Strictness of IAS : केके पाठक फिर सुर्खियों में, अब जमीन सर्वें में सख्ती दिखाई, एक को निलंबित किया!

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Strictness of IAS

Strictness of IAS : केके पाठक फिर सुर्खियों में, अब जमीन सर्वें में सख्ती दिखाई, एक को निलंबित किया!

छोटे कर्मचारी को वित्तीय अधिकार देने पर व्यवस्थापक अविनाश कुमार निलंबित!

Patna : आईएएस अफसर केके पाठक को जो भी जिम्मेदारी दी जाती है, वे उसमें अपनी छाप जरूर छोड़ते हैं। वे अपने सख्त मिजाज के अलावा सख्त प्रबंधन के लिए भी जाने जाते हैं। अब उन्होंने राजस्व विभाग में अपनी सख्ती दिखाना शुरू किया। उन्होंने बेतिया राज क्षेत्र के व्यवस्थापक अविनाश कुमार को निलंबित कर दिया। यह कार्रवाई राजस्व परिषद की अनुशंसा पर की गई। अविनाश कुमार पर आरोप है कि उन्होंने नियमों का उल्लंघन करते हुए एक कर्मचारी को जरुरत से ज्यादा अधिकार दे दिए थे।

आईएएस केके पाठक अपने सख्त फैसलों के लिए जाने जाते हैं। वे अभी राजस्व परिषद के अध्यक्ष हैं। इस परिषद ने ही बेतिया राज में गड़बड़ी पकड़ी और अविनाश कुमार के खिलाफ कार्रवाई की सिफारिश की। नीतीश सरकार ने फौरन एक्शन लेते हुए अविनाश कुमार को निलंबित कर दिया। अविनाश कुमार ने बेतिया राज के कर्मचारी सुरेश रावत को बिना अनुमति के ज्यादा वित्तीय और प्रशासनिक अधिकार दे दिए थे। यह नियमों के खिलाफ था। राजस्व परिषद ने इसे गंभीरता से लिया और अविनाश कुमार को निलंबित करने की सिफारिश की।

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बिहार में इस समय जमीन सर्वे का काम चल रहा है। इस दौरान सरकारी जमीन पर कब्जे के कई मामले सामने आ रहे हैं। राजस्व परिषद इस मामले को लेकर काफी सख्त है। बेतिया राज में हुई गड़बड़ी भी इसी से जुड़ी हुई है। सामान्य प्रशासन विभाग ने अविनाश कुमार के निलंबन का आदेश जारी कर दिया है। आदेश में कहा गया है कि राजस्व परिषद ने अविनाश कुमार के खिलाफ आरोप पत्र भेजा था। 30 अगस्त को यह आरोप पत्र सामान्य प्रशासन विभाग को भेजा था। इसके बाद ही अविनाश कुमार को निलंबित कर दिया गया।

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छोटे कर्मचारी को वित्तीय अधिकार

आदेश में उल्लेख है कि राजस्व परिषद द्वारा बेतिया राज के व्यवस्थापक अविनाश कुमार के खिलाफ कार्रवाई को लेकर आरोप पत्र भेजा गया, उसमें कहा गया कि अविनाश कुमार ने राजस्व परिषद के अनुमोदन के बिना ही गलत तरीके से बेतिया राजे के एक कर्मी सुरेश राउत को अपने पद से कहीं ज्यादा उच्च पद का वित्तीय एवं प्रशासनिक कार्य करने के लिए अधिकृत कर दिया। बेतिया राज से संबंधित न्यायिक मामलों में कोर्ट के सामने सरकार का पक्ष सही तरीके से नहीं रखा जा सका। यही नहीं उन्होंने न्यायिक वादों के निष्पादन में रुचि नहीं ली। बेतिया राज के प्रबंधन के संबंध में समुचित कार्रवाई भी नहीं की।

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बिहार का बेतिया राज

बेतिया राज की बिहार-यूपी में फैली हुई हजारों एक जमीन और सैकड़ों एकड़ में फैले महल हैं। अब ये सभी आधिकारिक तौर पर सरकार के अधीन आ गए। इन जमीन पर सालों से अवैध कब्जा है। बेतिया राज के महलों में सरकारी दफ्तरें हैं। मगर, बिहार भूमि सर्वे ने एक बार फिर इस बंद पिटारे को खोल दिया है।

बेतिया राज की सभी तरह की संपत्ति बिहार सरकार के अधीन हैं। मगर, अधिकतर पर अतिक्रमण है। बिहार राजस्व पर्षद इन जमीनों को अतिक्रमण मुक्त कराने में जुटी है और राजस्व पर्षद के अध्यक्ष IAS केके पाठक हैं। जो अपने कड़क मिजाज और कायदे-कानून के लिए जाने जाते हैं। बेतिया राज की हजारों एकड़ जमीन पर से अवैध कब्जे हटाने के लिए केके पाठक ने पांच अधिकारियों की नियुक्ति की है। इसी के बाद से बेतिया राज फिर से चर्चा में है। किसी दिन बिहार सरकार के अफसर बुलडोजर लेकर बेतिया में उतर जाएं तो आश्चर्य नहीं होना चाहिए।