Snake Friend : अपनी जान पर खेलकर बचाते हैं दुसरों की जिंदगी गणेश!
Ratlam : मध्यप्रदेश स्थित मालवा क्षेत्र के रतलाम जिले के ग्राम पिपलोदा में एक सख्स ऐसे हैं जो पेशे से शिक्षक हैं, लेकिन उनमें समाजसेवा का जज्बा शुमार हैं, इंसान हो या जानवर उनकी मुसीबत में यह शिक्षक कभी पीछे नहीं हटते, हां हम बात कर रहें हैं शिक्षक गणेश मालवीय की जिनकी आदत में शुमार है, मुसीबत में घिरे लोगों की मदद करना।
हमें मानवीय संवेदनाओं के उदाहरण हमेशा देखने को मिलते हैं और लोग एक दूसरे की मदद भी करते हैं, किंतु जब बात किसी जानवर की मदद की बात आती हैं तो ऐसे में कुछ इंसान ऐसे भी हैं जो अपनी जान की परवाह नहीं करते हुए जान पर खेलकर इंसानियत दिखाते हैं।
ऐसा ही वाकया रतलाम जिले की पिपलोदा तहसील के आदिवासी छात्रावास निकट बीते सोमवार को हुआं, जहां एक जहरीला कोबरा सांप छात्रावास अधीक्षक ने देखा, जिसे देखकर क्षेत्र के रहवासी और बच्चे भयभीत होने लगे, इस दौरान अधीक्षक द्वारा पिपलोदा निवासी शिक्षक एवं सर्पमित्र गणेश मालवीय को इस मामले की तत्काल सूचना दी गई और स्थिति से अवगत कराया, शिक्षक मालवीय मौके पर पहुंचे और देखा कि सांप के भय से छात्रावास के सभी बच्चे, वार्डन, स्टाफ भयभीत थे, क्योंकि कोबरा सांप के नाम से ही लोग सिहर जाते हैं जिसे देखकर ही लोग इससे खौफ खाते हैं, सांप को देखने के पश्चात सर्पमित्र गणेश मालवीय ने सांप के नजदीक जाकर देखा तो पता चला कि सांप जख्मी था जिसके ऊपर वहां गुजरने वाला कोई वाहन चढ़ गया हैं, जिसकी वजह से नाग का पूरा शरीर खून से लथपथ हो चुका था, मालवीय ने उसे निकाला, ग्राउंड में लाए और अपने हुनर से सांप को वश में करते हुए उसके घाव का उपचार किया और उसे चंदन का लेप लगाया, जिससे सांप को चींटी लगने का खतरा नहीं रहें और घाव जल्दी भर जाए, इसके बाद सांप के खाने-पीने की व्यवस्था की और सुरक्षित रूप से जंगल में छोड़ दिया।
मालवीय ने बताया कि अधिकतर सांपों के किसी भी कारण से उसके शरीर पर घाव होने की वजह से चींटियों के काटने से उसकी मौत हो जाती हैं, इसी स्थिति को देखते हुए मैंने हल्दी और चंदन का लेप लगाकर उसे सुरक्षित जंगल में छोड़ दिया।
मालवीय के इस कार्य से स्कूल के बच्चे और क्षेत्र के नागरिक तनाव मुक्त हुए, वहीं किसी जीव को पुनः जीवन दान मिला।
सर्पमित्र गणेश मालवीय की बात करे तो उनके द्वारा पिछले 13 वर्षो से सांपों के जीवन को बचाने को लेकर मुहिम जारी हैं, जिसके अंतर्गत उन्होंने सैकड़ों सांपों को सुरक्षित जंगल में छोड़ते हुए घायल सांपों का उपचार किया, शिक्षक और पर्यावरण मित्र सर्पमित्र होने के नाते इन्होंने उनके पुत्र समर्पण को भी इस क्षेत्र में पारंगत किया।
और इंसानियत दिखाते हुए निशुल्क सेवाएं उपलब्ध कराने साथ-साथ गरीब लोगों की मदद भी करते हैं, निर्धन और जरूरतमंदों की स्कूल फीस और शिक्षण सामग्री भी उपलब्ध कराते हैं।
मालवीय के पुत्र समर्पण मालवीय को 2019 में ‘राष्ट्रपति पुरस्कार’ जीवन रक्षा पदक से सम्मानित किया गया जो कि पूरे भारतवर्ष में सबसे नन्हा बच्चा हैं, जिसने रतलाम जिले सहित पिपलोदा तहसील के नाम को प्रदेश भर में गौरांवित किया।