

Simhasth 2028: उज्जैन को विश्व पटल पर चमकाने का सुनहरा अवसर
रमण रावल
जनवरी-फरवरी 2025 में संपन्न प्रयागराज महाकुंभ के परिप्रेक्ष्य में 9 अप्रैल से 8 मई 2028 तक मध्यप्रदेश की धार्मिक नगरी उज्जैन में होने जा रहे सिंहस्थ के लिये यूं तो मप्र शासन काफी पहले से तैयारियों में लगा ही है। महाकुंभ में व्यवस्थाओं के अध्ययन के लिये मप्र का दल गया भी था। फिर, इस बार विशेष बात यह भी है कि प्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव महाकाल नगरी उज्जैन के निवासी हैं। इस नाते वे अपने गृह नगर उज्जैन में इक्कीसवीं सदी में होने वाले तीसरे सिंहस्थ के लिये भरसक प्रयास करते दिख भी रहे हैं। चूंकि कुंभ,सिंहस्थ,महाकुंभ पूरी दुनिया में अनोखे आयोजन के तौर पर लोकप्रिय हैं तो सरकारों की जिम्मेदारी बढ़ जाती हैं कि वे इन्हें अधिकतम बेहतर बनाने पर ध्यान दें।
समूची दुनिया में 5 से 40 करोड़ लोगों के जमावड़े वाले कोई आयोजन इस भव्यता और लगभग निरापद तौर पर नहीं होते तो दुनिया के लिये ये बेहद अनोखे व अध्ययन लायक होते हैं। पिछले महापर्वों से सीखते हुए इन्हें संवारने का प्रयास सरकारें करती भी हैं। इस दृष्टि से कुछ बिंदू यहां दिये जा रहे हैं, जो संभवत: सिंहस्थ को भीड़ प्रबंधन से लेकर तो स्थानीय स्तर पर रुकने,आवागमन,स्थानीय यातायात के साधन,वस्तुओं की सुगम उपलब्धता और सहजतापूर्वक स्नान,दर्शन की व्यवस्था करने में सहायक हो सकते हैं-
1- सिंहस्थ के मद्देनजर उज्जैन को विधिवत रूप से मप्र की धार्मिक राजधानी घोषित किया जाये।
2- उज्जैन विमानतल का विस्तार करते हुए यहां से व्यावसायिक उड़ानें प्रारंभ हो सके,ऐसे प्रयास करना । यह भी सिंहस्थ से पहले हो जाये, जिसकी उपयोगिता सिंहस्थ के बाद भी बरकरार रहे। उज्जैन में एक पूर्णकालिक विमानतल होने से रतलाम,नीमच,मंदसौर,जावरा,शाजापुर,देवास,धार,झाबुआ के यात्री घरेलू उड़ानों के लिये उज्जैन आना पसंद करेंगे। साथ ही इससे उज्जैन का कारोबारी महत्व भी बढ़ेगा।
3- सिंहस्थ के अवसर पर उज्जैन में विश्व धर्म संसद आयोजित की जाये, जिसमें देश के शीर्षस्थ संतों के साथ खास सौर से दुनिया में जहां भी सनातन को मानने वाले संत,आध्यात्मिक महानुभाव,हरे कृष्ण संप्रदाय के प्रमुख,स्वामी नारायण संप्रदाय के वैश्विक पुजारी-प्रमुख, मॉरीशस, फिजी, कंबोडिया, बैंकाक, पाकिस्तान,बांग्लादेश सहित यूरोप, इंग्लैंड, अमेरिका, आस्ट्रेलिया,अफ्रीकी देशों से भी विद्वानों को आमंत्रित किया जाये। इनके आने-जाने,आवास,भोजन की व्यवस्था महाकाल प्रशासन,विभिन्न महामंडलेश्वर संस्थान,आश्रम,शंकराचार्य के पीठ मिलकर या शासकीय तौर पर भी की जा सकती है।
4- सिंहस्थ के लिहाज से और भविष्य की आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए उज्जैन में एक कन्वेंशन सेंटर का निर्माण किया जाये, जिसमें करीब 2 हजार लोगों के बैठने की व्यवस्था हो। इसमें एक सभागार 500 दर्शक क्षमता का भी हो । सौ कमरे भी इसमें रहें,ताकि सिंहस्थ से पूर्व व बाद में इसे विवाह आदि समारोहों के लिये किराये से भी दिया जा सके, ताकि रखरखाव का खर्च निकल सके। निजी क्षेत्र में भी इसे बनाया जा सकता है।
5- सिंहस्थ में कुछ स्था्न व मार्ग ऐसे चिन्हित किये जाये, जहां पर घाट-मंदिर के पास तक ई रिक्शा चलाये जाये, ताकि श्रद्धालुओं को अनावश्यक अधिक दूरी तक पैदल न चलना पड़े। इनकी संख्या तय रहे और ये कहीं पर न रुकते हुए सीधे गंतव्य पर ही ठहरें। वहां सवारी न हो तो तत्काल वापस भी लौटें। इनका समय भी निर्धारत रहे व यातायात पुलिस के पास इनके वाहन नंबर के साथ मार्गों की भी सूची रहे, ताकि अन्यत्र चलने पर इन्हें समूचे सिंहस्थ काल के दौरान प्रतिबंधित कर दिया जाये। सिंहस्थ क्षेत्र के 5 किलो मीटर तक सुबह-शाम निश्चित समय पर बैटरी बस भी चलाने पर विचार किया जाये, जो शाही स्नान व अन्य स्नानों के समय न चलें ।
