उज्जैन में फिर दिखेगा सिंहस्थ सा नजारा, 30 मई को गंगा दशहरा पर सैकड़ों संत करेंगे नीलगंगा सरोवर में स्नान

संतों की निकलेगी पेशवाई, होगा नगर भ्रमण

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उज्जैन में फिर दिखेगा सिंहस्थ सा नजारा, 30 मई को गंगा दशहरा पर सैकड़ों संत करेंगे नीलगंगा सरोवर में स्नान

उज्जैन से मुकेश व्यास की रिपोर्ट

उज्जैन। धार्मिक नगरी उज्जैन में एक बार फिर सिंहस्थ का नजारा देखने को मिलेगा, सिंहस्थ महापर्व की तरह साधु संत पेशवाई निकालकर स्नान करेंगे, यह आयोजन 30 मई को गंगा दशहरा पर्व पर प्राचीन नीलगंगा सरोवर पर जूना अखाड़ा की अगुवाई में होने जा रहा है जिसमें अखाड़ा परिषद अध्यक्ष रविन्द्र पूरी जी महाराज,महामंत्री सहित सभी अखाड़ों के साधु संत और महामंडलेश्वर शामिल होंगे।

उज्जैन में कल 30 मई की सुबह सिंहस्थ की तर्ज पर एक भव्य पेशवाई निकलेगी जिसमें रथ हाथी घोड़ो पर सवार साधु संत नगर भ्रमण करते हुई प्राचीन नीलगंगा सरोवर पहुंचेंगे और यहां स्नान ध्यान पूजन करेंगे, गंगा दशहरा पर यह आयोजन जूना अखाड़े द्वारा किया जा रहा है जिसमें सभी अखाड़ों के संत महंत, महामंडलेश्वर शामिल होंगे, आयोजन के मुख्य अतिथि अखाड़ा परिषद अध्यक्ष रविन्द्र पूरी जी महाराज होंगे वहीं सभी अखाड़ों के वरिष्ठ संतो और पदाधिकारी भी सम्मिलित होंगे, आयोजन में प्रदेश के बड़े नेतागण भी शामिल होंगे।

जानकारी देते हुए जूना अखाड़ा के अंतराष्ट्रीय अध्यक्ष प्रेम गिरी महाराज और अखाड़ा परिषद महामंत्री हरि गिरी महाराज ने बताया कि पहले नीलगंगा सरोवर एक गंदे तालाब के रूप में था जिसका महत्व समझकर हमने इसे एक सरोवर का रूप प्रदान किया है यहां काशी की तरह गंगा जी स्वयं प्रकट हुई थी इसलिए इसका महत्व भी गंगा से कम नही है।

संतों ने कहा हम कर देंगे शिप्रा की सफाई

वही मोक्षदायिनी शिप्रा को लेकर अखाड़ा परिषद महामंत्री हरिगिरी जी महाराज ने चिंता व्यक्त करते हुए शासन प्रशासन को कहा है कि अगर उनसे शिप्रा स्वच्छ नही हो पा रही है तो हमें इसकी जवाबदारी दे दे हम साधु संत मिलकर इसे साफ स्वच्छ और निर्मल कर देंगे, इससे पहले महाराज ने प्रदूषण विभाग से शिप्रा के जल की जांच कराई जिसमें शिप्रा को आचमन और स्नान योग्य नही बताया गया है इसे लेकर संतो में भारी आक्रोश और असंतोष है।

हरिगिरी महाराज ने शासन प्रशासन के शिप्रा शुद्धिकरण के प्रयासों में कमी बताते हुए कहा कि शिप्रा मैया कल भी शुद्ध थी आज भी शुद्ध है बस उसमें जमी काई और गाद को हटाकर पाँच दस किलोमीटर के क्षेत्र में खुदाई और गहरीकरण की आवश्यकता है।अगर सरकार से ये काम नहीं हो रहा है तो हम साधु संतों को दे दे हम हमारी जेब से पैसा लगाकर ये काम कर देंगे जैसे हमने नीलगंगा सरोवर को स्वच्छ किया है ऐसे ही शिप्रा को भी कर देंगे।