जेलों में इंटरनेट एक्सेस के दुरुपयोग पर सख्ती, उज्जैन जेल अधीक्षक को हटाने के बाद अब शासन ने DG को दिए निर्देश

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भोपाल: जेलों में इंटरनेट एक्सेस के दुरुपयोग के मामले में जहां कल डीजी जेल ने उज्जैन जेल अधीक्षक को हटा दिया वहीं राज्यशासन के जेल विभाग ने डीजी जेल को पत्र लिखकर इंटरनेट एक्सेस के संबंध में एसओपी का पालन सुनिश्चित कराने के निर्देश दिए है।

शासकीय कार्य, ई मुलाकात, ई पेशी के अलावा इंटरनेट का दुरुपयोग पाए जाने पर दोषियों के खिलाफ कार्यवाही करने के निर्देश डीजी को जेल मंत्रालय ने दिए है।

गौरतलब है कि उज्जैन जेल में बंद कैदी हैकर अमर अग्रवाल के माध्यम से उज्जैन सेंट्रल जेल अधीक्षक संतोष लाडिया, सहायक जेल अधीक्षक सुरेश गोयल और प्रहरी धर्मेन्द्र नामदेव ने अलग-अलग बैंक खातों में राशि जमा करवाई है। हवाला के जरिए भी कुछ राशि का हस्तांतरण कैदी के बैंक खाते से किया गया। यह पूरी गड़बड़ी डार्क वेब के जरिए की गई।

अमर अग्रवाल वर्ष 2018 से केन्द्रीय जेल में बंद था। इस मामले में साइबर पुलिस जांच कर रही है। अग्रवाल को भोपाल शिफ्ट कर दिया गया है और उज्जैन जेल अधीक्षक को हटाने की कार्यवाही करने के बाद अब राज्य सरकार ने जेल अधीक्षक को इंटरनेट एक्सेस के लिए जारी एसओपी का पालन कराने को कहा है।

जेल डीजी को लिखे गए पत्र में जेल विभाग के अपर सचिव ललित दाहिमा ने कहा है कि जेल में बंद कैदी को अनाधिकृत रुप से इंटरनेट एक्सेस प्रदाय किया जना और इसका ईमेल तथा अन्य प्रयोजन द्वारा उपयोग किये जाने की जानकारी मिली है। यह गंभीर घटना है।

जेल अधिकारी के स्तर पर इस प्रकार की गतिविधि को पूर्णत: नहीं रोक पाना अवैधानिक है तथा कदाचरण की श्रेणी में आता है। जेल में प्रदत्त इंटरनेट सेवा का दुरुपयोग जेल में बंद साइबर क्राइम के बंदियों अथवा इंटरनेट में पारंगत बंदियों के द्वारा साइबर क्राइम करने अथवा जेल से भागने की प्लानिंग में इस्तेमाल हो सकता है।

जेलों पर स्थापित इंटरनेट की सुविधा शासकीय कार्यो में उपयोग के लिए जेल अधिकारियों और कर्मचारियों को उपलब्ध कराई गई है। जेल कर्मचारियों और अधिकारियों की उपस्थिति में एसओपी के तहत ई पेशी और ई मुलाकात की सुविधा में बंदियों के लिए भी इसका उपयोग किया जाता है। लेकिन यह घटना जेल अधिकारियों की कर्त्तव्य में लापरवाही दर्शाती है।

डीजी जेल को कहा गया है कि जेलों में प्रदत्त इंटरनेट सुविधा का उपयोग जेल अधिकारी,कर्मचारी के द्वारा केवल शासकीय कार्यो के लिए सुनिश्चित करे। जेल मैन्युअल और जेल मुख्यालय के निर्देशों के अनुसार एसओपी का सख्ती से अक्षरश: पालन कराते हुए ईपेशी, ई मुलाकात के अलावा किसी भी अनियमित, अवैधानिक प्रयोजन के लिए जेल में बंदियों को इंटरनेट एक्सेस उपलबध नहीं हो इसका ध्यान रखा जाए। ऐसा करते पाए जाने पर दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्यवाही की जाए।