6- किसी भी अति विशिष्ट मेहमान के आगमन पर कारकेड के वाहनों की संख्या निर्धारत की जाये, ताकि अनावश्यक जाम न लगे। सिहंस्थ में विशिष्ट मेहमानों के आगमन की दो या तीन तिथियां तय कर ली जायें, ताकि उन दिनों में अतिरिक्त भीड़ न जुटे व व्यवस्थायें सुचारू बनी रह सकें।
7- पैदल यात्रियों के लिये भी यदि एकांगी मार्ग की व्यवस्था हो तो भगदड़ के अवसर कम हो सकते हैं।
8- उज्जैन के लिये जिस तरह से इंदौर-उज्जैन,देवास-उज्जैन,बदनावर-उज्जैन,शिप्रा-सांवेर,उज्जैन-जावरा मार्ग के चौड़ीकरण,मरम्मत की योजना बनी है,उसी तरह से अन्य वैकल्पिक मार्गों के बारे में भी सोचा जाना चाहिये।
9- इसी तरह से इंदौर-देपालपुर-गौतमपुरा होते हुए बड़नगर सड़क को भी शीघ्र फोरलेन किये जाने से सिंहस्थ में यातायात का दबाव नियंत्रित हो सकता है।
10- उज्जैन-नलखेड़ा मार्ग को भी चौड़ा किया जा सके तो वाया झालावाड़ होकर कोटा,जयपुर तरफ से आने-जाने वालों को काफी सुविधा हो जायेगी, जो भविष्य के यातायात के लिये भी उपयोगी होगी।
11- कुछ ऐसी व्यवस्था भी की जा सकती है, जिसके तहत उज्जैन सीमा के 5-10 किलोमीटर तक के गांव में खाली पड़े खेत या शासकीय बंजर,अनुपयोगी जमीन को पार्किग की तरह उपयोग में लिया जा सके। शाही स्नान व अन्य महत्वपूर्ण तिथियों को घाट व मुख्य देवस्थानों को भीड़ से मुक्त रखने के लिये संबंधित दिशा के शहर तरफ से आने वाले निजी व यात्री वाहनों को वहां रोक लिया जाये व शासन की ओर संचालित लोक परिवहन,ई बस,ई रिक्शा के माध्यम से शहर के निश्चित स्थानों तक लाया,ले जाया जाये। इसका किराया यात्री से ही लिया जाये, ताकि शासन,स्थानीय प्रशासन पर कोई बोझ भी न आये। यह स्थान प्रस्तावित मेट्रो के पास हो तो उत्तम।
12- शहर के बीच कुछ सड़कें अत्यंत संकरी,टेढ़ी-मेड़ी हैं,इन्हें ठीक करने की योजना बनाकर अभी से ही काम प्रारंभ किया जाना चाहिये। किसी निर्माण के रुकावट बनने पर उसे शहर में अन्यत्र शासकीय भूमि पर ही उतनी भूमि निशुल्क देकर निर्माण के खर्च का मुआवजा दिया जाये या बाजार दर से उसे संपत्ति के दाम चुकाये जायें। विशेषकर महाकाल मंदिर को जाने वाले अनेक रास्तों को चौड़ा करना आवश्यक है,जिससे सिंहस्थ के बाद भी सुगमता बनी रहेगी।
13- प्रत्येक ऐसे आयोजन में जब करोड़ों लोग आते-जाते हैं, तब व्यापारी वर्ग वस्तु,सुविधा के दाम बढ़ा देता है, जो कि अपराध से कम नहीं । हाल ही में संपन्न प्रयागराज के महाकुंभ को लेकर ऐसी शिकायतें पर्याप्त सामने आई हैं। मप्र सरकार इससे सबक लेकर होटल के कमरे,रेस्त्रां में खाने के मेन्यू,ई रिक्शा,ऑटो रिक्शा,कार टैक्सी जैसी दिनचर्या की तमाम सेवाओं की दरें तो निर्धारित करें ही,उन पर नजर रखने के लिये अशासकीय सदस्यों,सेवाभावियों,प्रमुख संस्थाओं के सदस्यों की ऐसी समितियां बना दी जायें, जिनका नियंत्रण कुछ शासकीय अधिकारियों के पास हो। उन्हें अलग-अलग क्षेत्र में प्रतिदिन जाकर देखने का अधिकार हो और सिंहस्थ के प्रत्येक क्षेत्र में जाने के प्रवेश पत्र भी उन्हें उपलब्ध कराये जायें। उनकी सिफारिश को गंभीरता से लेकर संबंधित पर दंडात्मक कार्रवाई भी की जाये। सिंहस्थ प्रारंभ होने के एक-दो माह पूर्व से इन समितियों का गठन कर संबंधित सेवा के प्रमुख संस्थानों,संगठनों की बैठक कर उन्हें इससे अवगत भी करा दिया जाये, ताकि ऐन वक्त पर अव्यवस्था व विवाद की स्थिति न बनें।
14- चूंकि उज्जैन होकर गुजरात,राजस्थान के नियमित यात्री व भारवाहक वाहन भी निकलते हैं, जिनके सिंहस्थ के दौरान व्यवस्थित संचालन का खाका भी तैयार करना होगा। इससे उनका परिवहन बिना बाधा के हो सके। आवश्यक हो तो इंदौर की तरह एक आउटर बायपास भी अभी से बनाना प्रारंभ कर देना चाहिये,ताकि जिन्हें उज्जैन के अंदर न आना हो, वे परेशान न हों। यह उज्जैन के बेहतर भविष्य की नींव भी साबित होगा।