कहानी संवाद: अंतर्राष्ट्रीय विश्वमैत्री मंच का अभिनव आयोजन -‘दो कहानी- दो समीक्षक’

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कहानी संवाद: अंतर्राष्ट्रीय विश्वमैत्री मंच का अभिनव आयोजन- ‘दो कहानी- दो समीक्षक’

अंतरराष्ट्रीय विश्व मैत्री मंच द्वारा कहानियों पर केंद्रित कहानी संवाद का  अभिनव आयोजन गूगल मीट पर किया गया। इस आयोजन में दो  प्रतिष्ठित कहानीकारों सुषमा मुनींद्र और डॉ स्वाति तिवारी ने कहानी पाठ किया एवं  दो समीक्षको सुप्रसिद्ध कहानीकार मनीष वैद्य और विवेक मिश्र ने  समीक्षक के रूप में सहभागिता की  प्रारंभ में मंच की अध्यक्ष संतोष श्रीवास्तव ने कार्यक्रम के रूपरेखा पर प्रकाश डाला।

 गूगल मीट पर आयोजित इस कहानी संवाद कार्यक्रम में अध्यक्षता कर रही अंतर्राष्ट्रीय विश्वमैत्री मंच की संस्थापक अध्यक्ष संतोष श्रीवास्तव ने अपने वक्तव्य में कहा कि -“कहानी संवाद एक ऐसा अभिनव प्रयोग है जो सांस्कृतिक और संवेदनशील हस्तक्षेप के रूप में उभरा है। यह कथा साहित्य की उस परंपरा का निर्वहन करता है जिसे हमारे वरिष्ठ कथाकारों ने निष्ठा और कर्मठता से आगे बढ़ाया है। इसे निरंतर बनाए रखने के लिए ही अंतरराष्ट्रीय विश्व मैत्री मंच प्रतिमाह कहानी संवाद का आयोजन करता है।
यहाँ कहानी केवल पढ़कर सुनाई नहीं जाती बल्कि एक विमर्श रचती है। संवाद का स्वरूप लेखक और पाठक दोनों की सहभागिता से होता है। कहानी उन आवाजों को सामने लाती हैं जिन्हें समाज अक्सर अनसुना कर देता है।

“गीता, सुहागी को देख रही थी। सुहागी पुरषोत्तम को। पुरषोत्तम गीता को। तमन्ना थी बाबू के मरते ही इस बैसाखी वाली को काबू में करेगा। मालूम न था बाबू मर जाएगा पर तमन्ना, तमन्ना ही रह जाएगी।””

(सुषमा मुनीन्द्र की कहानी ‘बैसाखी वाली लड़की’, का एक अंश।)

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”ऐसा भी क्या घर, जहाँ पति पत्नी केवल एक पता यानी एड्रेस यानी मकान नम्बर भर शेयर कर रहे हैं। बाकी सब अलग हैं। जहाँ बच्चा बोर्डिंग में और पिता वृद्धावस्था में वृद्धाश्रम  हैं।”

(डॉ स्वाति तिवारी की कहानी “स्त्री मुक्ति का यूटोपिया” का एक अंश)

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    सुषमा मुनीन्द्र के पास कहानी का मुहावरा है- मुख्य अतिथि कथाकार मनीष वैद्य

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मुख्य अतिथि मनीष वैद्य ने सुषमा मुनीन्द्र की कहानी ‘बैसाखी वाली लड़की’ की विवेचना करते हुए कहा कि-
“ सुषमा मुनीन्द्र के पास कहानी का मुहावरा है। इनकी भाषा जनभाषा, जनता की भाषा अर्थात लोकभाषा होती है। यही कारण है कि इनकी कहानियाँ हमें बहुत नज़दीक महसूस होती हैं। पाठक बहुत गहराई से कहानियों से जुड़ जाता है।”कहानी दो स्त्रियों के साझे फैसले पर रची गई है जो स्त्री सशक्तिकरण का प्रमाण है। अगर स्त्रियाँ एक दुसरे का साथ दें तो स्त्री सशक्तिकरण के लिए किसी नारे ,झंडे और  बैनर की जरूरत नहीं है। यह कहानी जर्जर परिवेश से शुरू होती है पर एक मजबूत फलक पर समाप्त होती है। ये बड़े फलक की कहानियाँ हैं।

