SOM Distillery Case : ‘सोम’ मामले में आबकारी अधिकारियों के बाद अब श्रम निरीक्षक सस्पेंड!

CM की सख्ती के बाद कार्यवाही, इस फैक्ट्री में 59 बच्चे शराब बनाने के काम में लगे पाए गए! 

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SOM Distillery Case : ‘सोम’ मामले में आबकारी अधिकारियों के बाद अब श्रम निरीक्षक सस्पेंड!

 

Bhopal : रायसेन जिले की सोम डिस्टलरी की शराब फैक्ट्री में कल बाल संरक्षण आयोग के छापे के बाद अब जिम्मेदार अधिकारियों पर कार्यवाही शुरू हो गई। जिला आबकारी अधिकारी कन्हैयालाल अतुलकर और जिले के तीन आबकारी उप निरीक्षकों, प्रीति शैलेंद्र उईके, शैफाली वर्मा और मुकेश कुमार को निलंबित कर दिया गया। इसके साथ ही श्रमायुक्त ने श्रम निरीक्षक (मंडीदीप) राम कुमार श्रीवास्तव को भी निलंबित कर दिया।

शराब फैक्ट्री में बाल श्रम के मामले में मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव के निर्देश पर कार्रवाई की गई है। अधिकारियों पर भी कठोर कदम उठाए गए। सोम डिस्टलरीज प्राइवेट लिमिटेड में बाल श्रम का मामला सामने आया था। फैक्ट्री में लगभग 50 से अधिक बच्चे शराब बनाने का काम करते हुए पाए गए। जिनमें 20 लड़कियां भी शामिल थीं।

यह फैक्ट्री सरकार के आबकारी विभाग की देखरेख में संचालित है। आबकारी अधिकारी का दफ़्तर भी उसी परिसर में स्थित है। इस मामले ने आबकारी विभाग की जवाबदेही पर सवाल खड़े कर दिए हैं। बच्चों को खतरनाक रसायनों के संपर्क में आने से होने वाले नुकसान को देखते हुए यह स्पष्ट है कि इस मामले में बड़ी लापरवाही बरती गई है।

शिकायत के आधार पर डिस्टलरी का निरीक्षण 

बाल श्रम निरोधक माह के अंतर्गत ‘बचपन बचाओ आंदोलन’ से मिली शिकायत के आधार पर सोम डिस्टलरी का निरीक्षण किया गया। निरीक्षण के दौरान पाया गया कि फैक्ट्री में 50 से अधिक बच्चे शराब बनाने का काम कर रहे थे। इनमें से कई बच्चे रसायनों के संपर्क में आने के कारण हाथ की चमड़ी जलने की समस्या से पीड़ित थे।

मुख्यमंत्री को धन्यवाद दिया 

इस मामले के सामने आने के बाद मुख्यमंत्री की कार्रवाई को देखते हुए NCPCR अध्यक्ष प्रियंक कानूनगो ने सीएम डॉ मोहन यादव को धन्यवाद दिया। उन्होंने कहा कि आपकी संवेदनशीलता अनुकरणीय है, प्रदेश के बच्चो का भविष्य और हित निश्चित ही आपके हाथों में सुरक्षित है। आयोग के अध्यक्ष प्रियंक कानूनगो ने रायसेन शराब फैक्ट्री में बाल श्रमिकों के गायब होने के मामले में प्रशासन को कटघरे में खड़ा किया था। उन्होंने सवाल उठाया था, कि एसडीएम को 20 किमी की दूरी तय करने 5 घंटे क्यों लगे? कानूनगो ने इसे प्रशासनिक लापरवाही का गंभीर उदाहरण बताया था। अब उन्होंने मुख्यमंत्री की त्वरित कार्रवाई को देखते हुए धन्यवाद दिया।