पटवा जी की पुण्यतिथि पर विशेष: पटवा जी ने की मध्यप्रदेश के विकास की चिंता

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मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री श्री सुंदरलाल पटवा जी का जन्म कुकडेश्वर में 11 नवंबर 1924 को हुआ था। उन्होंने 28 दिसंबर 2016 को अंतिम सांस ली।

श्री सुंदर लाल पटवा ने राजधानी से लगे रायसेन जिले के जनजातीय बहुल इलाके साढ़े बारह गांव अंचल में पहुंचाई थी विकास की रोशनी। उन्होंने यहां बुनियादी नागरिक सुविधाएं पहुंचाने का कार्य किया।स्वतंत्रता के बाद किसी ने इस क्षेत्र की सुध नहीं ली थी।पटवा जी इन अंचलों का दौरा भी करते थे।

जनजातियों की प्रगति के पक्षधर
रायसेन जिले के साढ़े बारह गांव अंचल के विकास के लिए उनकी चिंता बहुत मायने रखती थी। यहां 12 गांव बरेली तहसील के और आधा गांव सिलवानी तहसील का है। इस अंचल में मंडला, डिंडोरी, झाबुआ या अलीराजपुर की तरह जनजातीय संस्कृति के दर्शन होते हैं । इस क्षेत्र में विकास के अनेक कार्य पटवा जी ने करवाए वे। इस अंचल की प्रगति की बहुत चिंता करते थे।

मध्य प्रदेश में नवंबर 2021 में विशाल जनजातीय गौरव दिवस आयोजित कर एक इतिहास रचने का कार्य हुआ। निश्चित ही शिवराज जी ने श्री पटवा जी की जनजातीय वर्ग की तरक्की के लिए चिंतित रहकर कार्य करने की परंपरा को आगे बढ़ाया है ।

मध्य प्रदेश के जनजातीय समुदाय से पटवा जी का सतत वार्तालाप होता था। राजधानी भोपाल से लगे हुए सीहोर और रायसेन जिले के अन्य जनजातीय इलाकों के बंधुओं से भी उनका सतत संवाद होता था।

युवाओं को दिया भरपूर महत्व
श्री पटवा ने मध्यप्रदेश के विकास में अपनी नेतृत्व क्षमता का विशेष परिचय दिया। वे संगठन में भी युवा नेताओं को महत्व देते थे। उन्होंने श्री शिवराज सिंह चौहान जैसे युवाओं की प्रतिभा को पहचाना और उन्हें आगे बढ़ने का अवसर दिया।

विनोदी थी बातचीत की शैली
विनोद प्रिय स्वभाव के श्री पटवा अक्सर हास परिहास करते थे।प्रशासक सख्त थे लेकिन उनकी बातचीत की विनोदी शैली सभी का ध्यान आकर्षित करती थी। रायसेन जिले की भोजपुर विधानसभा क्षेत्र के संगठन के साथियों के साथ उनके मधुर संबंध थे।

जब नारे को सुधारा पटवा जी ने
वर्ष 1991 में जब अटल जी ने विदिशा रायसेन संसदीय सीट से त्यागपत्र दिया तो लोकसभा उम्मीदवार के रूप में विधायक श्री शिवराज सिंह चौहान को संगठन ने सांसद के निर्वाचन के लिए बतौर उम्मीदवार चयनित किया। उस समय अक्टूबर 1991 में बरेली के पास ग्राम खरगोन में एक सभा थी जहां श्री चौहान को सिक्कों से तौला जा रहा था। तब कुछ कार्यकर्ताओं ने नारे लगाए थे “आंधी है तूफान है शिवराज सिंह चौहान है” तब पटवा जी ने मंच से ही कहा, इस नारे में थोड़ा सा संशोधन करें, आंधी नहीं तूफान है शिवराज सिंह चौहान है फिर बोले, ये ज्यादा सटीक रहेगा। इस तरह पटवा जी विनोदी शैली में अपने भाषा ज्ञान का परिचय भी दे दिया करते थे।

शिवराज जी ,अटल जी की परंपरा के नेता
पटवा जी मंच से शिवराज जी की तारीफ करते थे।उन्होंने शिवराज जी को अटल जी की परंपरा का नेता बताते हुए उनकी प्रशंसा में कहा था कि *शिवराज में जुनून है, विकास के लिए एक जिद है, जज्बा है ,पागलपन है। मुझे पूरी उम्मीद है विकास के लिए पागल बनने वाले और जिद्दी बनकर कार्य पूर्ण करवाने वाले इस नेता को आप जरूर समर्थन देंगे।”