स्वाति तिवारी  ने कहानियों में जीवन मूल्यों , संबंधों की शुचिता  को मनोवैज्ञानिक स्तर पर लिखा है  -विशिष्ट अतिथि,  कथाकार विवेक मिश्र 

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विशिष्ट अतिथि, विवेक मिश्र ने डॉ स्वाति तिवारी की कहानी, “स्त्री मुक्ति का यूटोपिया” की समीक्षा करते हुए बहुत सारे प्रश्न वर्तमान समाज के सामने रखे। आपने कहा कि -अच्छी कहानी वो होती है जो पाठक को समाधान परोसती नहीं बल्कि खुद सोचने पर मजबूर करती है जैसे  स्त्री मुक्ति का यूटोपिया। इस कहानी में पाठक खुद तय  करता है कि जीवन मूल्यों , संबंधों की शुचिता परिवार काआधारहै। कहानी की नायिका पहले आधुनिक जीवन से प्रभावित होती है लेकिन अंत में वह उस  आधुनिकता के यूटोपिया से खुद ही अपने पारिवारिक  मूल्यों से उपर रख लौट आती है अपने सम्बन्धों की स्नेहिल ऊर्जा कीतरफ। महा नगरीय बदलते  जीवन में मनुष्य क्या खो रहा है यह इस कहानी में  उभर कर सामने आता है।
आज परिवार का स्वरुप बदल रहा है। आपसी संवेदनाऍं हम खोते जा रहे हैं। मुक्ति अपने आप में ही एक यूटोपिया है। मुक्ति का अर्थ सब के लिए अलग-अलग है। ये सच है कि उपभोक्ता वाली संस्कृति हमारा उपयोग कर एक मशीन में तब्दील कर देती है। ऐसे समय में अगर मनुष्यता बचानी है तो मानवीय मूल्य बचाने होंगे।’

कहानी संवाद कार्यक्रम में कहानियों को सुनना, समझना और उन पर बात करना एक स्वस्थ परम्परा है।”
एक समय ऐसा भी आया जब कहानी संवाद ने कहानी की कार्यशाला का रूप ले लिया। दर्शक दीर्घा में उपस्थित अधिकाँश ने कमेंट बॉक्स में पढ़ी गई कहानियों और उनकी समीक्षाओं पर खुलकर अपनी बात कही। डॉ दुर्गा रानी सिन्हा एवं डॉ सुशीला टाकभौरे ने दोनों कहानियों पर अपनी-अपनी, संक्षिप्त और समीक्षात्मक टिप्पणी भी दी।
अंतर्राष्ट्रीय विश्वमैत्री मंच की मध्य प्रदेश इकाई की अध्यक्ष शेफालिका श्रीवास्तव ने कहानी संवाद में उपस्थित सभी साहित्य सुधिजनों का आत्मीय स्वागत किया। कार्यक्रम का सञ्चालन मध्य प्रदेश इकाई के महासचिव मुज़फ्फर सिद्दीकी ने किया। परोक्ष और अपरोक्ष रूप से कार्यक्रम को सफल बनाने में जिन्होंने भी सहयोग किया उन सभी का आत्मीय आभार अंतर्राष्ट्रीय विश्वमैत्री मंच की मध्य प्रदेश इकाई की निदेशक महिमा श्रीवास्तव वर्मा ने अपने ही एक अलग अंदाज़ में व्यक्त किया। कार्यक्रम में साहित्यकार डॉ मीनाक्षी स्वामी ,कथाकार मीनाक्षी दुबे ,वरिष्ठ साहित्यकार राज बोहरे , इंदौर लेखिका संघ की अध्यक्ष विनीता तिवारी ,डॉ.  तेजप्रकाश व्यास ,प्रमिला वर्मा ,शकुंतला मित्तल , डॉ। सुमन  चौरे इत्यादि उपस्थित थे।

‘Sharad Smriti Prasanga’: प्रथम पुण्यतिथि पर डॉ . शरद पगारे के कृतित्व और व्यक्तित्व पर प्रकाश डालते हुए पुण्य स्मरण किया गया 

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