पढ़ाई बनी नासूर: असिस्टेंट डायरेक्टर ने की फांसी लगाकर आत्महत्या, पत्नी की पढ़ाई से एतराज!

259

पढ़ाई बनी नासूर: असिस्टेंट डायरेक्टर ने की फांसी लगाकर आत्महत्या, पत्नी की पढ़ाई से एतराज!

मौत से पहले व्हाट्सएप पर लगाया था गंभीर स्टेटस- “जिंदगी में एक समय आता है, जब व्यक्ति को तय करना होता है कि अब उसे पन्ना पलटना है या किताब बंद करनी है।”

राजेश चौरसिया की रिपोर्ट

छतरपुर: मध्यप्रदेश के छतरपुर जिले में अधिकारी की मौत का कारण पत्नी का एजुकेटिड होना और आगे भी पढ़ाई जारी रखना सामने आया है। जहां अधिकारी को अपनी पत्नी का पढ़ा-लिखा होना और अब भी लगातार पढ़ाई करने साथ ही सर्विस की तैयारी करने से ऐतराज़ था जिसके चलते उसने पत्नी से पढ़ाई और तैयारी करने से मना किया था जिसपर पत्नी ने कहा कि मैं क्या गलत कर रही हूँ, आगे पढ़ाई और जॉब की तैयारी ही तो कर रही हूँ। मैं पत्नी का फ़र्ज़ निभा रही हूँ, आपका ख़याल रखती हूँ, अपनी बच्ची का ख़याल रखती हूँ, परिवार को भी सम्हालती हूँ, इस सबके बाद पढ़ाई कारती हूँ तो मैं कहाँ गलत कर रही हूँ। मेरे माँ-बाप ने मुझे पढ़ाया लिखाया और आप भी पढ़े लिखे हो तो पढ़ाई से क्यों ऐतराज़ है। जिसपर पति और पत्नी में कहा सुनी हो गई थी और पति इसी सब को लेकर व्यथित था और उसने यह कदम उठा लिया।

●यह है पूरा मामला..

जानकारी के मुताबिक शुक्रवार को छतरपुर के आदिम जाति कल्याण विभाग में पदस्थ असिस्टेंट डायरेक्टर ने अपने किराए के घर में फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली। बताया गया है कि मृतक ने मौत से पहले अपने व्हाट्सएप पर गंभीर स्टेटस लगाया था, जो इस ओर इशारा कर रहा है कि वह परेशान था। हालांकि परेशानी का कारण क्या है यह अभी सामने नहीं आया है। मौत के बाद असिस्टेंट डायरेक्टर के शव को जिला अस्पताल लाया गया था, जहां उसका पोस्टमार्टम किया गया।

प्राप्त जानकारी के मुताबिक मृतक असिस्टेंट डायरेक्टर रामकुमार पिता छेदालाल त्रिवेदी उम्र 42 साल मूलत: इंदौर के महू निवासी थे तथा छतरपुर के आदिम जाति कल्याण विभाग में बतौर असिस्टेंट डायरेक्टर पदस्थ थे। छतरपुर के सटई रोड पर स्थित ग्रीन एवेन्यु कॉलोनी में रामकुमार त्रिवेदी अपनी पत्नी मीनाक्षी और 2 वर्षीय पुत्री के साथ रहते थे। गुरुवार की रात करीब साढ़े 10 बजे रामकुमार त्रिवेदी ने अपने व्हाट्सएप पर एक गंभीर स्टेटस लगाया जिसमें लिखा हुआ था कि – “जिंदगी में एक समय आता है, जब व्यक्ति को तय करना होता है कि अब उसे पन्ना पलटना है या किताब बंद करनी है”।

●पत्नी बोली दरवाजे बंद कर लगा ली फांसी..

