Statement of Excise Officer : लोकायुक्त में ट्रैप आबकारी अधिकारी ने बताया ‘पैसा ऊपर तक जाता है, इसका भी सिस्टम!’

आबकारी अधिकारी के बयान से मचा हड़कंप!

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Statement of Excise Officer : लोकायुक्त में ट्रैप आबकारी अधिकारी ने बताया ‘पैसा ऊपर तक जाता है, इसका भी सिस्टम!’

Reewa : लोकायुक्त में ट्रैप उमरिया जिले में जिला आबकारी अधिकारी रिनी गुप्ता ने अपने बयान में ‘ऊपर तक पैसा’ पहुंचाने और इसका एक सिस्टम होने की बात लोकायुक्त पुलिस को लिखित रूप में दी। उनके इस लिखित बयान के बाद आबकारी विभाग में हड़कंप है। क्योंकि, उनके बयान में ‘ऊपर तक’ के कई मतलब निकाले जा रहे हैं।

रीवा में पदस्थ प्रभारी डिप्टी कमिश्नर आलोक खरे खुद लोकायुक्त रेड में पकड़े जा चुके हैं। बताया गया कि आलोक खरे ने रीवा प्रभारी डिप्टी कमिश्नर की पदस्थापना के बाद फर्जी बैंक गारंटियों से रीवा, सिंगरौली और सतना जिले में ठेका करवाया था। यह फर्जी बैंक गारंटिया ऐसे बैंकों से ली गई,जो बैंक दिवालिया होने के कगार पर हैं। शासन ने इन बैंकों से बैंक गारंटी लेना निषेध किया था। डिप्टी कमिश्नर रिनी गुप्ता के स्टेटमेंट के अनुसार ऊपर के पहले अधिकारी आलोक खरे है। समझा जा रहा है कि क्या यह बयान आलोक खरे की तरफ इशारा है, जो रिनी गुप्ता ने दिया या यह ग्वालियर मुख्यालय में आबकारी आयुक्त की तरफ इशारा है। यह स्पष्ट होना अभी बाकी है।

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आलोक खरे ने रिनी गुप्ता के बारे में नेगेटिव टिप्पणी की थी। लोकायुक्त के निरीक्षक ने शंका व्यक्त की है, कि कहीं ऐसा तो नहीं कि आलोक खरे और रिनी गुप्ता के बीच में आबकारी के इसी सिस्टम और ऊपर तक के पैसे की लड़ाई चल रही हो।

आलोक खरे की फर्जी बैंक गारंटियों से ठेका करवाने और लोकायुक्त की रेड में पकड़े जाने तथा रिनी गुप्ता के बयान के बाद संदिग्ध नंबर-वन होने के बाद भी शासन द्वारा उन्हें पदनाम दिया जा रहा है।

लोकायुक्त आरोपी रिनी गुप्ता के पारिवारिक वकील का कहना है कि मध्य प्रदेश के आबकारी विभाग के इतिहास में यह पहला मामला है, जिसमें एक भ्रष्ट अधिकारी आलोक खरे जो लगातार नियम विरुद्ध काम कर रहा है, उसे पदनाम दिया जा रहा है। शासन तथा प्रमुख सचिव की ईमानदारी कसौटी पर है। पदनाम की सूची निकालने के पश्चात प्रमाण सहित लोकायुक्त , आर्थिक अपराध ब्यूरो तथा भारत सरकार के भ्रष्टाचार विरोधी संस्थानों में इस बाबत गंभीर शिकायत की जाएगी।

लोकायुक्त की टीम और पुलिस अधीक्षक अब इस बात की जानकारी लेने में लगे हैं कि शराब की अतिरिक्त दुकान अवैध रूप से चलाने के लिए प्राप्त भ्रष्टाचार का पैसा किस सिस्टम के तहत कहां-कहां तक जाता था और किसका कितना हिस्सा था।

मध्य प्रदेश के प्रत्येक जिले में शहरी क्षेत्र को छोड़कर सभी जगह एक दुकान का लाइसेंस होने के बाद लगभग 60 से 70 जगह अवैध शराब दुकान की तरह बिकती है। रिनी गुप्ता या आलोक खरे इन्हीं अवैध दुकानों से भ्रष्टाचार का पैसा प्राप्त करते हैं। लोकायुक्त पुलिस से बयानों के बीच रिनी गुप्ता ने डिप्टी कमिश्नर आलोक खरे के बारे में रीवा सहित पूरे सिस्टम को खोलकर रख दिया।

बताया जाता है कि डिप्टी कमिश्नर का और ऊपर का कितना हिस्सा कैसे जाता था। रिनी गुप्ता ने रीवा स्थित विदेशी शराब गोदाम से दो नंबर की शराब बेचने के लिए भी दबाव डालने का आरोप डिप्टी कमिश्नर आलोक खरे पर लोकायुक्त टीम के समक्ष लगाया है। अब लोकायुक्त पुलिस ऊपर के संबंधों और सिस्टम की जांच करेगी की कहां-कहां से पैसा कितना कितना जा रहा है।