
कथा- ए-गणेश: बड़े बडे सेठों ने गणेश जी की ये वाली कहानी आत्मसात् कर रखी थी
मुकेश नेमा
कुबेर हैं धन के देवता। देवताओं के ख़ज़ांची।तिजोरी मे धन हो और बंदा फूला फूला न घूमें ये न आदमियों के लिए मुमकिन है न देवताओं के लिए। जेब भरी हो तो आदमी आसमान पर लात मारते चलता है यही हाल कुबेर का था। एक बार कुबेर शंकर जी से मिलने गए। शंकर जी के पास अपना कोई घर नही। मय परिवार ससुराल मे डेरा। सादा जीवन उच्च विचार। कोई तामझाम नही। कुबेर को दया आई। उसने भोलेनाथ से कहा घर आइए खाना खाने। शंकर जी खुद तो नही गए पर अपने छोटे लड़के को कुबेर के यहां खाना खाने भेज दिया।
गोलमटोल गणेश जी को देखकर कुबेर ने सोचा कि भूखा रह जाता होगा बेचारा। कहा खाने में संकोच मत करना। पेट भर कर खाना। गणेश जी समझदार। समझ गए कि कुबेर घमंडी है। सो उन्होंने कुबेर के किचन में मौजूद सारा खाना ,सारे रूपए पैसे। हीरे जवाहरात ,घर और उसकी तमाम जमीनें खा ली। कुबेर पसीना पसीना। गणेश जी ने कहा मैं अभी भी भूखा हूँ।और चाहिए। कुबेर समझा फिर। माफी मांगी उसने गणेश जी से और उन्हें उनके घर छोड़ आए।
जब हम लोग बच्चे थे तब के बुजुर्गों ने ,बड़े बडे सेठों ने गणेश जी की ये वाली कहानी आत्मसात् कर रखी थी। वो मोटा पहनते थे। मीठा बोलते थे और मीठा बोलकर सामने बैठे गरीब की जेब में मौजूद आखरी रूपया भी निकाल लेते थे। ऐसा भी नही वो खराब लोग थे। वो वक्त जरूरत गरीबों की मदद भी करते थे। उन्हें तगड़े ब्याज पर उधार देते थे। उसकी जमीन अपने नाम लिखवा लेते थे। गरीब शुभचिंतक मानता था उन्हें और उनका आभारी भी होता था। और ऐसा बस इसलिए क्योंकि विनम्र दिखना आता था उन्हें। तब के चतुर करोड़पति ऐसी शकल बनाए रखते थे कि आपको कहीं गांव देहात के मेले मे मिल जाए तो आप उन्हें पहचान न पाएं। वो जानते थे कि विनम्रता ही है जो उन्हें और अमीर बना सकती है और जमाने की बुरी नजर से भी बचा सकती है।
यह कहानी हमे क्या सिखाती है ? यही कि अमीरों को विनम्र रहना चाहिए। विनम्र होना मुश्किल होता है वैसे पर हमें भरसक विनम्र दिखने की कोशिश करना चाहिए। विनम्र कैसे दिखे अब। सादे कपड़े पहने। सादा दिखें। कोई मिले तो उसे वक्त दे। अपनी कम कहें। सामने वाले की ज्यादा सुने। सामने वाले की बातों से उसकी कमज़ोरी पकड़ ले और उसे प्यार से पटकनी दे दे। पटकने के बाद सहलाएं ताकि वो आपका आभारी बना रहे। और हर तरफ आपकी तारीफ़ें करता फिरे।
गणेश जी की यह उक्ति आज भी कारगर है। आज भी वो अमीर जो सादा दिखने में भरोसा करते है और अमीर होते जाते है। विनम्रता कोइ चीज़ है जिसे दिखा कर आप दूसरे के लड्डुओं पर काबिज हो सकते है। विनम्र होना क़तई जरूरी नही ,विनम्र होकर दिखना पर्याप्त है। विनम्र आदमी से मिलकर सामने वाला असावधान हो जाता है और आप जीत जाते है। यह गणेश जी की सीख है अमीरों के लिए। इस पर हर अमीर को अमल करना चाहिए और गणेश जी का आभारी होना चाहिए।
गणेश जी की जय हो।
मुकेश नेमा
2 .Garh Ganesh Temple Jaipur : एक मंदिर ऐसा भी है जहां भगवान गजानन के सूंड नहीं है!
Goatmar Fair Pandhurna: गोटमार याने पत्थर मारना,ऐतिहासिक मेला पांढुर्णा ,देखिये वीडियो





