आज एक कविता सोशल मिडिया में पोस्ट हुई कितना सच बयां किया है इस कविता में –
स्त्री और कुकर….
स्त्री ने कुकर में पुरुष के लिए स्वादिष्ट भोजन बनाया
पुरुष ने कुकर में कुत्तों के लिए
स्त्री को पकाया .…
पुरुष चख चुका था
उस स्त्री की देह का नमक
उसका स्वाद.
अघा गया था उस स्वाद से
सो कुत्ते ने कुत्तों को परोस दिया
वही स्वाद …
और स्त्री को कभी पता ही न चल सका कि वो कुकर में पकाती आई थी…
अब तक ,कुत्ते, के लिए ही स्वादिष्ट भोजन …🥲🥲
वर्षा@