पत्नी मृदाक्षी त्रिवेदी से मिली जानकारी के मुताबिक शुक्रवार की सुबह करीब 11 बजे रामकुमार ने घर के एक कमरे में फांसी लगा ली, जिससे उनकी मौत हो गई। पत्नी ने ही पड़ोसियों और पुलिस को घटना की जानकारी दी जिसके बाद मौके पर पहुंची पुलिस ने शव को फंदे से नीचे उतारा तथा जिला अस्पताल लेकर आई जहां परीक्षण के बाद डॉ. सुरेन्द्र शर्मा ने मौत की पुष्टि कर दी।

मामले में शव को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया है। तो वहीं पुलिस ने पंचनामा कार्रवाई के बाद मामले की जांच शुरु कर दी है।

●पत्नी ने बताई वज़ह, मेरी पढ़ाई से था ऐतराज़..

मामले में जब मृतक की पत्नी मृदाक्षी त्रिवेदी से बात की तो उसका कहना था कि मेरी शादी 3 साल पहले हुई है है। दोनों की एक डेढ़ साल की बच्ची है। मैं अपने पति अपनी बच्ची और अपने परिवार का पूरा ख्याल रखती थी। हमारे बीच सब कुछ ठीक था पर सिर्फ़ एक बात थी कि मेरे पति को मेरी पढ़ाई से ऐतराज़ था। उन्हें मेरा पढ़ाई करना और नोकरी की तैयारी करना पसंद नहीं था। आज दोपहर 2 बजे मेरा बी-एड एग्जाम था। वह बोले मत जाना। मैनें का जब पढ़ाई की है तो एग्जाम देने तो जाना ही होगा वह बोले मैं नहीं जाऊंगा तो मैनें कहा मैं ई-रिक्से से चली जाऊंगी, रही बात बच्ची की देखभाल की तो मैनें बेटी की देखभाल के लिए अपनी मां को बुला लिया है। बस इतना ही कहना था और वह कमरे में गये और दरवाजे लगा लिए, पहले तो मैंने सोचा कि गुस्से में लगा लिए होंगे। पर जब काफी देर तक नहीं निकले तो मैंने दरवाजे भड़के जब नहीं खोले तो पड़ोसी और लोगों को आवाज दी और तब तक सब खत्म हो चुका था उन्होंने मौत को गले लगा लिया था।

मृदाक्षी आगे बताती हैं कि मेरे पिता आर्मी में थे, मेरा भाई बैंगलोर में MBA कर चुका है जो वहीं जॉब कर रहा है। मैनें इंदौर के मैडीकैप यूनिवर्सिटी से PHD की है, आगे पढ़ाई करते हुए बी-एड कर रही थी जिसका आज 27 दिसम्बर को एग्जाम भी था जिसे मैं इस घटना के चलते नहीं दे पाई। मुझे पता नहीं था कि मेरी पढ़ाई को लेकर इतना बड़ा कदम उठा लेंगे, काश मुझसे एक बार कह देते कि मैं ऐसा कर लूंगा तो मैं पढ़ाई छोड़ देती, मेरा तो सबकुछ ही लुट गया आज मुझे मेरा पढ़ा लिखा हुआ और मेरी पढ़ाई ही नासूर बन गई और मेरा सब उजड़ गया।

-मृदाक्षी त्रिवेदी, मृतक की पत्नी

●बड़े नाजों से पाला बेटी को खूब पढ़ाया, पढ़ा-लिखा दामाद ढूंढ़कर शादी की..

छोटी बच्ची की देखभाल के लिए इंदौर से आई मृदाक्षी त्रिवेदी माँ रेखा तिवारी से पूछा तो उनका कहना है कि मैंने अपनी एकलौती बेटी मृदाक्षी को बड़े नाजों से पाला, खूब पढ़ाया लिखाया और पढ़े-लिखे लड़के को ढूंढकर उसकी शादी की, हमें पता नहीं था कि पढ़े-लिखे सर्विस वाले दामाद को बेटी की पढ़ाई लिखाई से ऐतराज़ था उसकी पढ़ाई उसकी ज़िन्दगी तबाह कर देगी। अब क्या इस जमाने में बेटी का पढ़ा लिखा होना अभिशाप है। कहाँ जा रहे हैं हम…? (और फूट-फूटकर रोने लगतीं हैं)

-रेखा तिवारी, माँ