राजस्थान में छात्रसंघ चुनाव होने चाहिए- केंद्रीय मंत्री शेखावत छात्रसंघ चुनाव न कराने पर राज्य सरकार की मंशा पर उठाए सवाल

केंद्रीय जलशक्ति मंत्री ने राजस्थान में कानून व्यवस्था की स्थिति पर गहलोत सरकार को घेरा

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राजस्थान में छात्रसंघ चुनाव होने चाहिए- केंद्रीय मंत्री शेखावत छात्रसंघ चुनाव न कराने पर राज्य सरकार की मंशा पर उठाए सवाल

जोधपुर: केंद्रीय जलशक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने कहा कि राजस्थान में छात्रसंघ चुनाव होने ही चाहिए।
राज्य सरकार के छात्रसंघ चुनाव न कराने के सवाल पर शेखावत ने रविवार को जोधपुर में कहा कि छात्रसंघ चुनाव नहीं। कराने राज्य सरकार का फैसला दुर्भाग्यपूर्ण है।

उन्होंने कहा कि मैं मानता हूं कि छात्र राजनीति राष्ट्रीय राजनीति की पौधशाला है। छात्रों का यह लोकतांत्रिक अधिकार बहाल होना चाहिए। छात्रसंघ चुनाव हर हालत में होने ही चाहिए। छात्रसंघ चुनाव को जिन विषयों का हवाला देकर गहलोत सरकार द्वारा रोका गया है, वह न तो प्रासंगिक हैं, नहीं उचित। मेरा पूरजोर समर्थन छात्रसंघ चुनाव हों, उसको लेकर युवाओं के साथ है। उन्होंने छात्रसंघ चुनाव न कराने पर राज्य सरकार की मंशा पर सवाल उठाए।

अबकी बार जिस बहुमत के साथ कमल खिलेगा, हम उसकी कल्पना भी नहीं कर सकते

शेखावत ने कहा कि राजस्थान में अबकी बार जिस बहुमत के साथ कमल खिलेगा, हम उसकी कल्पना भी नहीं कर सकते। राज्य में कानून-व्यवस्था की स्थिति पर गहलोत सरकार को घेरते हुए उन्होंने कहा कि सरकार की उदासीनता एवं सरकार की प्राथमिकता लॉ एंड ऑर्डर सुधारना नही होने के चलते, राजस्थान में ऐसे हालात हैं कि अपराधी बेखौफ हैं और आमजन डरा-सहमा है।

रविवार को अपने संसदीय क्षेत्र पहुंचे शेखावत ने अनौपचारिक बातचीत करते हुए मीडिया से कहा कि केवल जोधपुर ही नहीं, पूरे राजस्थान में बदतर हालात हैं। प्रदेश में 17 रेप प्रतिदिन हो रहे हैं। हजारों की संख्या में मर्डर पिछले 5 साल में हुए हैं। लूटपाट, माफियाराज, गैंग की लड़ाइयां, इस तरह की घटनाएं राजस्थान में हो रही हैं। थानों से अपराधी बंदूक के दम पर छुड़ाए जा रहे हैं। पुलिस थानों और ऑफिस के बाहर राजस्थान पुलिस का स्लोगन लिखा होता है ‘अपराधियों में डर और आमजन में विश्वास’, सरकार की उदासीनता एवं सरकार की प्राथमिकता लॉ एंड ऑर्डर सुधारना न होने के चलते, राजस्थान में ऐसे हालात हैं कि अपराधी बेखौफ हैं और आमजन डरा-सहमा हुआ है।

शेखावत ने कहा कि हर ऐसे माता-पिता, जिसकी बेटी स्कूल, कॉलेज या काम के सिलसिले में बाहर जाती है, वो जब तक लौटकर घर नहीं आ जाती, तब तक माता-पिता की जान सांसत में रहती है। उन्हें डर लगता है कि क्या पता मेरी बेटी सकुशल लौटेगी या नहीं? इस तरह की हालत के लिए सरकार जिम्मेदार है, लेकिन सरकार शायद का इन सब विषयों से अब लेना-देना नहीं, क्योंकि वो हर घटना के बाद में उस पर कार्रवाई मात्रा को अपना कर्तव्य समझ कर पीठ ठोकती नजर आती है।

महिलाओं का दमन जैसे कांग्रेसी राज का रिवाज बन गया

जोधपुर में महिला का शव मिलने पर शेखावत ने ट्वीट किया कि महिलाओं के विरुद्ध अपराध रोकने में सरकार की नाकामी सीएम कम गृहमंत्री गहलोत जी का गृह क्षेत्र भी भुगत रहा है। जोधपुर में महिला का क्षत विक्षत शव मिलना पुलिस की सतर्कता और निगरानी के दावे के फेल होने का एक और उदाहरण है। महिलाओं का दमन जैसे कांग्रेसी राज का रिवाज बन गया है। जोधपुर गहलोत जी की निष्क्रियता देख रहा है और समझ भी रहा है कि उनमें जन संवेदना का एक कतरा भी नहीं बचा है।

राजनीतिक महत्वाकांक्षाओं के चलते हुआ देश का विभाजन

देश के विभाजन से जुड़े सवाल पर शेखावत ने कहा कि कुछ कतिपय लोगों की राजनीतिक महत्वाकांक्षाओं के चलते देश ने विभाजन की विभीषिका को झेला। मां भारती के दोनों बाजू काटकर अलग कर दिए गए। उस समय जिस तरह का तांडव हुआ। जिसे फौरी तौर पर उस समय की सरकार ने लिया। लाखों लोगों ने उस विभीषिका के दर्द को झेला। जरा सा कुरेद कर देखिए, अनेक ऐसे संस्मरण सुनने को मिलेंगे, जो आपके दिल को दहला देंगे। 75 साल बीत जाने के बाद में भी वो दर्द उन लोगों के जहन से नहीं निकला है। शेखावत ने कहा कि आज अवसर है कि हम एक बार इस विषय पर विचार कर सकें कि आजादी के बाद जो विभाजन हुआ, उस विभाजन से हमने क्या खोया और क्या हासिल किया।

उन्होंने कहा कि मैं आप सबका आह्वान करता हूं कि इस प्रासंगिक अवसर पर जब देश आजादी के अमृतकाल में है, हम परिस्थितियों से कुछ सीखकर आगे बढ़ें और देश को इस अमृतकाल में विकसित भारत बनाने के संकल्प को और अधिक सुदृढ़ करें।