जब काबिल शिष्य बने शिवराज जी
गुरु शिष्य परंपरा हमारे प्राचीन गुरुकुल के साथ ही समाज जीवन में दिखाई देती है। शिवराज जी ने आज सिद्ध कर दिया है कि वे पटवा जी के अधूरे सपनों को पूरा करने के साथ ही अंत्योदय के लिए कितने चिंतित हैं। एक शिष्य अपने प्रदेश के निर्माण का काम करते हुए गुरु को किस तरह आदरांजलि दे सकता है, यह एक अनुपम उदाहरण है ।

जनजातीय समाज के लिए दिल में दर्द
वर्ष 1983 में आदिवासी आश्रम बाड़ी में बच्चे की मृत्यु से पटवा जी और शिवराज जी बहुत व्यथित हुए थे। शिवराज जी कहते थे संक्रांति पर बेटा आएगा, लड्डू खाएगा ,किसी कारण से ये बच्चा असमय मृत्यु का शिकार हो गया था। आश्रम के लिए सुविधाएं बढ़ाने का कार्य भी समय-समय पर किया गया है। शिवराज जी के प्रयास से ही रायसेन के साढ़े बारह ग्राम अंचल को नदी पर पुल बन जाने से राजमार्ग से जोड़कर मुख्यधारा से जोड़ने में सफलता मिली है।

प्रतिभा संपन्न, प्रखर विद्वान, मध्यप्रदेश के रत्न स्व. श्री सुंदरलाल पटवा का जन्म मंदसौर जिले के कुकड़ेश्वर गांव में वर्ष 11 नवंबर 1924 को हुआ था।

वर्ष 1941 से वे इन्दौर राज्य प्रजा मण्डल एवं 1942 से राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़े। श्री सुंदरलाल पटवा को मरणोपरान्त पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया।

वे राजनीति के अजातशत्रु माने गए। श्रद्धेय सुंदरलाल पटवा ने अपनी दूरदर्शिता और अद्वितीय प्रशासकीय गुणों से प्रदेश को नई ऊंचाइयों पर पहुंचाने का काम किया।

स्व. श्री सुंदरलाल पटवा ऐसे नेता थे जिन्हें भारतीय जनता पार्टी को सींचने का श्रेय जाता है। वर्ष 1951 में जनसंघ की स्थापना के समय से ही वे इसके सक्रिय कार्यकर्ता रहे। वर्ष 1957 से 1967 तक विधान सभा सदस्य एवं विरोधी दल के मुख्यक सचेतक रहे। आपातकाल के दौरान 27 जून, 1975 से 28 जनवरी, 1977 तक मीसा बंदी के रूप में जेल में रहे।

स्व. श्री पटवा 20 जनवरी, 1980 से 17 फरवरी, 1980 की अवधि में पहली बार मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री रहे। उसके बाद वर्ष 1990 के विधान सभा चुनाव में सदस्य निर्वाचित हुए एवं 5 मार्च 1990 से 15-12-1992 तक दूसरी बार मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री रहे।

वर्ष 1977 में छिंदवाड़ा से लोकसभा उपचुनाव में विजयी हुए और वाजपेयी सरकार में दो साल मंत्री भी रहे।
वर्ष 1998 में होशंगाबाद से सांसद चुने गए और अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्री बने। श्री सुंदरलाल पटवा का 28 दिसंबर 2016 को 92 साल की अवस्था में निधन हुआ।

एक अच्छे स्वीमर
भोपाल के तुलसी नगर के तरण पुष्कर के प्रबंधक रहे श्री एच पी दुबे बताते हैं कि पटवा जी 90 वर्ष की आयु में भी स्विमिंग पुल में तैरने आते थे।

वे अच्छे तैराक भी रहे। शरीर को स्वस्थ रखने में स्विमिंग को प्रमुख माध्यम मानते थे। यह संयोग है कि उनके सबसे खास शिष्य मुख्यमंत्री शिवराज जी बहुत अच्छे तैराक हैं, उनके बहुत गुणों को अपनाया है।

( इस संस्मरणात्मक लेख में लेखक के अपने विचार हैं)