 'नईदुनिया' में पत्रकारिता की, लम्बे समय तक 'चुनाव डेस्क' के प्रभारी रहे। वे 'जनसत्ता' (मुंबई) में भी रहे और सभी संस्करणों के लिए फिल्म/टीवी पेज के प्रभारी के रूप में काम किया। फ़िलहाल 'सुबह सवेरे' इंदौर संस्करण के स्थानीय संपादक हैं।

संपर्क : 9755499919
[email protected]