

Son Brought Justice to His Father : प्रधान आरक्षक पिता को 11 साल बाद बेटे ने वकील बनकर न्याय दिलाया, फिर वर्दी पहनी!
Anuppur : अपने पिता को न्याय दिलाने के लिए एक बेटे ने जो किया, वो किसी फिल्मी कहानी से कम नहीं है। आय से अधिक संपत्ति की गुमनाम शिकायत पर यहां पुलिस लाइन में पदस्थ प्रधान आरक्षक पिता को एसपी ने 11 साल पहले 2013 में सेवा से बर्खास्त कर दिया था। इस पर प्रधान आरक्षक मिथिलेश पांडे ने अपनी बेगुनाही की कई जगह गुहार लगाई। पर उन्हें कहीं से न्याय नहीं मिला। आखिर 11 साल बाद बेटे की मेहनत से पिता को उनकी नौकरी और सम्मान वापस मिला।
अनूपपुर जिले के जमुना कॉलरी के रहने वाले मिथिलेश पांडे को आय से अधिक संपत्ति के मामले में एक शिकायत के बाद बर्खास्त कर दिया गया था। इस फैसले के खिलाफ उन्होंने पुलिस विभाग के कई बड़े अधिकारियों के सामने अपना पक्ष रखा, लेकिन उनके पक्ष को हर जगह अनसुना कर दिया गया। तत्कालीन एसपी की कार्रवाई को लेकर मिथलेश पांडे ने रेंज के डीआईजी और आईजी से भी गुहार लगाई, पर उन्हें कहीं से न्याय नहीं मिला।
बर्खस्तगी गुमनाम शिकायत पर 10 दिन में की गई
जिस दौरान मिथिलेश पांडे पर कार्रवाई हुई, तब वे पुलिस लाइन में पदस्थ थे। उन पर आरोप था कि आय से अधिक संपत्ति उन्होंने अर्जित कर रखी है। यह शिकायत अनूपपुर एसपी को एक गुमनाम चिट्ठी के जरिए मिली थी। तत्कालीन एसपी ने सिर्फ 10 दिन में ही जांच रिपोर्ट के आधार पर उन्हें सेवा से बर्खास्त कर दिया। रिपोर्ट में यह भी उल्लेख किया गया कि मिथलेश पांडे बयान के लिए समय पर उपस्थित नहीं हुए थे। सेवा से हटाए जाने के बाद मिथलेश पांडे ने डीआईजी और आईजी के सामने जाकर भी अपील की पर वहां पर भी राहत नहीं मिली।
इस पर मिथलेश पांडे ने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाते हुए 2013 में याचिका दायर की। उसके बाद से उनका केस चल रहा था। पिता के साथ पुलिस विभाग में पदस्थ अधिकारियों की ज्यादती को उनका बेटा अभिषेक पांडे भी समझ रहा था। इसके बाद उसने तय किया कि पिता के अधिकार की लड़ाई लड़ने के लिए वह वकालत करेगा। 2021 में अभिषेक पांडे ने भोपाल से बीए, एलएलबी की पढ़ाई की, इस बीच हाईकोर्ट के वकील महेंद्र पटेरिया के साथ जुड़ गया।
नौकरी वापस मिली, आरोप निराधार निकले
आय से अधिक संपत्ति की शिकायत पर घिरे मिथलेश पांडे की 4 जनवरी को डीआईजी के समक्ष अपील लगाई गई थी। जिस पर उन्होंने एक वेतन वृद्धि रोकते हुए नौकरी ज्वाइन करने के निर्देश दिए। डीआईजी के आदेश को शहडोल रेंज के आईजी ने स्वतः संज्ञान लिया, और फिर ज्वाइनिंग रोक दी। इसके बाद याचिकाकर्ता ने आईजी के संवत संज्ञान के निर्णय को हाईकोर्ट में चुनौती दी, जिस पर कोर्ट ने मिथलेश पांडे को स्टे दे दिया। जस्टिस संजय द्विवेदी की कोर्ट ने अनूपपुर पुलिस अधीक्षक को आदेश दिया कि याचिकाकर्ता को पुनः सेवा से बहाल किया जाए। 11 साल की लंबी लड़ाई के बाद बेटे ने अपने पिता को न्याय दिलाया।